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छत्तीसगढ़ का पर्यटन स्थल

छत्तीसगढ़ का पर्यटन स्थल

छत्तीसगढ़ राज्य मध्य भारत का एक विशाल वनों से घिरा हुआ राज्य है जो अपने मंदिरों और झरनों के लिए जाना जाता है छत्तीसगढ़ भारत का 10 वां सबसे बड़ा और 16 वां सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। छत्तीसगढ़ को मुख्य रूप से दक्षिण कोसल के रूप में जाना जाता है जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है।

छत्तीसगढ़ की जलवायु भिन्न होने के साथ प्राकृतिक विविधता और छत्तीसगढ़ की कला व सांस्कृति पारंपरिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है , छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे भारत के सबसे लोकप्रिय हॉलिडे स्थलों में विकसित हो रहा है। यह पर्यटन के लिए एक अपेक्षाकृत ऑफबीट गंतव्य है जो इसे यात्रा करने के लिए एक अद्भुत स्थान बनाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो बिल्कुल एकांत और कम भीड़ वाले स्थानों से प्यार करते हैं। घने जंगलो में स्थित जलप्रपातों, प्राचीन मंदिरों, स्मारकों और संस्कृति आज भी राज्य के पुराने इतिहास और परंपराओं की याद दिलाती है, छत्तीसगढ़ में वह सब कुछ है जो आप छुट्टियों के दौरान देखना चाहते हैं।

छत्‍तीसगढ़ प्रकृति की गोद में बसा हुआ है इस कारण छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सुंदरता से भरा पड़ा है। यह राज्‍य देश का हृदय स्‍थल होने के कारण यह अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक एवं प्राकृतिक दर्शनीय स्‍थलों से परिपूर्ण है।

यहां अनेक धर्म सम्‍प्रदायों की उत्‍पत्ति हुई है एवं उनकी प्रचार स्‍थली है। पर्यटन की दृष्टिकोण से छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के छोटे-बड़े लगभग 100 से ज्यादा  स्‍थान, पर्यटन स्‍थल के रूप में चिन्‍हांकित किए गए हैं।

छत्‍तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के उददेश्‍य से 2002 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पर्यटन मंडल का गठन किया गया है। छत्‍तीसगढ़ पर्यटन मंडल का उद्देश्‍य है कि राज्‍य को एक अंतर्राष्‍ट्रीयस्‍तर के पर्यटन राज्‍य के रूप में विकसित करना तथा राज्‍य की सांस्‍कृतिक धरोवर को संरक्षितव समृद्धि करना।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल
भोरमदेव मंदिर
  • भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर प्रदेश का एक ऐतिहासिक मंदिर है जो कबीरधाम से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर चौराग्राम में मैकल श्रेणी पर स्थित है। फणीनागवंशी शासक गोपाल देव द्वारा 11वीं सदी में इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण कराया गया था।
  • यहां के दीवारों पर विभिन्न काम मुद्राओं में अनुरक्त युगलों का कलात्मक अंकन किया गया है। इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। भोरमदेव क्षेत्र के आस-पास भोरमदेव अभ्यारण्य है जहां प्राकृतिक रूप से जंगली जानवरों को विचरण करते देखा जा सकता है।
  • चैत्र रामनवमी के अवसर पर यहां लगने वाला भव्य मेला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होता है।
  • भोरमदेव महोत्सव में विदेशों के कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाती है जो राज्य सरकार के लिए एक गौरवान्वित करने वाले महोत्सव के रूप में अपनी विशेषताओं को समेटे हुये है।
राजिम धार्मिक स्थल
  • राजिम छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी के नाम से प्रसिद्ध राजिम नगरी, महानदी, पैरी नदी और सोंढूर नदी के त्रिवेणी संगम पर गरियाबंद जिले में स्थित है। यह छत्तीसगढ़ में सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
  • यहां पर नलवंशीय शासक विलासतुंग के द्वारा 7वीं 8वीं शताब्दी में निर्मित राजीव लोचन मंदिर स्थित है। साथ ही संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है जहां से पंचकोशी यात्रा का शुभारंभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त विशाल बटवृक्ष स्थित है जिसे कृष्ण वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह पावन नगरी भारत के पांचवें धाम के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक भव्य मेले का आयोजन होता है जिसे छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पांचवें कुभ मेले का दर्जा दिया गया है।
डोंगरगढ़ तीर्थ स्थल
  • डोंगरगढ़ को छत्तीसगढ़ का तीर्थस्थल माना जाता है और यह एक शीर्ष पर्यटक आकर्षण भी है। माँ बम्लेश्वरी के नाम से यहाँ एक प्रसिद्ध मंदिर है जो लगभग 1,600 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। मंदिर को बाडी बम्लेश्वरी भी कहा जाता है। एक और मंदिर जो इस मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, को छोटा बम्लेश्वरी के नाम से जाना जाता है।
  • दशहरा के दौरान और चैत्र (रामनवमी के दौरान) के नवरात्रों के समय मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ यहां आती है। नवरात्रों के अवसर के दौरान, मंदिर में मेलों का आयोजन किया जाता है जो दिन में लंबे समय तक रहता है। यदि आप वर्ष के इस समय में छत्तीसगढ़ घुमने के लिए आते हैं, तो यहां देखने के लिए बहुत कुछ है।
गिरौधपुरी जैतखाम
  • गिरौदपुरी सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरुघासीदासजी की जन्म स्थली है जो बलौदाबाजार जिले में स्थित है।
  • छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथियों के लिये यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जहाँ कुतुबमीनार से भी ऊँचे जैतखाम का निर्माण किया गया है।
