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छत्तीसगढ़ का मेला

छत्तीसगढ़ का मेला

छत्तीसगढ़ का मेला छत्तीसगढ़ की कला व  संस्कृति का एक प्रमुख अंग है, छत्तीसगढ़ में मेले यहाँ के आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक व धार्मिक विविधताओं के अपूर्व संगम है । छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मेले मार्च-अप्रैल में लगे है । वस्तुतः छत्तीसगढ़ी संस्कृति में मेले और छत्तीसगढ़ की जनजाति क्षेत्रों में आयोजित होने वाली मंडई जान आस्था एवं असीम लोकप्रेम की अभिव्यक्ति है

छत्तीसगढ़ में विभिन्‍न अवसरों में मडई मेला भराने की परंपरा रही है। ये मेले जहां हमारे जीवन में नई चेतना का संचार करते हैं वहीं सामाजिक ज्ञान का बोध भी कराते हैं तथा भाई-चारा बढाने में मददगार होते है। छत्‍तीसगढ में मडई मुख्‍यत: दीपावली के पश्‍चात प्रारंभ होता है, वहीं मेले मुख्‍यत: फरवरी माह में होते हैं।

छत्तीसगढ़ के मेले का स्वरुप 

छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न स्वरुप के मेलों का लंबा सिलसिला है, इनमें मुख्यतः उत्तर-पूर्वी क्षेत्र यानि जशपुर-रायगढ़ अंचल में जतरा अथवा रामरेखा, रायगढ़-सारंगढ़ का विष्णु यज्ञ-हरिहाट, चइत-राई और व्यापारिक मेला, कटघोरा-कोरबा अंचल का बार, दक्षिणी क्षेत्र यानि बस्तर के जिलों में मड़ई और अन्य हिस्सों में बजार, मातर और मेला जैसे विभिन्न जुड़ाव अपनी बहुरंगी छटा के साथ राज्य की सांस्कृतिक सम्पन्नता के जीवान्त उत्सव हैं।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख मेले
राजिम का मेला 
  • राजिम का मेला राजिम कुंभ मेला के नाम से जाना जाता है। राजिम छत्‍तीसगढ का प्रयाग तथा महातीर्थ है। राजिम पैरी नदी, सौंढूर नदी एवं महानदी के संगम पर स्थित है, जो छत्‍तीसगढ के गरियाबंद जिले में स्थित है।  यहां पर राजीव लोचन एवं शिव जी की प्रसिध्‍द मंदिर है जो पैरी, सौंढूर और महानदी के संगम के बीचों बीच स्थित है।
  • राजीव लोचन मंदिर के पार्श्व भित्‍त पर कल्‍चुरी वंश के 896 वां शिलालेख है, जो मंदिर के बहुत प्राचीन होने का प्रमाण है।
  • इस मंदिर का जीर्णोध्‍दार जगतपाल ने कराया था। इस मंदिर को भारत का पांचवा धाम माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि जगन्‍नाथ की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब तक राजिम की यात्रा न कर ली जायेा राजिम में प्रति वर्ष माघी पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक एक माह का मेला लगता है। इसमें काफी भीड देखी जा सकती है। यहां देश- विदेश से काफी संख्‍या में साधु- संत आते हैं।
  • इसे एक तीर्थ के रूप में मान्‍यता मिली है।
शिवरीनारायण का मेला 
  • शिवरीनारायण जांजगिर जिले में स्थि‍त है, जो कि महानदी, शिवनाथ एवं जोंक नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। प्राचीन मान्‍यता के अनुसार यहां पर भगवान श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर खाये थे।
  • हां के प्रसिध्‍द मंदिरों में नारायण मंदिर, लखनेश्‍वर शिव मंदिर, चन्‍द्रबुध्‍देश्‍वर मंदिर प्रमुख है।
  • शिवरीनारायण मंदिर में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक एक विशाल मेले का आयोजन होता है। इस मेले में लाखों संख्‍या में श्रध्‍दालु एवं तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
डोंगरगढ का मेला 
