विशेषण किसे कहते हैं?
संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं. विशेषण किसी वस्तु का अप्रत्यक्ष नाम होता है. अतः सर्वनाम की भांति ही विशेषण भी एक तरह की संज्ञा ही होता है.
निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दीजिए –
- ये सेब खट्टे हैं। (कैसे सेब – खट्टे) विशेषता – खट्टे
- भूरी भैंस अधिक दूध देती है। – (कैसी भेंस – भूरी)
विशेषता -भूरी- (कितना दूध ? – अधिक।) – विशेषता – अधिक - यह लखनवी कुर्ता है। – ( कैसा कुर्ता – लखनवी) विशेषता – लखनवी
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त शब्द ‘खट्टे’, ‘भूरी’, ‘अधिक’ तथा ‘लखनवी’ अपने साथ प्रयुक्त संज्ञाओं की विशेषता
बता रहे हैं; अतः ये विशेषण हैं।
विशेष्य किसे कहते है?
विशेषण पद जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं।
प्रविशेषण किसे कहते हैं?
कभी-कभी विशेषणो के भी विशेषण लिखे और बोले जाते हैं,
जैसे –
1. आप बड़े चतुर हैं।
2. यह आदमी बहुत दयालु है।
इन वाक्यो में ‘पूर्ण’, ‘बड़े’ तथा ‘बहुत’ शब्द अपने साथ प्रयुक्त क्रमश: ‘वयस्क’, ‘चतुर’ और ‘दयालु’ विशेषणों की विशेषता में और अधिक वृद्धि कर रहे हैं। इस प्रकार के विशेषण शब्द, जो विशेषणों की भी विशेषता बताएँ, प्रविशेषण कहलाते हैं।
विशेषण के भेद
विशेषण पाँच प्रकार के होते हैं।
1. गुणवाचक विशेषण
2. संख्यावाचक विशेषण
3. परिमाणवाचक विशेषण
4. सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण
5. व्यक्तिवाचक विशेषण।
1. गुणवाचक विशेषण – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रंग, आकार, दशा, लंबाई दोष, गन्ध, दिशा, काल, स्वाद, थोड़ा आदि का बोध कराते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं, जैसे – लंबा पुल, ताजे फल, गुलाबी कोट, कड़वा करेला आदि।
गुणवाचक विशेषण कई प्रकार की विशेषताओं का बोधक हो सकता है,
जैसे –
गुणबोधक – अच्छा, शिष्य, विनम्र, भला, दयावान, सभ्य, ईमानदार आदि।
दोषबोधक – दुष्ट, बुरा, अशिष्ट, अभिमानी, कुटिल, दुर्जन, बेइमान, कपटी, धोखेबाज, झूठा आदि।
कालबोधक – नया, पुराना, दैनिक, वार्षिक, पिछला, आगामी, मौसमी, प्राचीन, छमाही आदि।
स्थानबोधक विदेशी देशी, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, बनारसी, लखनवी, बंगाली, बिहारी, मराठी आदि।
दिशाबोधक – पूर्वी, पश्चिमी उत्तरी, दक्षिणी, भीतरी, ऊपरी, निचली।
अवस्थाबोधक – तरल, ठोस, सूखा, गीला, युवा, वृद्ध, बाल, किशोर आदि।
दशाबोधक – रोगी, स्वस्थ, अस्वस्थ, सुखी, दुःखी, बिगड़ैल, गरीब, धनी, निर्धन, संतोषी, कमजोर आदि।
आकारबोधक – चौकोर, विशाल, सूक्ष्म, गोल, लंबा, ऊँचा, ठिगना, सुडौल, तिकोना, अंडाकार, त्रिभुजाकार आदि।
स्पर्शबोधक – कोमल, कठोर, मखमली, खुरदरा, गर्म, ठंडा, चिकना आदि।
स्वादबोधक – खट्टा मीठा, कड़वा, नमकीन, चटपटा, कसैला, फीका, खारा आदि।
रंगबोधक – लाल, पीला, बहुरंगी, सतरंगी, चितकबरा, आसमानी, हरा, गुलाबी आदि ।
2. संख्यावाचक विशेषण – जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है, उन्हे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं,
जैसे- दो खिलौने, पाँच आम, कुछ बालक, तीसरी मंजिल आदि। इनमें ‘दो’, ‘पाँच’, ‘कुछ’ तथा ‘तीसरी’ संख्यावाचक विशेषण है
संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
एक, दो, तीन, चार, दूसरा, तीसरा, दुगुना, तिगुना आदि शब्द निश्चित संख्यावाचक विशेषण होते हैं तथा कुछ, थोड़े, सैकड़ों, हजारो आदि शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण होते हैं।