  • यहां पर फाल्गुन पंचमी के दिवस विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश के लोग भी सम्मिलित होते हैं।
मैनपाट पर्यटन स्थल
  • मैनपाट छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से प्रसिद्ध मैनपाट, सरगुजा जिले में स्थित है। यह स्थल सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
  • मैनपाट एक अंडरग्राउंड हिल स्टेशन है। हिल स्टेशन को अभी तक पूरी तरह से व्यवसायिक नहीं बनाया गया है यही वजह है कि बहुत कम पर्यटक इस जगह के बारे में जानते हैं। मैनपाट को अक्सर छत्तीसगढ़ के शिमला और “मिनी तिब्बत” के रूप में कहा जाता है।
  • तिब्बत पर चीनी आक्रमण के बाद तिब्बत शरणार्थियों का पुनर्वास मैनपाट में किया गया था और तब से उन्हें मैनपाट में घर मिल गया है। मैनपाट में संस्कृतियों और विविध परंपराओं का संगम केवल सुरम्य गांव के आकर्षण को जोड़ता है। व्यस्त जीवन से दूर होकर कुछ दिन सुकून और शांति पाने वाले पर्यटकों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
  • मैनपाट क्षेत्र में बॉक्साइड खनिज पाये जाते हैं। यहां पर सन् 1962 में तिब्बतियों को बसाया गया था। यह स्थल छत्तीसगढ़ का सबसे ठण्डा स्थल होने के साथ ही साथ एक पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
  • भूकंपीय अर्थात् जलजलीय क्षेत्र एवं विभिन्न अवसरों पर आयोजित होने वाले मेले देश-विदेश के पर्यटकों को बिना डोर खींच लाने में एक महती भूमिका अदा करते हैं।
  • यहाँ पर स्थित घुमने योग्य जगह –
  1. हिल-प्वाईंट
  2. टाईगर-प्वाईंट
  3. ईको-प्वाईंट
  4. उल्टा पानी
  5. बौद्ध मंदिर
लक्ष्मण मंदिर सिरपुर
  • लक्ष्मण मंदिर प्राचीन स्मारक है जो ‘गहरे प्रेम’ का एक अनूठा उदाहरण है। यह पति के प्यार का प्रतीक है,नागर शैली का यह मंदिर रानी वासाटा देवी, राजा हर्षगुप्त की स्मृति में महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल के दौरान 735-40 ईस्वी में बनवाया था।
  • प्यार का यह अनोखा स्मारक ताजमहल से भी पुराना है।
  • यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन मंदिर के अंदर शेषनाग में लक्ष्मणजी की मूर्ति है, इसीलिए इसे लक्ष्मण मंदिर कहा जाता है।
  • यह छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल में से एक है जिसने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है।
तीरथगढ़ वॉटरफॉल
  • तीरथगढ़ फॉल्स छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। बस्तर जिले में जगदलपुर से लगभग 38 किमी दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में, कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा और बहार नदी में यह झरना स्थित है.
  • यह लगभग 300 फीट की ऊँचाई से गिरते हुए, इनकी सुंदरता उस तरह से दिखती है जैसे की यह कई झरनों में विभाजित हो रहा हैं। झरना हरे भरे जंगल से घिरा हुआ है, जबकि एक छोटा सा मंदिर तीरथगढ़ फॉल्स के बगल में स्थित है।
  • तीरथगढ़ वॉटरफॉल को छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा झरना माना जाता है। इस झरने के पास ही मंदिर है जो शिव जी और पार्वती माता को समर्पित है।
  • स झरने के आसपास हरे भरे वनस्पति है जो यहाँ के वतावरण को और भी खूबसूरत बनाते हैं।
कुनकुरी जशपुर
  • कुनकुरी जशपुर जिले में स्थित ईसाईयों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। जहां पर स्थित चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव प्राप्त है। प्रति वर्ष क्रिसमस के समय यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
  • कुनकुरी के इस चर्च में करीब 10 हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं।
  • 7 छतों में भगवान का संदेश – चर्च में 7 छतें हैं। यह सब एक ही बिम पर टिकी हुई है। चर्च प्रबंधन के अनुसार, यह दर्शाता है कि भगवान ने सभी मनुष्यों का ख्याल रखा है, चर्च आकार में अर्धवृत्ताकार है।
  • यह ईश्वर की फैली हुई भुजाओं के समान है, जो सभी मनुष्यों को अपने पास बुलाती है। इस चर्च में हर साल लगभग 5 लाख लोग आते हैं
जंगल सफारी
  • जंगल सफारी नया रायपुर क्षेत्र के माण्डवा ग्राम में स्थित है जो लगभग 203 हेक्टेयर पर विस्तृत एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है।
  • यहां पर जंगली जानवरों के संरक्षण, संवर्धन एवं पर्यावरणाय विविधता के संरक्षण हेतु आवश्यक उपाय किये गये हैं। जो वन्य प्राणियों के प्रति आम जनता में और विशेष रूप से नई पीढ़ी में आकर्षण और जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • यहां पर वन्य प्राणियों को स्वतंत्र विचरण करते हुये सैलानी बंद गाड़ियों में बैठकर उनका आनंद लेते हैं जो कि इस परियोजना के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य भी है।
काँगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
  • भारत के सबसे घने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक के रूप में जाना जाने वाला, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक समृद्ध जैव विविधता, लुभावनी परिदृश्य, प्राकृतिक झरने, के लिए मशहूर है। पार्क छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर में स्थित है। कांगेर घाटी (घाटी) नेशनल पार्क, 200 किमी के दायरे में फैला है, यह शानदार कांगेर घाटी के बीच एक बायोस्फीयर रिजर्व है, जो 34 किमी तक फैला है।
  • छत्तीसगढ़ के सबसे घने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक के रूप में जाना जाने वाला, यहाँ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक झरने, ऊँचे पहाड़ , गहरी घाटियाँ, विशाल पेड़ और मौसमी जंगली फूलों एवं वन्यजीवन के लिए मशहूर है। यहाँ छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर में स्थित है।