  • मां बम्‍लेश्‍वरी का मंदिर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ की पहाडी पर स्थित है। डोंगरगढ मुम्‍बई हावडा रेलमार्ग पर स्थ्ति है। इस मंदिर में दोनों नवरात्रि पर मेला लगता है, जो बम्‍लेश्‍वरी के दर्शन के लिए प्रसिध्‍द है। छत्‍तीसगढी बोली में लोग इसे बमलाई दाई के नाम से पुकारते हैं।
  • इस मंदिर का निर्माण राजा कामदेव द्वारा की गई थी। इस मंदिर में लोखों की संख्‍या में ज्‍योति कलश स्‍थातिप की जाती है। इस मंदिर में लाखों की संख्‍या में दर्शन के लिए आते हैं। यहां लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पैदल यात्रा करने आते हैं। यह मंदिर डोंगरगढ की पहाडी की चोटी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए सीढी एवं लिफ्ट की व्‍यवस्‍था की गई है।
रतनपुर का मेला 
  • रतनपुर छत्‍तीसगढ के बिलासपुर जिले में स्थित है। रतनपुर को छत्‍तीसगढ की पहली राजधानी बनने का गौरव प्राप्‍त है। रतनपुर में महामाया देवी का भव्‍य मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 11 शताब्‍दी में राजा रत्‍नदेव ने कराया था। इस भव्‍य मंदिर में नवरात्रि में मेला लगता है।
  • यहां पर लोखों की संख्‍या में ज्‍योति कलश की स्‍थापना की जाती है। यहां दूर- दूर से श्रध्‍दालू एवं भक्‍तगण महामाया देवी के दर्शन के लिए आते हैं।
  • यहां दर्शननार्थियों के लिए महामाया ट्रस्‍ट की ओर से नि:शुल्‍क भोजन की व्‍यवस्‍‍था की जाती है।
चम्पारण का मेला 
  • वल्लभाचार्य की भूमि चम्पारण पर माघ-पूर्णिमा के अवसर पर यह मेला लगता है।
बस्तर का दशहरा मेला 
  • यह विश्वप्रसिद्ध आदिवासी मेला है, जो अक्टूबर माह में आयोजित होता है।
  • इसमें लकड़ी का एक विशाल रथ बनाया जाता है जिसे हजारों आदिवासी श्रद्धापूर्वक खींचते हैं।
  • इसका उत्सव कई महीनों से प्रारम्भ हो जाता है।
शिवरीनारायण मेला 
  • यह मेला प्रतिवर्ष शिवरीनारायण में माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक आयोजित होता है।
  • इसमें लाखों तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
माँ बम्लेश्वरी मेला
  • इस मेले का आयोजन राजनांदगाँव जिले के डोंगरगढ़ में प्रतिवर्ष दोनों नवरात्रि के अवसर पर होता है। यह मेला डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर लगता है। यह अत्यधिक भव्य मेला है। यह मेला माता बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए प्रसिद्ध है। डोंगरगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित बम्लेश्वरी मंदिर में लाखों की संख्या में ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। ये श्रद्धालु बड़ी दूर-दूर से आते हैं।
शंकरजी का मेला 
  • छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में कनकी नामक स्थान पर अनेक वर्षों से लगने वाला यह मेला अपने चमत्कारिक कहानियों के कारण प्रसिद्ध है।
  • सात दिनों तक चलने वाले इस मेले का प्रारंभ फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि के अवसर पर होता है।
रतनपुर का मेला
  • रतनपुर स्थित महामाया देवी के मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर इस मेले का आयोजन होता है।
बस्तर का मड़ई मेला
  • यह मेला बस्तर के अनेक ग्रामों में दीपावली के बाद लगता है। यह मेला दिसम्बर से फरवरी तक आयोजित होता है।
  • इसमें मेला स्थल पर आसपास के ग्रामवासी अपने देवी-देवता के साथ आते हैं ।
  • इस अवसर पर काफी संख्या में दुकानें लगती है, धार्मिक आयोजन भी होता है।
