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छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन और उसके कार्य

छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन और उसके कार्य-

छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन और उसके कार्य –

  • छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन का प्रभाव 1818 से प्रारंभ हो गया था,
  • 1817 में हुए सिताबर्डी के युध्द में जब मराठे पराजित हो गये तो छत्तीसगढ़ में ब्रिटिशो ने शासन किया,
  • मराठे ब्रिटिश के अधीन रहकर शासन करने लगे,
  • छत्तीसगढ़ में अंग्रेजो का अप्रत्यक्ष नियंत्रण रहा,
  • 1818 से 1825 कैप्टन एडमंड छत्तीसगढ़ के पहले अधीक्षक थे,
  • 1825 में कैप्टन एडमंड की मृत्यु के बाद उनकी जगह कर्नल एग्न्यू अधीक्षक बने,
  • कर्नल एग्न्यू के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ का मुख्यालय रतनपुर से हटाकर रायपुर लाया गया.

छत्तीसगढ़ का ब्रिटिश साम्राज्य में पुर्णतः

विलय 1854 में डलहौजी की हड़प निति के तहत हुआ था,

  • नागपुर राज्य के ब्रिटिश शासन में विलय के साथ ही छत्तीसगढ़ भी प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन में विलीन हो गया,
  • ब्रिटिश शासन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सूबे को एक जिले का दर्जा दिया गया, जिसका प्रमुख अधिकारी डिप्टी कमिश्नर कहलाया
  • छत्तीसगढ़ के असैनिक प्रशासन का पुनर्गठन कर यहाँ पंजाब की प्रशासनिक व्यवस्था को लागू किया गया,
  • इसके अंतर्गत प्रशासन को डॉ वर्गों माल और दीवानी में बांटा गया
  • डिप्टी कमिश्नर को दीवानी शाखा के प्रशासन हेतु दोनों, मूल और अपील सम्बन्धी अधिकार सौपे गए
  • तहसीलदारों को नियुक्त किया गया, और उन्हें दीवानी और फौजदारी से सम्बंधित अधिकार सौपे गए,
  • छत्तीसगढ़ में तीन तहसीलों का निर्माण किया गया – रायपुर,धमतरी, रतनपुर
  • तहसीलदार का पद भारतीयों के लिए नियुक्त था,
  • तहसीलदार डिप्टी कमिश्नर के निर्देशानुसार कार्य करता था
  • डाक व्यवस्था को प्रबल किया गया
  • छत्तीसगढ़ के परगनों का नये सिरे से पुनर्गठन किया गया
  • कमाविन्सदार के स्थान पर नायब तहसीलदार नियुक्त किये गए
  • नायब तहसीलदार का पद भी भारतीयों के था
  • 1857 में तहसीलों का पुनर्गठन हुआ और तीन की जगह पांच तहसील बना दिए गए
  • रायपुर, धमतरी, धमधा, नवागढ़, रतनपुर ये पांच तहसील बने
  • आठ महीने बाद पुनः तहसीलों का पुनर्गठन किया गया और धमधा की जगह दुर्ग को नया तहसील मुख्यालय बनाया गया
  • 1961 में नागपुर और उसके अधीनस्थ क्षेत्र को मिलकर एक केन्द्रीय क्षेत्र का गठन किया गया जिसे मध्य प्रान्त कहा गया
  • मध्य प्रान्त के गठन के समय छत्तीसगढ़ क्षेत्र के प्रशासन को चीफ कमिश्नर के अधीन रखा गया
  • 1862 में छत्तीसगढ़ को एक स्वतंत्र संभाग का दर्जा दिया गया
  • छत्तीसगढ़ में तीन जिले रायपुर, बिलासपुर, और संबलपुर बनाया गया
  • रायपुर और बिलासपुर में दो डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किये गए
  • रायपुर के डिप्टी कमिश्नर मि.इलियट ने राजस्व व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए तीन वर्षीय राजस्व व्यवस्था लागू की,
  • परगनों का पुनर्गठन कर उनकी संख्या नौ से बारह कर दी गई
  • परगने का अधिकारी नायब तहसीलदार को बनाया गया
  • तीन पुराने परगने राजरो, लवन, और खल्लारी के स्थान पर चार नये परगने गुलू,सिमगा,मारो, और बीजापुर का निर्माण किया गया
  • राजस्व की दृष्टि से सम्पूर्ण क्षेत्र को तीन भागो में बांटा गया
  • खालसा क्षेत्र, जमींदारी क्षेत्र, और ताहुतदारी क्षेत्र
  • छत्तीसगढ़ में ताहुतदारी पद्धति का सूत्रपात केप्टन सेंडिस (1825 – 1828 ) के अधीक्षण काल में हुआ था,
  • मि. इलियट ने अपने काल में तीन नए ताहुतदारियो सिहावा, खल्लारी, और संजारी का सृजन किया था
  • 1854 से पहले छत्तीसगढ़ में आय के प्रमुख सात मद प्रचलित थे, जो बाद में समाप्त कर दिए गए
  • 1 जून 1856 ई. से सम्पूर्ण आय को चार मदों में बांटा गया – भू-राजस्व, आबकारी( मादक द्रवों की बिक्री कर ), सायर (चुंगी कर ), पंडरी ( गैर किसानो पर विशेष कर )

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छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन और उसके कार्य-

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  • 1817 में हुए सिताबर्डी के युध्द में जब मराठे पराजित हो गये तो छत्तीसगढ़ में ब्रिटिशो ने शासन किया,
  • मराठे ब्रिटिश के अधीन रहकर शासन करने लगे,
  • छत्तीसगढ़ में अंग्रेजो का अप्रत्यक्ष नियंत्रण रहा,
  • 1818 से 1825 कैप्टन एडमंड छत्तीसगढ़ के पहले अधीक्षक थे,
  • 1825 में कैप्टन एडमंड की मृत्यु के बाद उनकी जगह कर्नल एग्न्यू अधीक्षक बने,
  • कर्नल एग्न्यू के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ का मुख्यालय रतनपुर से हटाकर रायपुर लाया गया.

छत्तीसगढ़ का ब्रिटिश साम्राज्य में पुर्णतः

विलय 1854 में डलहौजी की हड़प निति के तहत हुआ था,

  • नागपुर राज्य के ब्रिटिश शासन में विलय के साथ ही छत्तीसगढ़ भी प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन में विलीन हो गया,
  • ब्रिटिश शासन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सूबे को एक जिले का दर्जा दिया गया, जिसका प्रमुख अधिकारी डिप्टी कमिश्नर कहलाया
  • छत्तीसगढ़ के असैनिक प्रशासन का पुनर्गठन कर यहाँ पंजाब की प्रशासनिक व्यवस्था को लागू किया गया,
  • इसके अंतर्गत प्रशासन को डॉ वर्गों माल और दीवानी में बांटा गया
  • डिप्टी कमिश्नर को दीवानी शाखा के प्रशासन हेतु दोनों, मूल और अपील सम्बन्धी अधिकार सौपे गए
  • तहसीलदारों को नियुक्त किया गया, और उन्हें दीवानी और फौजदारी से सम्बंधित अधिकार सौपे गए,
  • छत्तीसगढ़ में तीन तहसीलों का निर्माण किया गया – रायपुर,धमतरी, रतनपुर
  • तहसीलदार का पद भारतीयों के लिए नियुक्त था,
  • तहसीलदार डिप्टी कमिश्नर के निर्देशानुसार कार्य करता था
  • डाक व्यवस्था को प्रबल किया गया
  • छत्तीसगढ़ के परगनों का नये सिरे से पुनर्गठन किया गया
  • कमाविन्सदार के स्थान पर नायब तहसीलदार नियुक्त किये गए
  • नायब तहसीलदार का पद भी भारतीयों के था
  • 1857 में तहसीलों का पुनर्गठन हुआ और तीन की जगह पांच तहसील बना दिए गए
  • रायपुर, धमतरी, धमधा, नवागढ़, रतनपुर ये पांच तहसील बने
  • आठ महीने बाद पुनः तहसीलों का पुनर्गठन किया गया और धमधा की जगह दुर्ग को नया तहसील मुख्यालय बनाया गया
  • 1961 में नागपुर और उसके अधीनस्थ क्षेत्र को मिलकर एक केन्द्रीय क्षेत्र का गठन किया गया जिसे मध्य प्रान्त कहा गया
  • मध्य प्रान्त के गठन के समय छत्तीसगढ़ क्षेत्र के प्रशासन को चीफ कमिश्नर के अधीन रखा गया
  • 1862 में छत्तीसगढ़ को एक स्वतंत्र संभाग का दर्जा दिया गया
  • छत्तीसगढ़ में तीन जिले रायपुर, बिलासपुर, और संबलपुर बनाया गया
  • रायपुर और बिलासपुर में दो डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किये गए
  • रायपुर के डिप्टी कमिश्नर मि.इलियट ने राजस्व व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए तीन वर्षीय राजस्व व्यवस्था लागू की,
  • परगनों का पुनर्गठन कर उनकी संख्या नौ से बारह कर दी गई
  • परगने का अधिकारी नायब तहसीलदार को बनाया गया
  • तीन पुराने परगने राजरो, लवन, और खल्लारी के स्थान पर चार नये परगने गुलू,सिमगा,मारो, और बीजापुर का निर्माण किया गया
  • राजस्व की दृष्टि से सम्पूर्ण क्षेत्र को तीन भागो में बांटा गया
  • खालसा क्षेत्र, जमींदारी क्षेत्र, और ताहुतदारी क्षेत्र
  • छत्तीसगढ़ में ताहुतदारी पद्धति का सूत्रपात केप्टन सेंडिस (1825 – 1828 ) के अधीक्षण काल में हुआ था,
  • मि. इलियट ने अपने काल में तीन नए ताहुतदारियो सिहावा, खल्लारी, और संजारी का सृजन किया था
  • 1854 से पहले छत्तीसगढ़ में आय के प्रमुख सात मद प्रचलित थे, जो बाद में समाप्त कर दिए गए
  • 1 जून 1856 ई. से सम्पूर्ण आय को चार मदों में बांटा गया – भू-राजस्व, आबकारी( मादक द्रवों की बिक्री कर ), सायर (चुंगी कर ), पंडरी ( गैर किसानो पर विशेष कर )

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