  • छत्तसीगढ़ घूमने आए पर्यटक इस राष्ट्रीय उद्यान को देखने जरूर आते हैं। कांगेर घाटी उद्यान लगभग 200 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ एक विशाल राष्ट्रीय उद्यान है। साथ ही इस उद्यान को एशिया का प्रथम बायोस्फियर रिजर्व (जीवमंडल) घोषित किया गया था,
  • जो वर्तमान में क्रियाशील नही है। इस राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख विशेषता यह है कि यहां बोलने वाली पहाड़ी मैना पायी जाती है। जो अपनी आवाज से सभी को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
  • इसके अतिरिक्त यहां उड़न गिलहरी व रीसस बंदर की उपस्थिति भी पर्यटकों को सम्मोहित करती है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का एक विशिष्ट मिश्रण है जिसमे साल ,सागौन , टीक और बांस के पेड़ बहुताइत में है। यहां शेर, चीतल, तेंदुआ और सांभर भी देखे जा सकते है। और प्राकृतिक गुफाओं जैसे- कुटुम्बसर की गुफा का होना, इस राष्ट्रीय उद्यान को, और भी रमणीय बनाती है।
  • काँगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को देश के सबसे घने राष्ट्रीय उद्यानों में गिना जाता है। जिसकारण से यहाँ काफी जंगली जानवर देखने को मिल जायेगे जैसे की चिता, लंगूर, मगरमछ, मोर इत्यादि. यह उद्यान छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर में स्थित है।
इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान
  • छत्तीसगढ़ का इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान एक टाइगर रिज़र्व है.छत्तीसगढ़ के हरित राज्य में एकमात्र बाघ अभयारण्य, इंद्रावती नेशनल पार्क है। पास में बहती इंद्रावती नदी के कारण इसका नाम पड़ा। छत्तसीगढ़ घूमने आए पर्यटक इस अभयारण्य को देखने जरूर आते हैं।
  • जहा पर आप मुलाकात कर सकते है ना सिर्फ जंगल के राजा से बल्कि नील गाय, काले हिरण इत्यादि जानवरों को नीलगाय, ब्लैक बक, सांभर, गौर, बाघ, तेंदुआ, चीतल, सुस्त भालू और अनगिनत अन्य प्रजातियों के साथ पार्क में दुर्लभ और लुप्तप्राय जंगली एशियाई भैंस भी देखी जा सकती हैं।
  • यह उद्यान छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित है।
धमतरी
  • धमतरी एक प्राचीन शहर है, जो 14 वीं सदी में चालुक्य सम्राज्य का गढ़ हुआ करता था। यह जगह अपनी लोक परंपरा के लिए जानी ही जाती है, साथ ही यहाँ रविशंकर और गंगरेल बांध पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है।
  • धमतरी महानदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित है। ये जिला आज भी आदिवासी इतिहास और संगीत, और नृत्य जैसे विभिन्न पारंपरिक कला रूपों में अपने आदिवासी इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करता है।
चार्रे मर्रे झरना
  • चार्रे मार्रे झरने छत्तीसगढ़ राज्य में घूमने के लिए एक शानदार जगह है। झरना 16 मीटर ऊंचा है और इतनी बड़ी ऊंचाई से गिरने वाला साफ पानी देखने में काफी दर्शनीय है।
  • झरने के तल पर बनने वाले जलाशय में डुबकी लगाने के लिए एकदम सही जगह है। ठंडा पानी आपकी आत्मा और शरीर को जीवंत कर देगा। इस जगह की सुरम्य सुंदरता का आनंद लेते हुए कुछ शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं।
बर्नवापारा वन्यजीव अभयारण्य
  • छत्तीसगढ़ में सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक, बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य है। यह 1976 के वर्ष में स्थापित किया गया था और यह 245 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • बार्नवापारा वन्यजीव अभयारण्य सुबह 6:45 बजे से 11 बजे तक और फिर गर्मी के मौसम में दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक संचालित होता है। सर्दियों के मौसम के दौरान सुबह 6 बजे से 10:30 बजे तक और फिर दोपहर 3 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है।
  • मॉनसून के समय यह अभयारण्य 1 जुलाई से 31 अक्टूबर तक बंद रहता है।
पुरखौती मुक्तांगन
  • पुरखौती मुक्तांगन यहाँ लगभग 200 एकड़ जमीन पर फैली एक विशाल उद्यान है जो रायपुर शहर से करीब 20 किमी की दूरी परग्राम-उपरवारा नया रायपुर में स्थित है। जिसकी उद्घाटन नवंबर 2006 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा किया गया यह आनंदित उद्यान छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति की एक झलक देता है।
  • यहाँ छत्तीसगढ़ की राजधानी नया रायपुर में स्थित है पुरखौती मुक्तांगन, छत्तीसगढ़ के उन्नत रीतिरिवाज, संस्कृति और छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल को दिखाया गया है।
  • अगर आप छत्तीसगढ़ को कम समय में करीब से जानना चाहते हैं तो आपको पुरखौती मुक्तांगन जरूर जाना चाहिए। यह एक खुला संग्राहलय है जहाँ  पुरखों की समृद्ध संस्कृति को  सहज के और सजोने की अच्छी कोशिश की गई है यहाँ आपको आदिवासियों के जीवन सैली, उनके रहन सहन, न्रत्य शैली, छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन केन्द्रों, इत्यादि को बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ दिखाया गया है।
  • छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हुए एक रमणीय उद्यान पुरखौती मुक्तांगन में एक दिन हर पर्यटक को बिताना चाहिए।  माननीय ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने नवंबर 2006 में इस जगह का उद्घाटन किया था। तब से, यह उद्यान एक ऐसा स्थान है जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आकर्षित करता है। ये न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह हमारी जैव-सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण के बारे में सांस्कृतिक जागरूकता भी फैलाता है।
