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छत्तीसगढ़ में पुलिस एवं जेल व्यवस्था

पुलिस एवं जेल व्यवस्था 

छत्तीसगढ़ में पुलिस एवं जेल व्यवस्था – राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थापना हेतु पृथक् पुलिस विभाग कार्यरत है. वर्तमान पुलिस व्यवस्या अंग्रेजों की देन है. छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों ने अपने शासन के आरम्भ स ही एक सुदृढ़ पुलिस प्रशासन की स्थापना की थी. उन्होंने 1856 ई. में मराठों से भिन्न एक नवीन पुलिस व्यवस्था को स्थापित किया. 1858 ई. में यहाँ पुलिस मेन्युअल लागू किया गया. पुनः 1862 ई. में व्यवस्था को पुनर्गठित कर नवीनीकृत किया गया.

छत्तीसगढ़ की पुलिस प्रशासन एवं जेल

नवीन छत्तीसगढ़ राज्य में क्षेत्रफल की तुलना में पुलिस वल संख्या कम है, अतः प्रदेश में प्रति पुलिसकर्मी कार्यभार बहुत अधिक है.छतीसगढ़ पूर्व की अपेक्षा अब उतना शांत क्षेत्र नहीं रहा. पिछले दो दशकों में यहाँ आपराधिक प्रवृत्तियों में वृद्धि हुई है. यहाँ हत्या, जालसाजी, बलात्कार जैसे अपराध दिनों दिन वढ़ रहे हैं, जो कानून व्यवस्था की दृष्टि से चिन्ताजनक है. साथ ही प्रदेश के तीन जिले दंतेवाड़ा, राजनांदगाँव एवं सरगुजा नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं, जिसमें दंतेवाड़ा सबसे अधिक प्रभावित है.

प्रसाशनिक ढाँचा

  • छत्तीसगढ़ पुलिस दो जोन भिलाई एवं बिलासपुर में विभाजित है. इन्हें कुल तीन पुलिस रेंजों क्रमशः बस्तर, रायपुर एवं बिलासपुर में विभाजित किया गया है. भिलाई जोन के अनंतर्गत बस्तर और रायपुर रेंज आते हैं, जबकि बिलासपुर जोन में केवल बिलासपुर रेंज आता है (पूर्व में रीवा रेंज सम्मिलित था).
  • रायपुर रेंज के अन्तर्गत रायपुर, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगाँव एवं कवर्धा जिले आते हैं. इसका मुख्यालय रायपुर में है, बिलासपुर रेंज में बिलासपुर, जाँजगीर चांपा, कोरबा, रायगढ़ जशपुर, सरगुजा एवं कोरिया जिले आते हैं.
  • इसका मुख्यालय बिलासपुर में हैं. वस्तर रेज का मुख्यालय जगदलपुर में है तया इसके अन्तर्गत दंतेवाड़ा, बस्तर एवं कांकेर जिले सम्मिलित हैं. प्रदेश का सबसे बड़ा अधिकारी ‘पुलिस महानिदेशक’ होता है, जबकि प्रत्येक रेंज पर ‘पुलिस उप महानिरीक्षक’ पदस्थ होते हैं तथा जिलों में पुलिस अधीक्षक पदस्थ होते हैं. इस तरह प्रदेश में कुल 18 पुलिस जिले हैं, जिले पुनः उप सम्भागों में और उप सम्भाग सर्किलों में विभक्त किए गए हैं, जिनके अन्तर्गत थाने होते हैं. शहरों में यातायात नियन्त्रण हेतु यातायात निरीक्षक पदस्थ होते हैं.

होमगाईस – यह पुलिस विभाग की सहायक संस्था है, जो ‘पुलिस महानिदेशक’ के नियन्त्रण में कार्य करती है. इसका मुख्यालय रायपुर है, ये शांति व्यवस्था के अलावा नगर यातायात में सहायता करते हैं.

महिला पुलिस थाने – अविभाजित म, प्र. में 1987 ई. से महिला पुलिस यानों की स्थापना की गई. वर्तमान छत्तीसगढ़ में दुर्ग, रायपुर तथया बिलासपुर में महिला पुलिस थाने हैं.

अनुसूचित जाति कल्याण पुलिस थाने – प्रदेश में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के कल्याण एवं उन्हें संरक्षण प्रदान करने तथा उन पर होने वाले अत्याचारों की रोकथाम के लिए अनुसूचित जाति कल्याण पुलिस थाने स्थापित हैं. वर्तमान में बिलासपुर और रायपुर में इस तरह के धाने स्थापित हैं.

