आप भारतीय संविधान का विकास बोलो या भारतीय संविधान का इतिहास दोनों समान ही है। किसी भी देश का संविधान अचानक से अस्तित्व में नहीं आता है। वह एक ऐतिहासिक विकास का परिणाम होता है। भारत में शासन प्रणाली समय के साथ बदलती रही है। इसलिए भारतीय संविधान के वर्तमान स्वरूप को समझने के लिए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझना आवश्यक है।
भारतीय संविधान
- प्रारंभ में, राजा, महाराजा, चक्रवर्ती आदि जैसे शासक शासन को चला रहे थे।
- राजा धर्म के अनुसार राज्य पर शासन करता था, और उसकी सहायता के लिए एक ‘मंत्रिपरिषद’ होती थी। फिर भी, राजा का निर्णय अंतिम था। उस समय गणराज्य भी मौजूद थे जो आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार छोटे पैमाने पर संचालित होते थे।
- फिर भी, आज की आधुनिक संवैधानिक व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन विकसित हुई। 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना और 1765 में इसकी ट्रेडिंग कंपनी के एक शासी इकाई में परिवर्तन का भारतीय शासन के साथ-साथ राज्य व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा।
- कंपनी शासन के तहत 1773 और 1858 के बीच व्यापक संवैधानिक और प्रशासनिक परिवर्तन हुए और 1858 से 1947 तक ब्रिटिश सरकार के शासन के तहत प्रशासनिक और न्यायिक परिवर्तनों ने आधुनिक राज्य के तत्वों को भारत की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में शामिल किया।
- 1857 के विद्रोह के बाद कंपनी शासन को समाप्त करके ब्रिटिश ताज ने शासन लिया, भारत का संविधान 1950 में तैयार हुआ उसके पहले समय समय पर कानून ने संविधान की रुपरेखा को तय किया, जिस वजह से समस्त घटना क्रम को दो भागो में बाँटा जाता है
- कंपनी शासन (1773-1858)
- ब्रिटिश सरकार शासन (1858-1947)
ईस्ट इंडिया कंपनी शासन(1773-1858)
- रेग्युलेटिंग एक्ट 1773
- संशोधन अधिनियम 1781
- पिट्स इंडिया अधिनियम 1784
- संशोधन अधिनियम 1786
- चार्टर एक्ट 1893
- चार्टर एक्ट 1813
- चार्टर एक्ट 1833
- चार्टर एक्ट 1853
ब्रिटिश ताज का शासन (1858-1947)
- भारत शासन अधिनियम 1858
- भारतीय परिषद अधिनियम 1861
- भारतीय परिषद अधिनियम 1892
- भारतीय परिषद अधिनियम 1909
- भारत शासन अधिनियम 1919
- सायमन कमिशन 1927
- नेहरू रिपोर्ट 1928
- भारत शासन अधिनियम 1935
- अगस्त प्रस्ताव 1940
- क्रिप्स मिशन 1942
- राज गोपालाचारी फार्मूला 1944
- वेवेल योजना 1945
- केबिनेट मिशन 1946
- माउन्ट बेटन योजना 1947
- बाल्कन प्लान 1947
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
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