चित्रकोट जलप्रपात
  • चित्रकोट जलप्रपात बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती पर बस्तर जिले में स्थित है। यह पूरे देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है इस कारण इसे भारत के नियाग्रा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है जो स्वाभाविक ही सबसे बड़ा आकर्षण है।
  • यह एडवेंचर-ट्रीप, ट्रैकिंग, पिकनिक आदि के लिए पसंदीदा स्थल है। इतना ही नहीं, खुले मौसम में यहां इंद्रधनुष को भी अपने प्राकृतिक स्वरूप में देखा जा सकता है।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पर्यटन विकास के लिए इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जो पर्यटकों के लिए निश्चय ही सुविधापूर्ण एवं लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं।
ढोलकल गणेश
  • ढोलकल गणेश छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में है यह दंतेवाड़ा से 18 किमी दूर, फरसपाल गाँव के पास बैलाडिला पहाड़ी में लगभग 3000 की ऊँचाई पर स्थित है
  • छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल में से एक है, जिसे रहस्यमय पर्यटन स्थल मन जाता जाता है क्योंकि इतने ऊँचे पहाड़ी पर किसने इस गणेश की मूर्ति को रखा और क्यों रख अभी तक किसी को पता नही है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि भगवान गणेश की यह मूर्ति लगभग 1000+ साल पुरानी हैऔर इस मूर्ति को 9 वीं और 11 वीं शताब्दी के बीच नागवंशी शासकों के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी।
  • अगर आप अपने सफर में रोमांच, ट्रैकिंग पसंद करते हैं तो यह छत्तीसगढ़ का यह पर्यटन स्थल आपके लिए ही है इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको बैलाडीला के जंगलों में ट्रैकिंग करना पड़ेगा जो अपने आप में एक शानदार अनुभव होगा।
दंतेश्वरी मंदिर
  • दंतेश्वरी मंदिर धार्मिक विश्वास एवं श्रद्धा की प्रतीक दंतेश्वरी देवी का मंदिर, शंकिनी एवं डंकिनी नदी के संगम बिन्दु पर दंतेवाड़ा जिले में स्थित है।
  • इस मंदिर का निर्माण 14वीं सदी के प्रथमार्द्ध में काकतीयवंशीय शासक अन्नमदेव के द्वारा करवाया गया था। देवी के नाम पर ही ग्राम का नाम दंतेवाड़ा रखा गया।
  • इस मंदिर के गर्भगृह में मां दंतेश्वरी देवी की प्रतिमा है यह मंदिर काष्ट (लकड़ी) से निर्मित है। यहां पर प्रतिवर्ष नवरात्रि के समय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
मां बम्लेश्वरी मंदिर
  • डोंगरगढ़ राजनांदगांव जिले में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य का प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है जिसे पूर्व में कामावतीपुरी के नाम से जाना जाता था।
  • यहां मां बम्लेश्वरी देवी की मंदिर है जो अपने भक्तों को दर्शन देकर पुनः आने के लिए विवश कर देती है। बम्बलेश्वरी मंदिर का स्थान। 1600 फिट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी के उपर स्थित मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर डोंगरगढ़ का एक प्रमुख आकर्षण और तीर्थ स्थान है।
  • इस मंदिर के साथ कई किंवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं जो भक्तो यहाँ खिचे आने पर मजबूर कर देती है। इस मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर एक और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिसे छोटा बम्लेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है।
  • दशहरा के दौरान और चैत्र (रामनवमी के दौरान) के नवरात्रों के समय मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ यहां आती है। नवरात्रों के अवसर के दौरान, मंदिर में मेलों का आयोजन किया जाता है जो दिन में लंबे समय तक रहता है
खैरागढ़
  • खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित है। इसे छत्तीसगढ़ के प्रथम एवं एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है।
  • इसकी स्थापना राजा बिरेन्द्र बहादुर सिंह तथा रानी पद्मावती द्वारा अपनी पुत्री इंदिरा के नाम पर 14 अक्टूबर 1956 को की गई थी। राजा की पुत्री इंदिरा को संगीत का अत्यधिक शौक था किन्तु उसकी असामयिक मृत्यु ने राजा-रानी को भीतर से तोड़ दिया इसलिए
  • उन्होंने अपने कमल विलास महल में अपनी लाडली पुत्री के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय रखा। इसका आदर्श वाक्य सुस्वरा संतु सर्वेपि’ है।
  • यह विश्वविद्यालय ललितकला के क्षेत्र में स्थापित किया गया अद्वितीय च सर्वोत्तम प्रयास है जिसका सुफल वर्तमान में अनेक संगीत प्रेमियों, दर्शकों, विद्यार्थियों एवं पर्यटकों को मिल रहा है। इसका लाभ राजनांदगांव के स्थानीय निवासियों को भी मिल रहा है।
  • विदेशी सैलानी यहाँ संगीत सीखने के लिए आते हैं जो इसकी प्रसिद्धी का द्योतक है। इस विश्वविद्यालय की महत्ता इस बात से प्रमाणित होती है
  • इस विश्वविद्यालय से अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों ने अध्ययन किया है । और कला देश विदेश में बिखेर रहे है
कुटुम्बसर गुफा
  • कुटुम्बसर की गुफा यह गुफा कागेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में स्थित है। इस गुफा के खोजकर्ता कन्दराशास्त्री एवं भूगोलविद डॉ. शंकर तिवारी जी हैं जिन्होंने 3 दशक पूर्व इस स्थल को खोजकर कई रहस्यों को उजागर किया था।
  • जगदलपुर से लगभग 30 km  दुरी पर स्थित है कैलाश कोटुमसर की गुफाए. पानी के कटाव से बनी ये गुफाए जितनी रोमांचक हैं उतनी आकर्षक भी हैं लेकिन खुद को संभालियेगा यहाँ प्रकृति की कलाकारी देख कर आपके होश उड़ जायेगे.