नक्सली समस्या – अंचल नक्सली समस्या से ग्रसित है. प्रदेश के चार जिले दंतेवाड़ा, वस्तर, राजनांदगाँव एवं सरगुजा नक्सल प्रभावित हैं.सरगुजा में हाल ही में नक्सली गतिविधियाँ आरम्भ हुई हैं. नक्सली प्रदेश के दक्षिणी हिस्से विशेषकर दंतेवाड़ा जिले में मुख्यतः केन्द्रित हैं.इससे निपटने हेतु दंतेवाड़ा में पृथकू पुलिस जिला पूर्व में बनाया गया था एवं बस्तर में नक्सली गतिविधियों की रोकयाम हेतु एक विशेष पुलिस महानिरीक्षक की नियुक्ति की गई थी. 2 मई, 2007 को दो नए जिले बीजापुर एवं नारायणपुर एवं 1 जनवरी, 2012 से 9 नये जिले छत्तीसगढ़ में अस्तित्व में आये.

रेलवे पुलिस – प्रदेश में रायपुर सेव्शन में रेलवे पुलिस अधीक्षक पदस्य है, इसके अन्तर्गत छः रेलवे थाने क्रमशः डोंगरगढ़, भिलाई, रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ तथा शहडोल रेलवे स्टेशनों में स्थापित हैं. ये थाने दक्षिण-पूर्वी रेलवे के विलासपुर मंडल के अन्तर्गत होने वाले रेल अपराधों की रोकथाम करते हैं.

पुलिस व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए संचार व्यवस्था को विकसित किया गया है, वायरलेस सुविधा हेतु रेडियो स्टेशनों की स्थापना की गई है. आज लगभग सभी पुलिस थाने वायरलेस सुविधा से युक्त हैं. अपराध एवं अपराधियों के रिकॉर्ड रखने के लिए पुलिस कम्प्यूटर स्थापित हैं. ऑन लाइन सिस्टम से सभी पुलिस रेंज आपस में जुड़े हुए हैं, जिससे अपराध सूचनाओं का प्रेषण तत्काल होता है.

पुलिस प्रशिक्षण अकादमी-प्रदेश में सागर की तरह विलासपुर जिले के गौरेला में पुलिस प्रशिक्षण अकादमी स्थापित की जा रही है.

विभाग का दायित्व – जेल विभाग का प्रमुख दायित्व बन्दियों की समुचित सुरक्षा, भरण-पोषण शिक्षा प्रदान करना एवं सा्थक उद्योगों से लगातार वन्दियों को कुशल बनाना है, जिससे जेल से मुक्त होने के पश्यात् बदा समाज में पुनः स्थापित हो  सके. जेल विभाग को सदैव सततु ध्यान रखना होता है कि बदी जो समाज एवं परिवार से अलग जेल के वातावरण में रहता है, किसी प्रकार के मानसिक विकास से पीड़ित न हो.

जेल विभाग की प्रस्तावित योजनाएँ

1. युवा अपराधियों के लिए बोस्स्टल इंस्टीट्यूट की स्थापना करना.

2. जेल अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना करना.

3. बंदियों के पुनर्वास तथा आफ्टर केयर हेतु केन्द्रीय जेलों में वर्क शेड्स की स्थापना करना.

4. जेलों में कार्यरत् उद्योगों में आधुनिकीकरण कर उनकी उत्पादित वस्तुओं को समाज के आम नागरिकों तक पहुँचाकर बन्दियों को समाज से जोड़ना तथा नज़दीक लाना.

5. बंदियों की आवास क्षमता में वृद्धि करना.

6. उप जेल, मनेन्द्रगढ़ को पूर्ण कराकर प्रारम्भ करना.

7. नव निर्मित जिला कवर्धा में उप जेल की स्थापना करना.

৪. जेलों में परिरु्ध निरक्षर वन्दियों को साक्षर वनाना.

बंदी कल्याण योजना

इसके अन्तर्गत जेलों में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. शिक्षा के प्रचार प्रसार हेतु जेलों में साक्षरत अभियान भी चलाया जा रहा है. भारत सरकार की सहायता से जेलों में कल्याण योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं, प्रदेश की जेलों में कृषि एवं बागवानी कार्य कैदियों द्वारा सम्पादित किए जाते हैं. इसके अलावा बुनाई, बढ़ई कार्य, वस्त्र सिलाई, मसाला, साबुन, चमड़ा, लोहारी, बीड़ी आदि से सम्बन्धित उद्योग चलाए जाते हैं. इन कार्यक्रमों से कैदियों को प्रशिक्षण तो मिलता ही है, साथ ही उनकी अपराध वृत्ति में कमी आती है, इनके भावी जीवन के व्यवसाय का आधार भी बनता है एवं जेल उत्पादित वस्तुओं से आय भी होती है, इन सभी के साथ जेल में कैदियों को नैतिक शिक्षा भी दी जाती है.

