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छत्तीसगढ़ की कृषि व्यवस्था

छत्तीसगढ़ की कृषि – Agriculture of Chhattisgarh [CG Ki Krishi Hindi ]

छत्तीसगढ़ की कृषि- छत्तीसगढ़ राज्य की मुख्य फसल धान है। छत्तीसगढ़ को मध्य भारत का धान ( चावल ) का कटोरा भी कहा जाता है। राज्य में धान के अतिरिक्त, अनाज जैसे मक्का, कोदो-कुत्की और अन्य छोटे बाजरा, दलिया जैसे तुअर, कुल्थी, तिलहन जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी भी उगाए जाते हैं।

छत्तीसगढ़ की कृषि – Agriculture of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ राज्य की कृषि में लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या का जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर है। प्रदेश के 37.46 लाख कृषक परिवारों में से 76 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते है वर्तमान में प्रदेश के सभी सिंचाई स्त्रोतों से लगभग 36 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है, जिसमें से सर्वाधिक 52 प्रतिशत क्षेत्र जलाशयोंया नहरों के माध्यम से सिंचित है एवं 29 प्रतिशत क्षेत्र नलकूप से सुनिश्चित सिंचाई के अंतर्गत आते हैं।

यहाँ कृषि अधिकांशत वर्षा पर निर्भर है प्रदेश की लगभग 55 प्रतिशत काश्त भूमि की जलधारण क्षमता कम होने के कारण, बिना सिंचाई साधन के दूसरी फसल लेना संभव नहीं है।प्रदेश को सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन की श्रेणी में राष्ट्रीय कृषि कर्मण” प्रथम पुरस्कार राशि रू. 5.00 करोड़ से 5 फरवरी, 2020 को सम्मानित किया गया।

छत्तीसगढ़ राज्य की कृषि महत्वपूर्ण बाते 

  • छत्तीसगढ़ राज्य में 80 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुडी गतिविधियों में लगी है।
  • 137.9 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से कुल कृषि क्षेत्र कुल क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत है।
  • खेती का प्रमुख मौसम ख़रीफ हैं।
  • चावल यहाँ की मुख्य फ़सल है।
  • अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें हैं- मक्का, गेंहू कच्चा अनाज, मूँगफली और दलहन।
  • राज्य में धान का सर्वाधिक भंडार है।
  • यहाँ पर लगभग 3.03 लाख हेक्टेयर में बागवानी फ़सलें उगाई जाती हैं।

एक विस्तृत और लहरदार प्रदेश छ्त्तीसगढ़ में चावल और अनाज की खेती होती है। निम्नभूमि में चावल बहुतायत में होता है, जबकि उच्चभूमि में मक्का और मोटे अनाज की खेती होती है। क्षेत्र की महत्त्वपर्ण नक़दी फ़सलों में कपास और तिलहन शामिल हैं। बेसिन में आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रचलन धीमी गति से हो रहा है।

कृषि की दृष्टि से यह एक बेहद उपजाऊ क्षेत्र है। यह देश का ‘धान का कटोरा‘ कहलाता है और 600 से ज़्यादा चावल मिलों को अनाज की आपूर्ति करता है। कुल क्षेत्र का आधे से कम क्षेत्र कृषि योग्य है, हालांकि स्थलाकृति, वर्षा और मिट्टी में विविधता के कारण इसका वितरण असमान है। यहाँ की कृषि की विशेषता कम उत्पादन और खेती की पारंपरिक विधियों का प्रयोग है।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख फसल – Major crops of Chhattisgarh

चावल  ( Rice )

यह छत्तीसगढ़ राज्य की मुख्य फसल है । यहाँ । सर्वाधिक उत्पादन चावल का ही होता है । छत्तीसगढ़ प्रदेश में कुल कृषि योग्य भूमि के 67 % भाग में चावल की खेती होती है । राज्य के लगभग 36 लाख हेक्टेयर भूमि पर चावल की खेती होती है । चावल की फसल वर्षा ऋतु के आरम्भ में बोई जाती है। छत्तीसगढ़ में चावल मुख्यतः मैदानी भागों में अधिक होता है । इसके क्षेत्र हैं – दुर्ग , जांजगीर – चाँपा , रायपुर , बिलासपुर , राजनान्दगाँव , कोरबा , सरगुजा राज्य में चावल का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 2 , 160 किग्रा है ।

गेहूं ( Wheat )

छत्तीसगढ़ में गेहूं के अन्तर्गत कम क्षेत्रफल (1 . 5 %) का मुख्य कारण शीतकाल में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है । कांकेर ,कोयलाबेड़ा , सामरी तहसीलों में गेहूँ के अन्तर्गत कुल भूमि का 1 % या कुछ । अधिक है । कोण्टा , बीजापुर , दन्तेवाड़ा तहसीलों में गेहूं की खेती नगण्य है । इसके पश्चात् क्रमशः दुर्ग , रायपुर , बिलासपुर , राजनान्दगाँव , रायगढ़ तथा बस्तर का स्थान है ।