  • यह गुफ़ा 1993 में खोजी गयी थी और 100 मीटर की क्षेत्र में फैली हुई है. 
  • इस गुफा क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य, अंधी मछलियां, झींगुर, प्राकृतिक शिवलिंग तथा गुफा के भीतर स्टेग्लेलाइट गुफा की छत से लटके चूने की विशेष आकृति) एवं स्टेग्लेमाइट (धरातल पर बनी हुई चूने की विशेष आकृति) इत्यादि प्रकृति की करिश्मायी तत्व मौजूद है।
  • यह गुफा वर्षा काल के दौरान बंद रहती है तथा भ्रमण हेतु नवम्बर से लेकर मई तक खुली रहती है।
मैत्री बाग (भिलाई)
  • यदि आप छत्तीसगढ़ आये है और छत्तीसगढ़ में घूमने की जगह में मैत्री बाग नहीं आये है तो अपने कुछ नहीं देख। क्यूंकि दोस्तों छत्तीसगढ़ में घूमने की जगह में मैत्री बाग सबसे बढ़िया जगहों में से एक है। यहाँ भिलाई (छत्तीसगढ़) में स्थित है, जो पुरे विश्व भर में इस्पात संयंत्र के लिए प्रशिद्ध है
  • यह भिलाई इस्‍पात संयंत्र द्वारा संचालित एक चिड़ियाघर एवं बच्चों का मैत्री बाग है। चिड़ियाघर की मुख्य आकर्षण विदेशी जानवर और एवियन प्रजातियां, झील, टाव्‍य ट्रेन इत्‍यादि हैं।
  • मैत्री बाग कें कृत्रिम झील में द्वीप पर स्थित म्‍यूजिकल फाउटेंन एक पानी का ऐसा गतिशील दृश्य उपस्थित करता है जो संगीत की धुन पर प्रतिक्रिया देता है कि संगीत प्रदर्शन की शैली और तालबद्धता का अर्थ है।
  • जैसे-जैसे संगीत की धुन बदलती है वैसे वैसे हवा में पानी के जेट लहराते है। एक दिन छोड़कर शाम को म्‍यूजिकल फाउटेंन के दो प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। सफेद बाघ चिड़ियाघर का मुख्य आकर्षण हैं। हर साल एक बार यहां फूलों का प्रदर्शन आयोजित किया जाता है।
मडकु द्वीप
  • मडकु द्वीप छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में शिवनाथ के मौन नदी के पास स्थित एक सुंदर द्वीप है। द्वीप एक मेंढक के आकार का है, इसलिए इसे मडकु द्वीप कहा जाता है। इस द्वीप की सुंदरता मंत्रमुग्ध करने वाली मानी जाती है। सुरम्य मडकू द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 24 हेक्टेयर है और यह हरियाली से भरपूर है।
  • यह द्वीप अपने प्राचीन मंदिरों और उनके ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। मडकु द्वीप भगवान शिव, गणेश, शिव-पार्वती, नंदी और कई अन्य देवताओं की कई प्राचीन और अनोखी मूर्तियों का भी घर है। पुराने और नए दोनों तरह के मंदिर हैं ।
  • मडकु द्वीप को केदार तीर्थ और हरिहरक्षेत्र केदार दवेप के नाम से जाना जाता है।
मल्हार
  • मल्हार छत्तीसगढ़ का सबसे ऐतिहासिक शहर है जिसका पुरातत्व महत्व बहुत है। इसकी उत्कृष्ट मूर्तियां और प्राचीन आकर्षण ने इस शहर को प्राचीन स्मारकों, पुरातत्व स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों ’की सूची में स्थान दिया है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बनाए रखा गया है।
  • मल्हार में पाए गए अवशेषों में से कुछ 1000 ईसा पूर्व कलचुरी शासन के हैं।
चिरमिरी हिल स्टेशन
  • चिरमिरी छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। चिरिमिरी या चिरमिरी को ‘छत्तीसगढ़ का जन्नत या स्वर्ग’ कहा जाता है। हरे-भरे हरियाली, पहाड़ और नदियाँ इसे किसी को भी सुकून देने के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। यह दर्शनीय शहर अपनी कोयला खदानों के लिए भी जाना जाता है।
  • कई मंदिर और अन्य स्थान हैं जो पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध हैं। चिरमिरी रेल और सड़क के माध्यम से प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चिरमिरी समुद्र तल से 579 मीटर की ऊँचाई पर हसदेव नदी के किनारे पर स्थित है।
सिरपुर
  • सिरपुर छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक छोटा सा गाँव है, जो महानदी नदी के तट पर स्थित है। यह महासमुंद जिले से 35 किमी दूर और रायपुर शहर से लगभग 78 किमी दूर है। सिरपुर गाँव एक पुरातात्विक आश्चर्य है। यह गाँव अपनी मंदिर संस्कृति से समृद्ध है। यह 8 वीं शताब्दी से पुरातात्विक निष्कर्षों के लिए एक खजाना है।