  • मड़ई के दिनों में रात्रि को नृत्य किया जाता है।
  • नारायणपुर की मड़ई विश्वप्रसिद्ध है।
खल्लारी का मेला
  • यह मेला महासमुन्द जिले में प्रतिवर्ष नवरात्रि के बाद आने वाली पूर्णिमा के अवसर पर प्रारंभ होता है।
दन्तेश्वरी देवी का मेला 
  • बस्तर की सुरम्य वादियों में दन्तेवाड़ा जिले में स्थित दन्तेश्वरी देवी का मेला प्रतिवर्ष नवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रारंभ होता है।
नारायणपुर का मेला
  • यह फरवरी माह में नारायणपुर में लगने वाला आकर्षक मेला है।
  • इस मेले में काफी संख्या में विदेशी पर्यटक भी भाग लेते हैं।
सिहावा का श्रृंगी ऋषि का मेला  
  • यह मेला माघ माह में पूर्णिमा के अवसर पर लगता है।
  • सिहावा महानदी का उद्गम स्थल है।
  • अतः इस मेले में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।
सिरपुर का मेला  
  • इस मेले का आयोजन महासमुन्द जिले के सिरपुर में होता है।
गंगा दशहरा का मेला 
  • भौगोलिक दृष्टि से उत्तरी क्षेत्र में कोरिया अंचल के पटना, बैकुठपुर, चिरमिरी आदि कई स्थानों में गंगा दशहरा के अवसर पर मेला भरता है तो पुराने रजवाड़े नगरों में, विशेषकर जगदलपुर में दशहरा का मेला प्रमुख है, किन्तु खैरागढ़ के अलावा खंडुआ (सिमगा), ओड़ेकेरा और जैजैपुर में भी दशहरा के अवसर पर विशाल मेला भरता है और भण्डारपुरी में दशहरा के अगले दिन मेला भरता है।
  • सारंगढ़ अंचल के अनेक स्थलों में विष्णु यज्ञों का आयोजन होता है और यह मेले का स्वरुप ले लेता है, जिन्हें हरिहाट मेला भी कहा जाता है।
  • सारंगढ अंचम में सहजपाली और पोरथ में मकर संक्रांति पर मेला लगता है।
छत्तीसगढ़ का मेला त्योहार अनुसार 
मांघ पूर्णिमा से महाशिव रात्रि तक 
  • राजिम मेला – गरियाबंद
  • सिरपुर मेला – महासमुंद
  • दामा खेड़ा मेला – बलौदा बाजार
  • कुदुरमाल मेला – जांजगीर चांपा
  • शिवरी नारायण – जांजगीर चांपा
मांघ पूर्णिमा के दिन लगने वाला मेला
  • रतनपुर मेला – बिलासपुर
  • बेलपान मेला – तखतपुर बिलासपुर
  • कर्णेश्वर मेला – सिहावा धमतरी
  • सेतु गंगा मेला – मुंगेली
महाशिव रात्रि के दिन लगने वाला मेला
  • मल्हार मेला – बिलासपुर
  • कनकी मेला – बिलासपुर
  • बरगढ़ मेला – रायगढ़
  • तुर्की मेला – जांजगीर चांपा
राम नवमीं में लगने वाला मेला
  • डोगरगढ़ मेला – राजनांदगाँव
  • भोरमदेव मेला – कवर्धा
  • रतनपुर मेला – बिलासपुर
  • चन्द्रपुर मेला – जांजगीर चांपा
  • डमरा मेला – जांजगीर चांपा
  • खल्लारी मेला – महासमुंद
  • मंडवारानी मेला – कोरबा
बंसत पंचमी में लगने वाला मेला 
  • गिरौदपुरी मेला – बलौदा बाजार
  • कुटीघाट मेला – जांजगीर चांपा
  • तुरतुरिया मेला – बलौदाबाजार (पौष पूर्णिमा)
कार्तिक पूर्णिमा में लगने वाला मेला
  • महादेव घाट – खारून नदी के किनारे (रायपुर)
मकर संक्रांति में लगने वाला मेला
  • लखन घाट मेला – जांजगीर चांपा (हसदेव नदी के किनारे)
  • दलहा पहाड़ मेला (नाग पंचमी)
महीनो में लगने वाले मेले
  • जनवरी – जाटलूर में कोंडाइमटा
  • फरवरी – अंतागढ़ , भानुप्रतापपुर , नारायणपुर व रामराम के मेले
  • मार्च – दंतेवाड़ा का 9 दिवसीय मेला , खेशकाल कोंडागांव व शाकलणाऱ्यान के मेले
  • मई – इलमीरी में पोचमपदेवी का मेला
  • सितम्बर – लिनेश्वरी मेला अलोर
छत्तीसगढ़ में मेले का टेबल 
क्रमांक मेला का नाम आयोजित जगह
1. सिरपुर का मेला सिरपुर (महासमुंद)
2. रतनपुर का मेला रतनपुर (बिलासपुर)