कोदो कुटकी (Kodo Kutki)छत्तीसगढ़ में कोदो – कुटकी मोटे अनाज की फसल है धान के पश्चात् कोदो – कुटकी राज्य की दूसरी प्रमुख उपज है । इसे गरीबों का अनाज कहा जाता है । वर्ष 2012 – 13 में 1 . 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में यह फसल बोई गई थी । सरगुजा मक्का का सर्वाधिक उत्पादक जिला है ।

अरहर (Tur)

यह एक प्रमुख दलहन फसल है । इस फसल को जुलाई-अगस्त में बोया जाता है । तथा मार्च-अप्रैल में काटा जाता है । इसे वर्षा के आरम्भ में कपास एवं ज्वार के साथ बोया जाता है । इस फसल के साथ ज्वार और कपास की फसल बोई जाती है ।

ज्वार (High Tide)

ज्वार खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है , लेकिन ज्वार का खरीफ क्षेत्र अधिक है । यह जून – जुलाई में बोई जाती है एवं सितम्बर – अक्टूबर में काट ली जाती है ।

मक्का (Corn)

यह छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी हिस्सों में बहुत छोटे पैमाने पर उगाई जाती है । अक्सर किसान अपनी बाड़ियों में इसकी फसल बोते हैं,सरगुजा , बस्तर , दन्तेवाड़ा , कोरिया , जशपुर , कोरबा , बिलासपुर आदि प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं ।

कपास (Cotton)

छत्तीसगढ़ राज्य में कपास का उत्पादन नहीं होता । यद्यपि दन्तेवाड़ा , बस्तर , सरगुजा । एवं धमतरी जिलों में अत्यल्प क्षेत्र में इसकी खेती की जा रही है । केन्द्रीय पोषित सघन कपास विकास कार्यक्रम जगदलपुर , दन्तेवाड़ा और कांकेर जिलों में चलाया जा रहा है ।

गन्ना (Sugarcane)

छत्तीसगढ़ राज्य में गन्ने की खेती यदा – कदा की । जाती है । राजनान्दगाँव , कबीरधाम , दुर्ग , रायपुर तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में । | गन्ने की खेती की जाती है । सरगुजा , रायगढ़ , बस्तर तथा बिलासपुर जिलों में इसकी खेती होती है । गन्ने की । खेती राज्य के 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है । राज्य के रायगढ़ में शक्कर मिल की स्थापना प्रस्तावित है ।

उड़द (kedney bean)

राज्य में दलहन में चने के बाद उड़द का दूसरा स्थान है । इसके उत्पादन में अग्रणी जिले रायगढ़ , कोरबा , धमतरी एवं महासमुन्द हैं , जबकि आवश्यकतानुसार यह सभी जिलों में उड़द बोई जाती है ।

सन ( जूट ) तथा मेस्टा

छत्तीसगढ़ में सन तथा मेस्टा का उत्पादन केवल रायगढ़ में होता है , क्योंकि यहाँ इस राज्य की एकमात्र जूट मिल स्थापित हैं।

सनई (Sanai)

छत्तीसगढ़ राज्य में इसका उत्पादन केवल रायगढ़ जिले में होता है , जो यहाँ की जूट मिलों के लिए जूट के विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है ।

सरसों ( Mustard )

सरसों छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख तिलहन फसलों में से एक है । सरसों की भाजी व फल का यहाँ विशेष महत्त्व है ।

अलसी (linseed)

यह छत्तीसगढ़ राज्य की परम्परागत तिलहन फसल है , जिसका उपयोग प्राचीन समय से यहाँ के लोग खाद्य तेल के रूप में करते । आए हैं । प्रदेश में यह उत्तरा फसल के रूप में बोई जाती है । अलसी सम्पूर्ण प्रदेश की सर्वाधिक लोकप्रिय तिलहन है ।

चना (Gram)

छत्तीसगढ़ में चना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र दुर्ग , कबीरधाम , बिलासपुर , राजनान्दगाँव , रायपुर इत्यादि हैं ।

मूंगफली ( Peanut )

यह छत्तीसगढ़ प्रदेश में रायगढ़ , महासमुन्द , सरगुजा , बिलासपुर , जांजगीर – चाँपा तथा रायपुर जिलों में मुख्यतः बोई जाती है । मूंगफली का उपयोग तेल एवं भोज्य पदार्थ दोनों के लिए किया जाता है । यह मुख्यतः खरीफ की फसल है । ।

छत्तीसगढ़ राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा – Promotion of organic farming

  • छत्तीसगढ़ राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2014 से राज्य पोषित जैविक खेती मिशन एवं वर्ष 2016 से केन्द्र प्रवर्तित परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित है। पूर्व में योजनाओं का क्रियान्वयन 05 जिलों में शुरू किया गया।
  • इन योजनाओं का विस्तार समस्त जिलों में करते हुए 05 जिले गरियाबंद, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा एवं नारायणपुर को पूर्ण जैविक जिला एवं शेष 22 जिलों के एक-एक विकासखंड को पूर्ण जैविक बनाने हेतु कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
  • जैविक खेती मिशन अंतर्गत वर्ष 2019 20 में 10,990 एकड़ एवं परंपरागत कृषि विकास योजना में 50,000 एकड़ में फसल प्रदर्शन का आयोजन किया गया वर्ष 2020-21 में जैविक खेती मिशन का 7.290 एकड़ में तथा परम्परागत कृषि विकास योजना का 50,000 एकड़ में क्रियान्वयन कर कुल 57.290 एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रमुख जैविक फसलें – major organic crops