  • ऐसे कई मंदिर हैं जहाँ लोग जा सकते हैं, और आम तौर पर भावुक इतिहासकारों के लिए एक केंद्र है, इस गाँव के बौद्ध मठों को भारत में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देने और अपनी संस्कृति का जश्न मनाने के लिए यहां एक संगीत और नृत्य उत्सव आयोजित करता है। कला और संस्कृति का अलग-अलग प्रदर्शन और कला का एक गहरा इतिहास और विकास के साथ दुर्लभ मिश्रण पेश करते हुए, सिरपुर एक अद्भुत गाँव है जो चमत्कारों से भरा है।
छत्तीसगढ़ के अन्य पर्यटन स्‍थल 
  • बिलासपुर (बिलासपुर) : कानन पेंडारी, काली मंदिर (प्राकृतिक, धार्मिक)
  • रतनपुर  (बिलासपुर) : महामाया मंदिर, भैरव मंदिर, किला (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • बेलगहना (बिलासपुर) : सिद्ध बाबा मंदिर आश्रम, महाकालेश्‍वर मंदिर, कारीआम (धा.प्रा.)
  • खोनमुड़ा (बिलासपुर) : नर्मदा उद्गम (प्राकृतिक, धार्मिक)
  • अचानकमार (मुंगेली) : वन्‍य प्राणी अभारण्‍य
  • लोरमी (मुंगेली) : महामाया मंदिर (धार्मिक)
  • बेलपान (बिलासपुर) : शिवमंदिर, विशाल कुंड (नर्मदा उद्गम), सीता कुण्‍ड (प्राकृतिक)
  • मल्‍हार (बिलासपुर) : पातालेश्‍वर, डिंडनेश्‍वरी मंदिर (एतेहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक)
  • तालागांव (बिलासपुर) : देवरानी-जेठानी मंदिर, रूद्र शिव प्रतिमा (धार्मिक)
  • लुतराशरीफ (बिलासपुर) : हजरत बाबा सैयद अली की दरगाह (धार्मिक)
  • कोरबा (कोरबा) : सुपर थर्मल पॉवर, बाल्‍को (आद्योगिक)
  • पाली (कोरबा) : प्राचीन शिव मंदिर (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • लाफागढ़ (कोरबा) : किला, गुफा, महामाया मंदिर (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • केन्‍दई (कोरबा) : जलप्रपात (प्राकृतिक)
  • तुम्‍मान (कोरबा) : प्राचीन शिव मंदिर (पुरातत्विक)
  • बांगो (कोरबा) : बांध दृश्‍य (जलाशय, प्राकृतिक)
  • जांजगिर (जांजगिर चांपा) : विष्‍णु, शिव मंदिर, बरम बाबा चौरा (पुरातत्विक, ऐतिहासिक)
  • खरौद (जांजगिर चांपा) : लक्ष्‍मेश्‍वर मंदिर, शबरी मंदिर (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • शिवरीनारायण(जांजगिर चांपा) : शिवरीनारायण मंदिर, दूधाधारी मठ (धार्मिक, सांस्‍कृतिक)
  • पीथमपुर (जांजगिर चांपा) : कलेश्‍वर महादेव मंदिर (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • चाम्‍पा (जांजगिर चांपा) : समलेश्‍वरी मंदिर, जगन्‍नाथ मंदिर, राजमहल (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • सक्‍ती (जांजगिर चांपा) : दमाउ दरहा, पंचवटी, रावण खोल (ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरा‍तत्विक)
  • चन्‍द्रपुर (जांजगिर चांपा) : चन्‍द्रहासनी देवी मंदिर (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • रायगढ़ (रायगढ़) : कबरा पहाड़, टीपा खोल, पहाड़ मंदिर, गौरीशंकर मंदिर (धार्मिक)
  • ख‍रसिया (रायगढ़) : रामझरना, मछलीघर, बसनाझर शैलाश्रय (आद्योगिक, पुरा‍तत्विक)
  • सारंगढ़ (रायगढ़) : गिरीविलास महल, तालाब (ऐतिहासिक, प्राकृतिक)
  • धरमजयगढ़ (रायगढ़) : शिशरिंगा घाट, ओंगना, रेशम केन्‍द्र (प्राकृतिक, धार्मिक)
  • गोमरदा (रायगढ़) : वन्‍य प्राणी (अभारण्‍य)
  • सिंघनपुर (रायगढ़) : शैल चित्र एवं गुफाएं (पुरातत्विक)
  • पुजारीपाली (रायगढ़) : बौद्धकालीन विष्‍णु मंदिर, महाप्रभु, केंवटिन एवं रानी झूला के मंदिर
  • जशपुर नगर (जशपुर) : लोरोघाट, रानीदरहा प्रपात, दमेरा प्रपात, इंदिरा घाट (प्राकृतिक, ऐतिहासिक)
  • पत्‍थलगांव (जशपुर) : किलकिला, नंदन झारियां (धार्मिक, प्राकृतिक)
  • कुनकुरी (जशपुर) : महागिरजाघर, बेने प्रपात (धार्मिक, प्राकृतिक)
  • बगीचा (सन्‍ना) (जशपुर) : नाशपाती, लीची, आम की बगीचा , रानी की गुफा एवं प्रपात(प्रा.अभा.)
