छिंदक नाग वंश ( बस्तर ): हमने आपको इतिहास के बारे में बताया है ,आज छिंदक नाग वंश का इतिहास के बारे में लिखने जा रहा हु, तो चलो शुरू करते है छिंदक नाग वंश ।
छिंदक नाग वंश ( बस्तर )
(1023 से 1324 तक)
- संस्थापक – नृपति भूषण
- राजधानी – चक्रकोट, अमरकोट, चित्रकोट
प्रसिद्ध शासक
- नृपति भूषण
- धारा वर्ष
- सोमेश्वर प्रथम
- कन्हर देव
- राजभूषण (सोमेश्वर द्वितीय)
- जगदेव भूषण नर सिंह
- जयसिंह
- हरिशचन्द देव (अंतिम शासक)
1. नृपति भूषण
- एरर्सकोट तेलगु अभिलेख में इस राजा का उल्लेख है।
- जिसमें शक् संवत् 945 अंकित है। अर्थात (1023 A.D.).
2. धारावर्ष
- इसके सामंत चन्द्रादित्य ने बारसूर में तालाब व शिव मंदिर बनवाया था।
- धारावर्ष का बारसूर अभिलेख प्राप्त हुआ है।
- संभवतः मामा-भांजा मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसे गणेश मंदिर व बत्तीसा मंदिर भी कहते है।
3. मधुरांतक देव
- इसके राजपुर ताम्रपत्र में नरबलि के लिखित साक्ष्य प्राप्त हुए है।
4. सोमेश्वर देव
- जाजल्ल देव प्रथम ने इसे पराजित कर सारे परिवार को बंदी बना लिया था।
- 1109 ई. तेलगु शिलालेख नारायणपाल से प्राप्त हुआ है।
- गुण्डमहादेवी इसकी माता थी।
5. सोमेश्वर द्वितीय
- इसकी रानी गंग महादेवी का शिलालेख बारसूर से प्राप्त हुआ है।
5. जगदेव भूषण नरसिंह देव
- यह मणिक देवी (दंतेश्वरी देवी) का उपासक था।
6. हरिश चंद्र देव
- 1324 ई. तक शासन किया। काकतीय शासक अन्नमदेव पराजित हुआ।
- इसकी बेटी चमेली देवी ने अन्नमदेव से कड़ा मुकाबला किया था। जो कि चक्रकोट की लोककथा में आज भी जीवित है।
- इस वंश का अंतिम अभिलेख टेमरी से प्राप्त हुआ है।
- जिसे सती स्मारक अभिलेख भी कहते है।
- अन्नमदेव वारंगल के काकतीय वंश के राजा प्रताप रुद्रदेव का छोटा भाई था। जो 1309 में मलिक काफूर कटवे से डर से भागा था।
नोट :- छिंदकनाग वंशी राजा भोगवती पुरेश्वर उपाधि धारण करते थे।