3. दशहरा का मेला जगदलपुर (बस्तर)
4. कर्णेश्वर का मेला देऊरपार बुनेस्वर, सिहावा, धमतरी 
5. बम्हनी का मेला बहमनी (महासमुंद)
6. चम्पारण का मेला चम्पारण राजिम (रायपुर)
7. चंडी मेला बिरकोनी (महासमुंद)
8. दंतेश्वरी मेला दंतेवाड़ा
9. गिरौधपुरी का मेला गिरौधपुर (रायपुर)
10. महादेव घाट मेला रायपुरा (रायपुर)
11. भोरमदेव का मेला भोरमदेव (कबीरधाम)
12. माँ बंजारी धाम मेला खपरिभात्ति, तिल्दा (रायपुर)
13. नरसिंग मेला रायपुर
14. डोंगापथरा का मेला खरेंगा (धमतरी)
15. रुद्रेश्वर का मेला रुद्री (धमतरी)
16. बिलाई माता का मेला धमतरी
17. कबीरपंथियो का मेला कुदुरमाल ,चाम्पा
18. दामाखेड़ा का मेला  दामाखेड़ा ( रायपुर ) 
19. माँ बम्लेश्वरी का मेला  डोंगरगढ़ ( राजनांदगाव ) 
20. खल्लारी का मेला  खल्लारी ( महासमुंद )
21. श्रृंगी ऋषि का मेला  सिहावा ( धमतरी )
22. तुरतुरिया का मेला  तुरतुरिया – कसडोल – रायपुर  
23. झलमला का मेला  झलमला ( राजनांदगाव ) 
24. बिल्हा का मेला  बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा )
25. उपका का मेला  बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा )
26. सेतगंगा  का मेला  बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा )
27. बेलपान का मेला  बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा )
28. मल्हार का मेला  बिलासपुर जिला ( महाशिवरात्रि )
29. कनकी का मेला  बिलासपुर जिला ( महाशिवरात्रि )
30. सेमरसोत का मेला   बिलासपुर जिला ( महाशिवरात्रि )
31. देवरघात का मेला  जांजगीर- चापा ( होली ) 
32. शिवरीनारायण का मेला    जांजगीर- चापा ( मकरसक्रांति )
33. लाखंघात का मेला  जांजगीर- चापा ( होली )
34. पीथमपुर का मेला  जांजगीर- चापा 
35. अखरार का मेला  कोरबा  ( जनवरी ) 
36. कटघोरा का मेला   कोरबा  ( जनवरी )
37. रामगढ़ का मेला   सरगुजा जिला 
38. देवगढ़ का मेला   सरगुजा जिला 
39. महेशगढ़ का मेला   सरगुजा जिला 
40. सीतापुर का मेला   सरगुजा जिला 
41. सूरजपुर का मेला   सरगुजा जिला 
42. कुदरगढ़ का मेला   सरगुजा जिला 
43. लाची का मेला   सरगुजा जिला 
44. करवा का मेला   सरगुजा जिला 
45. कल्याणपुर का मेला   सरगुजा जिला 
46. धीर्राका मेला   सरगुजा जिला 
47. डिपाली का मेला   सरगुजा जिला 
48. हकला का मेला   सरगुजा जिला 
49. दुर्गापुर का मेला    सरगुजा जिला 
50. रहनत का मेला   सरगुजा जिला 
51. करिचलागली का मेला   सरगुजा जिला 
52. सोनहत का मेला   सरगुजा जिला 
53. तातापानी का मेला   सरगुजा जिला 
54. कैलाशपुर का मेला   सरगुजा जिला 

 

इन्हें भी देखे 
FAQs

छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मेला कौन है?

छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मेला माघी पूर्णिमा के समय शिवरीनारायण में मेला लगता है, जो छग का सबसे बड़ा मेला है।

शिवरीनारायण में मेला कब लगता है?

चंपारण का मेला कब लगता है?

चम्पारण का मेला - वल्लभाचार्य की भूमि चम्पारण पर माघ-पूर्णिमा के अवसर पर यह मेला लगता है।

गंगा दशहरा का मेला कब होता है?

उत्तरी क्षेत्र में कोरिया अंचल के पटना, बैकुठपुर, चिरमिरी आदि कई स्थानों में गंगा दशहरा के अवसर पर मेला भरता है तो पुराने रजवाड़े नगरों में, विशेषकर जगदलपुर में दशहरा का मेला प्रमुख है, किन्तु खैरागढ़ के अलावा खंडुआ (सिमगा), ओड़ेकेरा और जैजैपुर में भी दशहरा के अवसर पर विशाल मेला भरता है

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