  • बादलखोल (जशपुर) : वन्‍य प्राणी (अभारण्‍य)
  • अम्बिकापुर (सरगुजा) : महामाया मंदिर, तकियां (धार्मिक)
  • कुदरगढ़ (जशपुर) : कुदरगढ़ देवी, किला, कपिलधारा (ऐतिहासिक, प्राकृतिक)
  • रामगढ़ (जशपुर) : सीताबेंगरा(नाट्यशाला), जोगीमारा गुफा, हाथीपोल, सीताकुंड (ऐ.पुरा.प्रा.)
  • डीपाडीह (बलरापुर) : प्राचीन मंदिरों का समूह (पुरातत्विक, धार्मिक)
  • सारासोर (सूरजपुर) : गंगाधर मंदिर, जलधारा (प्राकृतिक, धार्मिक)
  • देवगढ़ (सरगुजा) : अर्धनारीश्‍वर शिव मंदिर(धार्मिक)
  • तातापानी (बलरापुर) : गरम पानी का स्रोत एवं प्रपात (प्राकृतिक)
  • रक्‍सगंडा (सूरजपुर) : जल प्रपात (प्राकृतिक)
  • सेमरसोत (बलरापुर) : वन्‍य प्राणी अभारण्‍य (प्राकृतिक)
  • तमोरपिंगला (बलरापुर) : वन्‍य प्राणी अभारण्‍य (प्राकृतिक)
  • सामरबार (कोरिया) : कैलाश गुफा (प्राकृतिक)
  • कोटाडोल (कोरिया) : अशोककालीन मूर्तियां (पुरातत्विक)
  • घाघरा (कोरिया) : प्रस्‍तरों का मंदिर, सीतामढ़ी (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • हरचौका (कोरिया) : देवी देवताओं का प्राचीन मंदिर, गुफाएं (धार्मिक,पुरातत्विक)
  • मरेरगढ़ (कोरिया) : प्राचीन किला, मंदिर, हिल स्‍टेशन (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • अमृतधारा (कोरिया) : जल प्रपात (प्राकृतिक)
  • रायपुर (रायपुर) : दूधाधारी मठ, विवेकानंद सरोवर, बोट क्‍लब, संग्रहालय, शदाणी दरबार (ऐ.धा.)
  • राजिम (गरियाबंद) : राजीव लोचन मंदिर, सोमेश्‍वर महादेव मंदिर, तीन नदियों का संगम (ऐ.धा.)
  • चम्‍पारण (रायपुर) : महाप्रभु बल्‍लभाचार्य की जन्‍मस्‍थली, चम्‍पाकेश्‍वर महादेव मंदिर (ऐ.धा.)
  • फिंगेश्‍वरगढ़ (गरियाबंद) : फणिकेश्‍वरनाथ महादेव मंदिर, किला (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • आरंग (रायपुर) : भाण्‍डलदेव जैन मंदिर, बाघ देवल (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • पलारी (बलौदाबाजार) : सिद्धेश्‍वर शिव मंदिर (धार्मिक)
  • चन्‍दखुरी (रायपुर) : प्राचीन शिव मंदिर (धार्मिक, पुरातत्विक)
  • उदन्‍ती (गरियाबंद) : वन्‍य प्राणी अभारण्‍य (प्राकृतिक)
  • दामाखेड़ा (बलौदाबाजार) : कबीर चबूतरा (धार्मिक)
  • तुरतुरिया (बलौदाबाजार) : लवकुश की जन्‍मस्‍थली, बौद्ध विहार (धार्मिक, प्राकृतिक)
  • खल्‍लारी (महासमुंद) : देवालय, खल्‍लारी माता मंदिर, भीमपांव (धार्मिक, ऐतिहासिक)
  • दुर्ग (दुर्ग) : बौद्धकालीन भग्‍न मूर्तियां तथा शिलाखंड (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • भिलाई  (दुर्ग) : लौह स्‍पात कारखाना, मैत्रीबाग (आद्योगिक)
  • पाटन (दुर्ग) : आग तालाब (तालाबों की नगरी) (प्राकृतिक)
  • देव बलौदा (दुर्ग) : प्राचीन शिव मंदिर (धार्मिक, पुरातत्विक)
  • धमधा (दुर्ग) : प्राचीन किला एवं मंदिर, बूढ़ा तालाब (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • नवागढ़ (बेमेतरा) : प्राचीन खेड़ापति मंदिर (ऐतिहासिक, पुरातत्विक)
  • बालोद (बालोद) : कपिलेश्‍वर तालाब, प्राचीन मंदिर, सियादेई मंदिर, गंगा मैय्या मंदिर (ऐ.पुरा.)
