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छत्तीसगढ़ की जलवायु

छत्तीसगढ़ की जलवायु

छत्तीसगढ़ भारत के मध्य  स्थित है यहाँ उष्ण कटियबंधीय मानसूनी जलवायु पाया जाता है , कर्क रेखा प्रदेश के उत्तरी भाग बलरामपुर, सूरजपुरऔर कोरिया जिला से होकर गुजरती है . कर्क रेखा स्थित होने के कारण यह गर्म प्रदेश है , समुद्र से दूर होने के कारण समकारी प्रभाव से दूर है .

 

यहाँ मुख्य रूप से तीन ऋतुएं पाई जाती है .

ग्रीष्म ऋतुएं :-

  • छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतुएं गर्म एवं शुष्क होती है .
  • 21 मार्च के उपरांत सूर्य की किरणे उत्तरी गोलार्थ में सीधी लम्बवत पड़ती है ,जिससे तापमान में वृद्धि हो जाती है .
  • यहाँ अप्रैल और मई में झुलसाने वाली गर्मी तथा जुलाई से अक्टूबर में बादलों के कारण उमस होती है .
  • मई का महिना में सबसे ज्यादा गर्मी होती है , अधिकतम तापमान चाम्पा और रायगढ़ में अंकित की जाती है .
  • सबसे ज्यादा गर्म स्थान चाम्पा है .

 

शीत ऋतुएं :-

  • यहाँ शीत ऋतुएं ठंडी एवं शुष्क होती है .
  • 21 सितम्बर के बाद सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होने लगाती है, और सूर्य की किरणे तिरछी पड़ने लगाती है .
  • दिसम्बर और जनवरी में सर्वाधिक ठंडी पड़ती है
  • पहाड़ी भागों में स्थित पेंड्रा, मैनपाट, जशपुर, न्यूनतम तापमान वाले क्षेत्र है, ऐसा समुन्द्रतल से अधिक ऊंचाई और वनाधिक्य के कारण है .

 

वर्षा ऋतुएं :-

  • छत्तीसगढ़ में वर्षा की प्रकृति मानसूनी है , वर्षा ऋतुएं गर्म एवं आर्द्र होती है .
  • 90 प्रतिशत वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसूनी हवाओ के द्वारा होता है .
  • 21 जून को कर्क रेखा के समीप सूर्य की लम्बवत स्थिति होती है ,जिससे गर्मी और तापमान में वृध्दि होती है न्यून वायुदाब की स्थिति बनती है .
  • हिन्द महासगार के दक्षिणी भाग से मानसूनी हवाएं आकर्षित होती है और वर्षा होती है .
  • प्रदेश में औसत वर्षा लगभग 120-125 से. मी. होती है .
  • छत्तीसगढ़ में मैकल पर्वत श्रेणी के निकट न्यूनतम वर्षा होती है इसे वृष्टिछाया प्रदेश कहते है राजनंदगांव और कवर्धा जिला .
  • भानुप्रतापपुर, जशपुर तहसीलों में सर्वाधिक औसत वार्षिक वर्षा होती है .
  • जिलेवार सर्वाधिक वर्षा जशपुर में होती है
  • सबसे कम वर्षा कवर्धा जिला में होती है .
  • नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ प्रदेश का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है .

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छत्तीसगढ़ भारत के मध्य  स्थित है यहाँ उष्ण कटियबंधीय मानसूनी जलवायु पाया जाता है , कर्क रेखा प्रदेश के उत्तरी भाग बलरामपुर, सूरजपुरऔर कोरिया जिला से होकर गुजरती है . कर्क रेखा स्थित होने के कारण यह गर्म प्रदेश है , समुद्र से दूर होने के कारण समकारी प्रभाव से दूर है .

 

यहाँ मुख्य रूप से तीन ऋतुएं पाई जाती है .

ग्रीष्म ऋतुएं :-

  • छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतुएं गर्म एवं शुष्क होती है .
  • 21 मार्च के उपरांत सूर्य की किरणे उत्तरी गोलार्थ में सीधी लम्बवत पड़ती है ,जिससे तापमान में वृद्धि हो जाती है .
  • यहाँ अप्रैल और मई में झुलसाने वाली गर्मी तथा जुलाई से अक्टूबर में बादलों के कारण उमस होती है .
  • मई का महिना में सबसे ज्यादा गर्मी होती है , अधिकतम तापमान चाम्पा और रायगढ़ में अंकित की जाती है .
  • सबसे ज्यादा गर्म स्थान चाम्पा है .

 

शीत ऋतुएं :-

  • यहाँ शीत ऋतुएं ठंडी एवं शुष्क होती है .
  • 21 सितम्बर के बाद सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होने लगाती है, और सूर्य की किरणे तिरछी पड़ने लगाती है .
  • दिसम्बर और जनवरी में सर्वाधिक ठंडी पड़ती है
  • पहाड़ी भागों में स्थित पेंड्रा, मैनपाट, जशपुर, न्यूनतम तापमान वाले क्षेत्र है, ऐसा समुन्द्रतल से अधिक ऊंचाई और वनाधिक्य के कारण है .

 

वर्षा ऋतुएं :-

  • छत्तीसगढ़ में वर्षा की प्रकृति मानसूनी है , वर्षा ऋतुएं गर्म एवं आर्द्र होती है .
  • 90 प्रतिशत वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसूनी हवाओ के द्वारा होता है .
  • 21 जून को कर्क रेखा के समीप सूर्य की लम्बवत स्थिति होती है ,जिससे गर्मी और तापमान में वृध्दि होती है न्यून वायुदाब की स्थिति बनती है .
  • हिन्द महासगार के दक्षिणी भाग से मानसूनी हवाएं आकर्षित होती है और वर्षा होती है .
  • प्रदेश में औसत वर्षा लगभग 120-125 से. मी. होती है .
  • छत्तीसगढ़ में मैकल पर्वत श्रेणी के निकट न्यूनतम वर्षा होती है इसे वृष्टिछाया प्रदेश कहते है राजनंदगांव और कवर्धा जिला .
  • भानुप्रतापपुर, जशपुर तहसीलों में सर्वाधिक औसत वार्षिक वर्षा होती है .
  • जिलेवार सर्वाधिक वर्षा जशपुर में होती है
  • सबसे कम वर्षा कवर्धा जिला में होती है .
  • नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ प्रदेश का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है .

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