3. परिमाणवाचक विशेषण – जिन विशेषण से किसी वस्तु को नाप-तील या माप का पता चलता है, ये परिमाणवाचक विशेषण होते हैं, जैसे-थोड़ा आटा, अधिक दूध, चार मीटर कपड़ा, पाँच लॉटर तेल, थोड़ा घी आदि। यहाँ ‘थोड़ा,’ ‘अधिक’, ‘चार मीटर’ और ‘पाँच लीटर’ शब्द, वस्तुओं का परिमाण बता रहे है; ये परिमाणवाचक विशेषण है।
परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जिस विशेषण से वस्तु या पदार्थ के निश्चित परिमाण मात्रा का बोध हो, उन्हें निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं,
जैसे-
आठ किलो गेहूँ, पाँच लीटर दूध, 100 ग्राम सोना, दस मीटर कपड़ा आदि।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण — जिन विशेषणों से विशेष्य के निश्चित परिमाण का ज्ञान नहीं होता,
उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं,
जैसे-
थोड़ा तेल, कुछ फल, सारा आटा, अधिक दूध आदि।
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण में अधिक परिमाण का बोध कराने के लिए ‘ओ’ जोड़ते हैं,
जैसे- मनों गेहूँ, घड़ों दूध टनों लोहा, कुन्तलों लकड़ी आदि।
परिमाणवाचक विशेषणों का प्रयोग समस्त पदों के रूप में भी होता है, जैसे- कम-ज्यादा लगभग, कम-ओ बेश आदि।
कई बार परिमाणवाचक विशेषणों की आवृत्ति भी की जाती है; जैसे- थोड़ा-थोड़ा नरम, कुछ-कुछ मुलायम,
बहुत-बहुत धन्यवाद आदि।
‘सब’, ‘कुछ’, ‘सारे’, ‘थोड़ा’, ‘बहुत’, ‘कम’, ‘अधिक’ आदि ऐसे विशेषण हैं जिनका प्रयोग संख्यावाचक और परिमाणवाचक दोनों रूपों में किया जाता है,
जैसे-
‘अधिक बच्चे’ में अधिक संख्यावाचक विशेषण है तो ‘अधिक पानी’ में ‘अधिक’ परिमाणवाचक विशेषण है।
4. सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण – जिस सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा शब्द से पहले लगकर होता है, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। सार्वनामिक विशेषण संकेतवाचक विशेषण भी कहलाते हैं;
जैसे –
(क) कोई महापुरुष आए हैं।
(ख) तुम लोग क्या करोगे ?
(ग) इस टीवी को बाहर रख दो।
(घ) हमारा विद्यालय बहुत बड़ा है।
इन वाक्यों में प्रयुक्त शब्द ‘कोई’, ‘तुम’, ‘इस’ तथा ‘हमारा’, सार्वनामिक विशेषण है।
सर्वनाम तथा सार्वजनिक विशेषण में अंतर –
सर्वनाम के तुरंत बाद संज्ञा आने पर वह सर्वनाम न रहकर सार्वजनिक विशेषण बन जाता है।
उदाहरण देखिए
सर्वनाम सार्वनामिक विशेषण
(क) वह गया। यह बंदर चला गया।
(ख) उसे कुछ चाहिए । यह बंदर चला गया।
(ग) वह मेरा दोस्त है। यह लड़का मेरा दोस्त है।
5. व्यक्तिवाचक विशेषण – जो विशेषण व्यक्तिवाचक संज्ञाओं से बनते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते हैं जैसे लखनवी कुर्ता, कश्मीरी सेब, भारतीय संगीत, जयपुरी रजाई आदि। यहाँ लखनवी, कश्मीरी,भारत भारतीय, जयपुर-जयपुरी)।
विशेषणों की रचना
कुछ शब्द मूल रूप से विशेषण होते हैं; जैसे काला, बुरा, मोटा, दुष्ट, हरा, कड़वा, मीठा, आदि। कुछ विशेषणों की रचना अन्य शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय) में प्रत्यय जोड़कर की जाती है,
जैसे-
‘दुःख से दुःखो’, “भूख से भूखा’, ‘पक्ष से पाक्षिक’ आदि। यहाँ विशेषणों की रचना के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं, इनके आधार पर विशेषणों की रचना का अभ्यास कीजिए
संज्ञा शब्दों से बने विशेषण-
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
---|---|---|---|