  • तां‍दुला (बालोद) : बांध दृश्‍य (जलाशय)
  • नगपुरा (दुर्ग) : जैन तीर्थ स्‍थल (धार्मिक)
  • धमतरी (धमतरी) : किला, बिलाई माता का मंदिर, राम मंदिर (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • गंगरेल (धमतरी) : रविशंकर जलाशय, जलक्रीड़ा (जलाशय)
  • सिहावा (धमतरी) : कर्णेश्‍वर मंदिर, पवित्र जल कुण्‍ड, सरोवर गुफा, सीतानदी अभारण्‍य (ऐ.धा.)
  • डोंगरगढ़ (राजनांदगांव) : बम्‍लेश्‍वरी देवी मंदिर, बुद्ध प्रतिमा (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • खैरागढ़ (राजनांदगांव) : इंदिरा कला एवं संगीत विश्‍वविद्यालय (ऐतिहासिक, शैक्षणिक)
  • गंडई (राजनांदगांव) : प्राचीन शिव मंदिर (धार्मिक, ऐतिहासिक)
  • अम्‍बागढ़ (राजनांदगांव) : अम्‍बादेवी मंदिर (धार्मिक, प्राकृतिक)
  • कबीरधाम (कबीरधाम) : झिरना नर्मदा कुण्‍ड (प्राकृतिक)
  • कांकेर (कांकेर) : मां सिंहवासिनी मंदिर, गढि़या पहाड़, राजमहल (धा.ऐ.पुरा.)
  • दुधावा (कांकेर) : जलाशय (जलाशय)
  • जगदलपुर (बस्‍तर) : दंतेश्‍वरी मंदिर, राजमहल, दलपत सागर, संग्राहलय (ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • कोण्‍डागांव (कोण्‍डागांव) : शिल्‍पग्राम (सांस्‍कृतिक)
  • बस्‍तर (बस्‍तर) : शिल्‍पग्राम, संग्रहालय (पुरा‍तत्विक)
  • केशकाल (कोण्‍डागांव) : घाटी, तेलिनमाता मंदिर (प्राकृतिक)
  • नारायण पाल (कोण्‍डागांव) : विष्‍णु मंदिर एवं भद्रकाली मंदिर (पुरा‍तत्विक)
  • भोंगापाल (बस्‍तर) : बौद्ध विहार (पुरा‍तत्विक)
  • चित्रकोट (बस्‍तर) : जलप्रपात (प्राकृतिक)
  • कांगेर घाटी (बस्‍तर) : राष्‍ट्रीय उद्यान, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर गुफा (प्राकृतिक)
  • गढ़घनोरा (कोण्‍डागांव) : प्राचीन शिव, विष्‍णु, नरसिंह मंदिरों का समूह (पुरा.ऐतिहासिक, धार्मिक)
  • माचकोट (बस्‍तर) : आरक्षित वन (प्राकृतिक)
  • बैलाडीला (दंतेवाड़ा) : लौह अयस्‍क की खानें (आद्योगिक, प्राकृतिक)
  • भैरमगढ़ (बीजापुर) : प्राचीन मंदिर के खंडहर, किले एवं तालाब (पुरा.प्राकृतिक,धार्मिक)
  • छोटा डोंगर (नारायणपुर) : प्राचीन मंदिर के भग्‍नावशेष (पुरा‍तत्विक, धार्मिक)
  • पामेड़ (बीजापुर) : वन जीव अभारण्‍य (प्राकृतिक)
  • अबूझमाड़ (नारायणपुर) : पाषाणयुगीन अवशेष (प्राकृतिक, ऐतिहासिक)
  • बारसूर (दंतेवाड़ा) : मामा-भांजा मंदिर, पुरातत्‍व संग्रहालय (धार्मिक, पुरा‍तत्विक)
छत्तीसगढ़ की यात्रा
  • छत्तीसगढ़ में वर्ष के अधिकांश समय मध्यम जलवायु है और यात्रा करने का सबसे अच्छा समय गतिविधियों के प्रकार पर निर्भर करता है। उच्च तापमान के बावजूद, गर्मियों में वन्यजीव और प्रकृति पर्यटन के लिए छत्तीसगढ़ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है।
  • राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य देखने के लिए इस समय पर्यटकों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। हालांकि, शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों के दौरे के लिए, सर्दी अधिक उपयुक्त है। सर्दी के दिनों में दर्शनीय स्थलों की यात्रा अच्छे से की जा सकती है। पहाड़, झरने और नदियाँ सर्दियों के दौरान अपने सबसे अच्छे और हरे रंग में होते हैं, जिससे इन प्राकृतिक सुंदरियों को निहारना आसान हो जाता है।
छत्तीसगढ़ कैसे पहुचें
  • सड़क – यदि आप छत्तीसगढ़ की यात्रा सड़क मार्ग द्वारा करते हैं तो हम बता दें की छत्तीसगढ़ सपने पडोसी राज्यों के साथ साथ भारत के प्रमुख राज्यों से अच्छी तरह जुडी हुई है. अंतरराज्यीय और राष्ट्रीय राजमार्ग रायपुर को भोपाल, नागपुर, झांसी, जबलपुर, कोलकाता और भुवनेश्वर जैसे शहरों से जोड़ते हैं.
  • ट्रेन – यदि आप छत्तीसगढ़ की यात्रा ट्रेन द्वारा करते हैं तो हम बता दें की छत्तीसगढ़ के मुख्य रेलवे स्टेशन  रायपुर और बिलासपुर जंक्शन है. जो की भारत के अन्य हिस्सों से जुडी हुई है.
  • हवाई जहाज  – यदि आप छत्तीसगढ़ की यात्रा हवाई जहाज से करते हैं तो हम बता दें की छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक मात्र हवाई अड्डा है जो भारत के प्रमुख शहरो से जुडी हुई है.
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