छत्तीसगढ़ प्रदेश की जलवायु
छत्तीसगढ़ की जलवायु में भी मॉनसूनी जलवायु की सभी विशेषताएँ हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश की जलवायु उष्ण-आर्द्र मॉनसून प्रकार की है, जिसे सामान्य बोलचाल में उष्णकटिबंधीय मॉनसूनी जलवायु या शुष्क उप-आर्द्र कहा जाता है। मॉनसून की दृष्टि से छत्तीसगढ़ शुष्क आर्द्र मॉनसूनी जलवायु के अन्तर्गत आता है।
कर्क रेखा प्रदेश के उत्तरी भाग (सरगुजा, कोरिया ज़िले) से होकर गुज़रती है, जिसका पर्यापत प्रभाव यहाँ की जलवायु पर पड़ता है। सम्पूर्ण प्रदेश की जलवायु में आंशिक भिन्नता है, जो समय-समय पर वर्षा, तापमान आदि के रूप में परिलक्षित होती रहती है।
छत्तीसगढ़ की जलवायु कैसी है ?
छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म में अधिक गर्मी तथा शीतकाल काफ़ी ठण्डा होने के साथ-साथ वर्षा ऋतु में न्यून दैनिक तापांतर एवं न्यूनाधिक वर्षा यहाँ की जलवायु की मुख्य विशेषता है। इस तरह प्रदेश में देश की मॉनसूनी जलवायु में प्राप्त ऋतु क्रम से अभिन्न स्थिति दृष्टिगोचर होती है। अंचल में औसत वर्षा 140 सेमी. तथा इसका 90% दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के द्वारा प्राप्त होता है अर्थात् जून से 1 सितम्बरके मध्य।
छत्तीसगढ़ में ऋतुएँ
छत्तीसगढ़ में जलवायु की दृष्टी से मुख्य रूप से तीन ऋतुएं पाई जाती है जो की निम्नलिखित है .
1. छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतु
- छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतुएं गर्म एवं शुष्क होती है .
- 21 मार्च के उपरांत सूर्य की किरणे उत्तरी गोलार्थ में सीधी लम्बवत पड़ती है ,जिससे तापमान में वृद्धि हो जाती है .
- यहाँ अप्रैल और मई में झुलसाने वाली गर्मी तथा जुलाई से अक्टूबर में बादलों के कारण उमस होती है .
- मई का महिना में सबसे ज्यादा गर्मी होती है , अधिकतम तापमान चाम्पा और रायगढ़ में अंकित की जाती है .
- सबसे ज्यादा गर्म स्थान चाम्पा है .
2. छत्तीसगढ़ में शीत ऋतु
- यहाँ शीत ऋतुएं ठंडी एवं शुष्क होती है .
- 21 सितम्बर के बाद सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होने लगाती है, और सूर्य की किरणे तिरछी पड़ने लगाती है .
- दिसम्बर और जनवरी में सर्वाधिक ठंडी पड़ती है
- पहाड़ी भागों में स्थित पेंड्रा, मैनपाट, जशपुर, न्यूनतम तापमान वाले क्षेत्र है, ऐसा समुन्द्रतल से अधिक ऊंचाई और वनाधिक्य के कारण है .
3. छत्तीसगढ़ में वर्षा ऋतु
- छत्तीसगढ़ में वर्षा की प्रकृति मानसूनी है , वर्षा ऋतुएं गर्म एवं आर्द्र होती है .
- 90 प्रतिशत वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसूनी हवाओ के द्वारा होता है .
- 21 जून को कर्क रेखा के समीप सूर्य की लम्बवत स्थिति होती है ,जिससे गर्मी और तापमान में वृध्दि होती है न्यून वायुदाब की स्थिति बनती है .
- हिन्द महासगार के दक्षिणी भाग से मानसूनी हवाएं आकर्षित होती है और वर्षा होती है .
- प्रदेश में औसत वर्षा लगभग 120-125 से. मी. होती है .
- छत्तीसगढ़ में मैकल पर्वत श्रेणी के निकट न्यूनतम वर्षा होती है इसे वृष्टिछाया प्रदेश कहते है राजनंदगांव और कवर्धा जिला .
- भानुप्रतापपुर, जशपुर तहसीलों में सर्वाधिक औसत वार्षिक वर्षा होती है .
- जिलेवार सर्वाधिक वर्षा जशपुर में होती है
- सबसे कम वर्षा कवर्धा जिला में होती है .
- नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ प्रदेश का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है.
छत्तीसगढ़ की जलवायु की विशेषताएँ
- छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है।
- छत्तीसगढ़ में जलवायु का फैलाव – उपाद्र महाद्वीप के द्वारा होता है
- 23.30 उत्तरी अक्षांश (कर्क रेखा) प्रदेश के उत्तरी जिलों कोरिया ,सूरजपुर एवं बलरामपुर से होकर गुजरती है।
- जबकि 82.30 पूर्वी देशांतर जो भारत की माध्य रेखा है, छत्तीसगढ़ से होकर गुजरती है।
- छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन प्राय: – 10 – 15 जून के मध्य में होती है
- कर्क रेखा गुजरने के कारण छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्म एवं शीत ऋतु में सामान्य ठंड होती है।
- छत्तीसगढ़ में औसत वर्षा (वार्षिक) – 1300 -1325 मिलीमीटर होती है
- छत्तीसगढ़ भू-आवेष्ठित राज्य है। इस कारण यहाँ की जलवाऊ महाद्वीपीय प्रकार की है।
- छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र अर्थात छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी – अबूझमाड़ है
- छत्तीसगढ़ के न्यूनतम वर्षा वाला क्षेत्र – मेकल श्रेणी (कवर्धा )
छत्तीसगढ़ की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
छत्तीसगढ़ की जलवायु में सभी प्रकार की मानसूनी विशेषताएँ हैं, मानसून के अनुसार छत्तीसगढ़ आर्द्र शुष्क जलवायु के अंतर्गत आता है। छत्तीसगढ़ की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-
- भूमध्य रेखा से दूरी
- समुद्र से दूरी
- समुद्र तल से ऊँचाई
- समुद्र और भूमि से हवा का बहाव
- वनस्पति एवं मिट्टी
- समुद्री जलधारा
- पर्वत श्रेणी की दिशा
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