छत्तीसगढ़ राज्य में धान की सुगंधित किस्में बासमती, बादशाह भोग, दुबराज, पुसा सुगंध, जवाफूल, मोतीचुर, जीराफूल, तुलसी-मंजरी, काली कमोद, लोक्टीमांछी, कालीगिलास, तिलकरतुरी (Green Rice), मक्का एवं लघु धान्य फसलें-कोदो-कुटकी, रागी, सांया, कोसरा आदि एवं दलहन-तिलहन फसलें अरहर, उड़द, मूंग, कुल्थी, तिल की जैविक खेती की जा रही है।

सरकार की गोधन न्याय योजना

  • यह “सुराजी गांव योजना” के माध्यम से नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान प्रारंभ किया है सांस्कृतिक परंपरा से परिपूर्ण इस कार्यक्रम को सरकार ने अपनाते हुए इसको एक अभियान के रूप में लिया है।
  • छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 में हरेली के दिन 20.07.2020 को “गोधन न्याय योजना” का शुभारंभ किया गया।
  • इसके अंतर्गत सुराजी गांव में स्थापित गौठानों के माध्यम से गौठान समितियों द्वारा रू. 2 प्रति किलो की दर से अद्यतन 28.52 लाख क्विंटल गोवर 1.35 लाख पशुपालकों से क्रय कर गौठान स्व-सहायता समूहों द्वारा 5,888 क्विटल वर्मी खाद का उत्पादन किया जा चुका है एवं सहकारी समितियों के माध्यम से 1,540 किंजल वर्मी खाद रू.8 प्रति किलो की दर से किसानों को विक्रय किया जा चुका है।

FAQ

Q: छत्तीसगढ़ में कौन सी खेती की जाती है?
Ans:छत्तीसगढ़ राज्य की मुख्य फसल धान है। छत्तीसगढ़ को मध्य भारत का धान ( चावल ) का कटोरा भी कहा जाता है। राज्य में धान के अतिरिक्त, अनाज जैसे मक्का, कोदो-कुत्की और अन्य छोटे बाजरा, दलिया जैसे तुअर, कुल्थी, तिलहन जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी भी उगाए जाते हैं।

Q: छत्तीसगढ़ की कौन सी जनजाति झूम कृषि करती है?
Ans: माड़िया जनजाति माड़िया एक जनजाति है जो महाराष्ट्र के चन्द्रपुर और गढ़चिरौली जिलों में, तथा छत्तीसगढ़ के बस्तर प्रखण्ड में पायी जाती है। ये लोग गोंडी भाषा की माड़िया उपभाषा बोलते हैं। अबूझमाड़ के अनगढ़ जंगलों में निवास करने वाली इस जनजाति निवास ने आजतक अपनी मूल परंपरा और संस्कृति को सहेज कर रखा हुआ है।

Q: छत्तीसगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र की संख्या कितनी है?
Ans: छत्तीसगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र की संख्या 28 है,सामान्य रूप से छत्तीसगढ़ में संचालित 27 कृषि विज्ञान केंद्रों का संचालन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा किया जा रहा है

Q: छत्तीसगढ़ में किसकी खेती होती है?
Ans: छत्तीसगढ़ में चावल और अनाज की खेती होती है। निम्नभूमि में चावल बहुतायत में होता है, जबकि उच्चभूमि में मक्का और मोटे अनाज की खेती होती हैक्षेत्र की महत्त्वपर्ण नक़दी फ़सलों में कपास और तिलहन शामिल हैं।

Q: छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक दलहन फसल कौन सी है?
Ans: छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ,रबी एवं जायद तीनों प्रकार की फसलें उपजाई जाती हैं , परन्तु मुख्य कृषि खरीफ में होती है । धान प्रमुख है . प्रमुख तिलहन फसल – मूंगफली एवं प्रमुख दलहन फसल – चना है ।

Q: छत्तीसगढ़ में कहा और कैसे झूम खेती की जाती है?
Ans: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की बात करें तो यहां किसान हजारों की संख्या में फूल, फल और सब्जियों की खेती में लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।

Q: छत्तीसगढ़ में प्रमुख फसल कौन सी है?
Ans: छत्तीसगढ़ मेंधान, सोयाबीन, उड़द एवं अरहर खरीफ मौसम की मुख्य फसलें है तथा रबी मौसम में मुख्य रूप से चना एवं तिवड़ा का उत्पादन लिया जाता है।

Q: छत्तीसगढ़ में कुल कितने किसान हैं?
Ans:छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 37.46 लाख कृषक परिवार है, जिसमें से लगभग 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी के है।

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