यह देश के विकास के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। मौलिक कर्तव्य देश की एकता एवं अखंडता की सुरक्षा करने के साथ-साथ देश के नागरिकों में राष्ट्रप्रेम की भावना को भी बढ़ावा देता है।
मौलिक कर्तव्य क्या है?
किसी कार्य को करने के दायित्व को मौलिक कर्तव्य कहा जाता है। मौलिक कर्तव्य मुख्य रूप से व्यक्ति के विकास आदि कार्य से संबंधित होते हैं। भारतीय संविधान में जिस प्रकार सभी नागरिकों के लिए एक समान अधिकार का प्रावधान किया गया है ठीक उसी प्रकार नागरिकों के मौलिक कर्तव्य की भी विवेचना की गई है।
मौलिक कर्तव्य कितने हैं
शुरुआत में अनुच्छेद 51 भाग (अ) के तहत कुल 10 मौलिक कर्तव्य को भारतीय संविधान में जोड़ा गया था। जिसके बाद वर्ष 2002 में 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम की सूची में एक और मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया था। इस प्रकार भारतीय संविधान में कुल 11 मौलिक कर्तव्य शामिल है।
मौलिक कर्तव्य किस देश से व कब लिया गया
भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को मुख्य रूप से सोवियत संघ से लिया गया है। इसे भारतीय संविधान में सर्वप्रथम वर्ष 1976 में संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम के तहत जोड़ा गया था। भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों का विवरण भाग अनुच्छेद 51 के भाग 4 में मिलता है।
11 मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं
भारतीय संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य कुछ इस प्रकार हैं:-
- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता की रक्षा करके उसे अटूट बनाए रखें।
- देश के नागरिक भारतीय संविधान के सभी नियमों का पालन करें एवं उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का आदर करें।
- स्वतंत्रता हेतु राष्ट्रीय आंदोलनों को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों का आंतरिक रुप से सम्मान करके राष्ट्रगान का आदर करें।
- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह हर परिस्थिति में देश की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहें।
- प्रत्येक नागरिक सामाजिक संस्कृति की प्रतिभाशाली परंपराओं के महत्व को समझे एवं उसका निर्माण करें।
- भारत के सभी नागरिकों में समरसता भ्रातृत्व की भावना का निर्माण एवं विकास हो सके।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद एवं ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
- भारत के नागरिक प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं उसको बढ़ावा देने का निरंतर प्रयास करें।
- प्रत्येक नागरिक का मुख्य रूप से यह कर्तव्य होगा कि वह सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने की चेष्टा करें।
- भारतीय संविधान के 86 वें संशोधन के अंतर्गत माता-पिता आपने 6 से 14 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करें।
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के लगभग सभी क्षेत्रों में प्रगति करने का निरंतर प्रयास करते रहें।
मौलिक कर्तव्यों का महत्व
भारतीय संविधान में अधिकारों एवं कर्तव्य में एक गहरा संबंध होता है। यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू माने जाते हैं क्योंकि कर्तव्यों के बिना अधिकारों की मांग करना न्याय संगत नहीं होता है। महात्मा गांधी के विचार धाराओं के अनुसार व्यक्ति के अधिकारों का एकमात्र स्रोत वास्तव में कर्तव्य ही होते हैं और यदि कोई व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे किसी भी प्रकार के अधिकार की मांग करने की आवश्यकता नहीं होती।
- देश की प्रगति में सहायक
- लोकतंत्र को सफल बनाने में सहायक
- देश की संस्कृति की रक्षा एवं संरक्षण करने हेतु सहायक
- देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में सहायक
- नारियों का सम्मान
- विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास
मौलिक कर्तव्य की आलोचनाएं
मौलिक कर्तव्यों की आलोचनाएं कुछ इस प्रकार की गई हैं:-
- कुछ लोगों का मानना है कि मौलिक कर्तव्य केवल देश के नागरिकों के लिए है ना कि विदेशी मूल के नागरिकों के लिए।
- मौलिक कर्तव्य में कई कार्य नैतिक कर्तव्य एवं नागरिक कर्तव्य होते हैं। जैसे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का सम्मान करना एक नैतिक कर्तव्य होता है परंतु राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रीय गान का सम्मान करना एक नागरिक कर्तव्य है।
- मौलिक कर्तव्य मुख्य रूप से भारतीय परंपराओं, धर्म, पौराणिक कथाओं आदि से संबंधित है।
FAQs
मौलिक कर्तव्य क्या है?
मौलिक कर्तव्य किस देश से लिया गया है?
मौलिक कर्तव्य कब लिया गया था?
मौलिक कर्तव्यों का महत्व क्या है?
- देश की प्रगति में सहायक
- लोकतंत्र को सफल बनाने में सहायक
- देश की संस्कृति की रक्षा एवं संरक्षण करने हेतु सहायक
- देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में सहायक
- नारियों का सम्मान
- विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास