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कायान्तरित चट्टानें क्या है? उत्पत्ति, विशेषताएं, वितरण, उपयोग एवं चट्टानों का आर्थिक महत्व

कायांतरित चट्टान या रूपांतरित चट्टानें कभी आग्नेय या अवसादी चट्टानें थीं, लेकिन पृथ्वी की पपड़ी के भीतर तीव्र गर्मी और/या दबाव के परिणामस्वरूप परिवर्तित (रूपांतरित) हो गई हैं। वे क्रिस्टलीय होते हैं और अक्सर एक "स्क्वैश्ड" (पत्तेदार या बैंडेड) बनावट होती है।

कायान्तरित चट्टानें 

उच्च तापमान, दवाव अथवा दोनों के प्रभाव से एवं ऊँचे ताप की वाष्प व जल से रासायनिक क्रिया से आग्नेय और अवसादी चट्टानों में मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। इन परिवर्तनों के फलस्वरूप बनी चट्टानें कायान्तरित चट्टानें कहलाती हैं। वारेस्टर के अनुसार, “The agents that produce changes are chiefly heat, compression and solution acting singly or together.” ऐसी चट्टानों का गुण, रंग, खनिज संरचना एवं रवे पुर्णतः नए सिरे से बनते हैं। इन चट्टानों में कठोरता एवं दृढ़ता भी अधिक होती है।

कायान्तरित चट्टानों की उत्पत्ति 

सामान्यतः कायान्तरित चट्टाने निम्नलिखित कारणों से बनती हैं-

  1. जब ज्वालामुखी उद्वभेदन के समय भीतरी भागों से तीव्र गति से आने वाला लावा अपने मार्ग में पड़ने वाली चट्टानों में घुस जाता है तो अत्यधिक ताप और दबाव के कारण मार्ग की ये चट्टानें परिवर्तित हो जाती हैं।
  2. पर्वत निर्माणकारी प्रक्रियाओं द्वारा चट्टानों पर अत्यधिक दबाव या भिंचाव पड़ने से वे या तो टूट जाती हैं या मुड़ जाती हैं और कभी-कभी ऊपर के दबाव के कारण भिंचकर नीचे की ओर खिसक जाती हैं। यहाँ से अत्यधिक गर्मी के कारण पिघल जाती हैं और कालान्तर में ठण्डी होकर नया रूप ले लेती हैं।
  3. विवर्तनिक बलों (Tectonic forces) के प्रभाव से कभी-कभी विस्तृत भू-भाग पर अत्यधिक दबाव के कारण कायान्तरित चट्टानें बन जाती हैं। वस्तुत: इन चट्टानों के निर्माण में दो कारण मुख्य हैं- अत्यधिक ताप एवं दबाव।

कायान्तरित चट्टानों की विशेषताएं 

  1. इन चट्टानों के निर्माण पर ताप और दाब का गहरा प्रभाव पड़ता है, अत: अवसादी चट्टानों के जीवाश्म नष्ट हो जाते हैं और कुछ आग्नेय चट्टानों के खनिज द्रव्य पुनः संगठित होकर एकत्रित होने लगते हैं।
  2. इन चट्टानों में रवे (crystals) भी पाए जाते हैं।
  3. यह अन्य चट्टानों से अधिक कठोर होती हैं। इनमें छिद्र नहीं होते हैं।

कयान्तरित चट्टानों का वितरण 

विश्व के प्रायः सभी प्राचीन पठारों पर कायान्तरित चट्टानें मिलती हैं। भारत में ऐसी चट्टानें दक्षिण के प्रायद्वीप, दक्षिण अफ्रीका के पठार और दक्षिणी अमरीका के ब्राजील के पठार, उत्तरी कनाडा, स्कैण्डेनेविया, अरब, उत्तरी रूस और पश्चिमी आस्ट्रेलिया के पठार पर पायी जाती हैं। इनमें सोना. हीरा, संगमरमर, चांदी आदि खनिज पाए जाते हैं।

कायान्तरित चट्टानों का आर्थिक उपयोग 

कायान्तरित चट्टानों में अनेक प्रकार के महत्वपूर्ण धातु खनिज पाए जाते हैं जो मानव के लिए अनेक प्रकार से उपयोगी हैं। अधिकांश बहुमूल्य खनिज सोना, चांदी और हीरा कायान्तरित चट्टानों से प्राप्त होते हैं।

संगमरमर जो एक प्रमुख कायान्तरित चट्टान है भवन निर्माण के लिए उपयोग में आता है।

विश्व प्रसिद्ध ग्रेफाइट एवं हीरा भी बहु-उपयोगी कायान्तरित चट्टान है। अभ्रक जैसे खनिज वारबार कायान्तरण होने से  बनते हैं। कठोर क्वार्टजाइट का निर्माण अवसादी चट्टान के कायान्तरण से हुआ है एवं इसका सुरक्षा एवं अन्य विशेष धातु उद्योग में अधिक उपयोग होता है।

चट्टानों का आर्थिक महत्व

उपर्युक्त तीनों ही प्रकार की चट्टानें आर्थिक दृष्टि से किसी-न-किसी रूप में महत्वपूर्ण हैं। इन चट्टानों में ही खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से इनका निम्नलिखित महत्व है-

  1. आग्नेय चट्टानों में सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, क्रोमाइट, अभ्रक, गन्धक, मैग्नेसाइट, मैंगनीज, आदि मिलते हैं। इन चट्टानों से सड़कें बनाने के लिए पत्थर (डोलोराइट, गेब्रो तथा ग्रेनाइट) प्राप्त किए जाते हैं। लावा की काली मिट्टी भी इन्हीं चट्टानों से मिलती है, जो कपास और गेहूं की खेती के लिए उपयुक्त है।
  2. अवसादी चट्टानों में कोयला, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, जिप्सम, बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, इमारती पत्थर, फास्फेट, पोटाश, सेंधा , डोलोमाइट, आदि मिलते हैं। कृषि के लिए महत्वपूर्ण कांप या मिट्टी भी इन चट्टानों से प्राप्त होती है।
  3. कायान्तरित चट्टानों में चुम्बकीय तांबा, क्रोमियम, लोहा, ग्रेफाइट, यूरेनियम, संगमरमर, सोना, चांदी, हीरा, आदि मिलते हैं।
  4. चट्टानों से ही भवन-निर्माण के लिए विभिन्न प्रकार के इमारती पत्थर प्राप्त किए जाते हैं। आगरा, फतेहपुर सीकरी और दिल्ली से मस्जिदों और किलों में लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। विश्व प्रसिद्ध प्राचीन मन्दिरों का निर्माण संगमरमर से किया गया है।
  5. चट्टानों से ही अनेक उद्योगों के लिए कच्चा माल मिलता है, जैसे-सीमेण्ट उद्योग के लिए चूना, डोलोमाइट, कोयला, सिलिकायुक्त मिट्टी, कांच उद्योग के लिए विशेष प्रकार की बालू मिट्टी, रासायनिक पदार्थों के लिए नमक, पोटाश, रासायनिक खाद के लिए जिप्सम, गन्धक, पायराइट और फास्फेट, आदि की प्राप्ति चट्टानों से ही होती है।
  6. आग्नेय चट्टानों के क्षेत्र में अनेक स्थानों पर (भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा में) गन्धक, अन्य रसायन व खनिज मिश्रित जल के स्रोत पाए जाते हैं जिनमें स्नान करने से त्वचा के अनेक रोग मिट जाते हैं।
  7. हमारा सम्पूर्ण अभिनव औद्योगिक तन्त्र एवं विकसित सभ्यता का सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप चट्टानों एवं खनिजों के विविध या विशिष्ट प्रकार से बढ़ते हुए एवं बदलते हुए उपयोग के अनुसार ही संशोधित होता जा रहा है।

FAQs

कायांतरित चट्टानें कैसे बनती हैं?

आग, दाब एवं रासायनिक क्रिया के कारण अवसादी चट्टानों का रूप बदल जाता है जिससे रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों का निर्माण होता है। अर्थात जब पर्यावरण में परिवर्तन होता है तो चट्टानों में टूट-फूट व रासायनिक क्रिया होती है जिस कारण से उनका आकार व रूप बदल जाता है और इससे कायांतरित चट्टानों का निर्माण होता है।

कायांतरित चट्टान की विशेषताएं क्या हैं?

रूपांतरित चट्टानें कभी आग्नेय या अवसादी चट्टानें थीं, लेकिन पृथ्वी की पपड़ी के भीतर तीव्र गर्मी और/या दबाव के परिणामस्वरूप परिवर्तित (रूपांतरित) हो गई हैं। वे क्रिस्टलीय होते हैं और अक्सर एक "स्क्वैश्ड" (पत्तेदार या बैंडेड) बनावट होती है।

कायांतरित शैल का मुख्य लक्षण क्या है?

कायांतरित शैल – जो शैलें ताप अथवा दाब या फिर दोनों के कारण बनती हैं, वे कायांतरित शैल कहलाती हैं। ताप तथा दाब मूल शैल की विशेषताओं को नए खनिजों का निर्माण करके बदल देते हैं। कायांतरित शैल के प्रमुख उदाहरण स्लेट, संगमरमर, हीरा, शिस्ट आदि हैं।

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