पद | पदिक | विष | विषैल |
जाति | जातीय | लखनऊ | लखनवी |
इतिहास | ऐतिहासिक | घन | घनिक |
दुर्लभता | दुर्लभ | पूज्य | पूजनीय |
जैसा, जितना यह ऐसा, इतना
कौन कैसा, कितना वह वैसा, उतना
तुम तुम सा मैं मेरा, मुझ सा
क्रिया शब्दों से बने विशेषण –
क्रिया | विशेषण | क्रिया | विशेषण |
---|---|---|---|
देखना | दिखावट | पूजना | पूजनीय |
लड़ना | लड़ाकू | तैरना | तैराक |
लूटना | लुटेरा | बेचना | बिकाऊ |
भागना | भगोड़ा | सहना | सहनी |
अव्यय से बने विशेषण –
अव्यय | विशेषण | अव्यय | विशेषण |
---|---|---|---|
आगे | अगला | ऊपर | ऊपरी |
पीछे | पिछला | भीतर | भीतरी |
नीचे | निचला | बाहर | बाहरी |
विशेषणों की अवस्थाएँ –
विशेषण हमे जब किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के गुण अथवा दोष की जानकारी देता है तो गुण अवस्थाएँ सामान्य अथवा कम या अधिक भी हो सकती हैं।
ऐसी अवस्थाएँ तीन होती हैं –
1. मूलावस्था
2. उत्तरावस्था
3. उत्तमावस्था
1. मूलावस्था (Positive Degree)– किसी व्यक्ति वस्तु या स्थान गुण-दोष को ही सामने लाया जाता है उसकी किसी से तुलना नहीं होती। इसमें वस्तु या व्यक्ति गुण-दोष का ही वर्णन किया जाता है,
जैसे-
(क) दूध गर्म है। (ख) आम मीठा है।
(ग) शिवम चतुर लड़का है। (घ) रजनी गरीब लड़की है।
गर्म – गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था
‘मीठा – गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था।
चतुर – गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था।
‘गरीब’- गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था।
2. उत्तरावस्था (Comparative Degree) – जब हम दो प्राणियों वस्तुओं अथवा स्थानों की आपस में तुलना करते हैं तो एक से दूसरे को अधिक अच्छा या बुरा बताते हैं। यही तुलना उत्तरावस्था कहलाती है,
जैसे –
(क) रेखा सीता से अधिक अच्छा गाती है।
(ख) रोहित सुमित से बहुत कम पढ़ा है।
‘अधिक अच्छा’ एवं ‘बहुत कम’ उत्तरावस्था।
3. उत्तमावस्था (Superlative Degree) – जब दो या दो से अधिक प्राणियों स्थानों या वस्तुओं को सबसे अधिक श्रेष्ठ या निम्न बताया जाता है तो उसे उत्तमावस्था कहते हैं,
जैसे –
(क) राम अपने भाइयों में श्रेष्ठतम है।
(ख) जयपुर सुन्दरतम शहर है।
(ग) आम सबसे मीठा फल है।
यहाँ ‘भाइयों’ व ‘सब शहरों, फलों विशेषण की उत्तमावस्थाएँ हैं।
विशेषणों की तीनों अवस्थाओं की रचना
1. संस्कृत शब्दों में विशेषणों की उत्तरावस्था प्रकट करने के लिए ‘तर’ तथा उत्तमावस्था प्रकट करने के लिए ‘तम’ प्रत्यय लगा दिया जाता है;
जैसे —
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
---|---|---|
सुंदर | सुंदरतर | सुंदरतम |
प्रिय | प्रियतर | प्रियतम |
श्रेष्ठ | श्रेष्ठतर | श्रेष्ठतम |
योग्य | योग्यतर | योग्यतम |
दीर्घ | दीर्घतर | दीर्घतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
मधुर | मधुरतर | मधुरतम |
2. विशेषणों से पहले ‘अधिक’ व ‘सबसे अधिक’ लगाकर उनकी उत्तरावस्था व उत्तमावस्था बना दी जाती है
जैसे –
मूलावस्था | उत्तमावस्था | उत्तमावस्था |
---|---|---|
बुद्धिमान | अधिक बुद्धिमान | सबसे अधिक बुद्धिमान |
ठिगना | अधिक ठिगना | सबसे अधिक ठिगना |
ऊँचा | अधिक ऊँचा | सबसे अधिक ऊँचा |
3. फारसी के कुछ तुलनात्मक शब्द भी हिंदी में प्रयोग किए जाते हैं;
जैसे –
मूलावस्था | उत्तरवस्था | उत्तमावस्था |
---|---|---|
बद | बदतर | बदतरीन |
कम | कमतर | कमतरीन |
अच्छा | बेहतर | बेहतरीन |