जेल विभाग में संचालित उद्योग प्रशिक्षण–    जेल विभाग में निम्नांकित उद्योग प्रशिक्षण वंदियों हेतु वर्तमान में संचालित हैं- 1. बुनाई, 2. निवाड उद्योग, 3. दरी-गलीचा उद्योग, 4. सिलाई उद्योग, 5. जूट उद्योग, 6. साबुन-वाशिंग पाउडर उद्योग, 7. लौह-एल्यूमिनियम उद्योग, 8. काध्ठ केल उद्योग, 9, बुड कार्बिंग उद्योग, 10. मसाला उदयोग, 11. मुद्रण उद्योग, 12. स्क्रीन प्रिंटिंग, 13. फिनाइल उद्योग, 14. कैलीपर्स (कृत्रिम अंग ) उद्योग,  15. वैण्ड, 16, वागवानी उद्योग, 17. पेटिंग उद्योग.

बंदी कल्याण तथा पुनर्वास नीति-छतीसगढ़ शासन ने वंदियों के कल्याण एवं उनको भविष्य में सफलतापूर्वक समाज की मुख्य धारी

जोड़ने पर केन्द्रित एवं समग्र बंदी कल्याण तथा पुनर्वास नीति तैयार की है. उक्त नीति के मुख्य बिन्दु निम्नानुसार हैं-

1. कैदियों के समय एवं शक्ति का उत्पादक उपयोग.

2. कैदियों की शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति में तरक्की.

3. किशोर एवं महिला वंदियों को सभी प्रकार के शोषण से बचाना.

4. कैदियों को समाज की मुख्य धारा से सफलतापूर्वक जोड़ने हेतु एक समग्र पुनर्वास कार्यक्रम.

5. शासकीय प्रयासों को पूरक सहयोग करने हेतु समाज सेवी संगठनों की सहभागिता.

पुलिस प्रशासन

  • परित्राणाय साधुनाम छत्तीसगढ़ पुलिस का आदर्श वाक्य है .
  • प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी का पद पुलिस महानिदेशक का है .
  • पुलिस प्रशासन की दृष्टि से प्रदेश को रेंज में विभाजित किया गया है रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा है .
  • रायपुर को आई. जी. इंटेलिजेंस के पर्यवेक्षण में रखा गया है.
  • जिले में पुलिस अधीक्षक शीर्ष पुलिस अधिकारी होते है.
  • प्रदेश में रेलवे सुरक्षा के लिए रायपुर में रेलवे पुलिस अधीक्षक पद बनाया गया है .
  • सशस्त्र पुलिस बल – प्रदेश में 7 भारत रक्षित वाहिनी सहित सशस्त्र पुलिस बल की 16 बटालियन है.
  • भारत रक्षित वाहिनी बटालियन का मुख्यालय राजनांदगांव में है

अन्य जानकारी 

  • रायपुर जिले के चंदखुरी में राज्य पुलिस प्रशिक्षण अकादमी की स्थापना किया गया है .
  • कांकेर के निकट सिंगारभाट में एंटी टेरीज्म जंगल वाल्फेयर कॉलेज स्थापित किया गया है.
  • छत्तीसगढ़ में अन्य पुलिस प्रशिक्षण केंद्र –
  1. पुलिस ट्रेनिंग सेंटर माना ,जिला रायपुर
  2. पुलिस ट्रेनिंग सेंटर जिला राजनांदगांव
  3. हाक प्रशिक्षण केंद्र बारसूर जिला दंतेवाडा
  4. प्रशिक्षण केंद्र बोरगांव जिला कोंडागांव
  • अपराधों के व्यवस्थित रिकार्ड के लिए स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की स्थापना की गयी है.
  • राज्य में फिंगर प्रिंट ब्यूरो का मुख्यालय रायपुर में है .
  • आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो का मुख्यालय रायपुर में है .
  • छत्तीसगढ़ आर्म्ड पुलिस का मुख्यालय भिलाई जिला दुर्ग में स्थित है .

छत्तीसगढ़ की जेल

  • राज्य में 5 सेंट्रल जेल है – रायपुर,बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर और दुर्ग .
  • राज्य के बस्तर के मसगांव में स्थित जेल प्रदेश की एकमात्र खुली जेल है ,
  • जेल मुख्यालय में सर्वोच्च अधिकारी जेल महानिदेशक होते है जो आई.पी.एस. संवर्ग के अधिकारी होते है.
  1. सेंट्रल जेल अंबिकापुर
  2. सेंट्रल जेल बिलासपुर
  3. सेंट्रल जेल दुर्ग
  4. सेंट्रल जेल जगदलपुर
  5. सेंट्रल जेल रायपुर

छत्तीसगढ़ के जिला जेल

  1. जिला जेल बैकुंठपुर
  2. जिला जेल दंतेवाडा
  3. जिला जेल धमतरी
  4. जिला जेल जांजगीर
  5. जिला जेल जशपुर
  6. जिला जेल कांकेर
  7. जिला जेल कोरबा
  8. जिला जेल महासमुंद
  9. जिला जेल रायगढ़
  10. जिला जेल राजनांदगांव

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