ग्रामीण भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका
ग्रामीण भारत का विकास निरन्तर हो रहा है परन्तु इसकी गति अत्यन्त मध्यम रही है। गाँव का नाम सुनते ही सादा सरल जीवन और सुखद अनुभूति होती है। लेकिन समय के साथ साथ इसमें भी परिवर्तन होता रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के क्षेत्र में भारत की हुई प्रभावशाली तरक्की बेमानी है यदि गाँव कस्बों में रहने वाली अधिकांश आबादी को उसका लाभ न मिले। ग्रामीण संदर्भ में सूचना प्रौद्योगिकी से होने वाला लाभ द्विपक्षीप है। सरकारों तथा संगठनों के लिए नई तकनीके ग्रामीण जनता माध्यम बन रही है। इस कारण कार्यक्रमों और योजनाओं को अधिक व्यावहारिक, समावेशी और परिमाणों मुखर बनने में मदद मिलती है।
ग्रामीण भारत का विकास
ग्रामीण भारत का विकास निरन्तर हो रहा है परन्तु इसकी गति अत्यन्त मध्यम रही है। गाँव का नाम सुनते ही सादा सरल जीवन और सुखद अनुभूति होती है। लेकिन समय के साथ साथ इसमें भी परिवर्तन होता रहा है। जीवन कठिन हो गया? आय के साधन भी कम हो गये परन्तु आज गाँव फिर अपनी मुख्य धारा में आ रहे है देश के गाँव आज विकास के प्रतिमान बन रहे इनमें कृषि के अन्तर्गत नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो रहा है।
दूर संचारके साधन, शहरों को जोड़ती सड़कें, तेजी से होते विकास के कारण अब गाँवों का विकास देश के बड़े प्रतिष्ठानों, अनुसंधान संस्थाओं, सरकारी और गैरसरकारी कार्यालयों, स्वैच्छिक संगठनों से जुड़ाव कायम कर सकता है और इन सबके लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अहम स्थान है।
ग्रामीण भारत में अर्थव्यवस्था
ग्रामीण भारत में अर्थव्यवस्था के तीनो स्तम्भ आधुनिक कृषि, औद्योगिक औश्र सेवाएं एक-दूसरे के साथ सामंजस्य के साथ विद्यमान हो। जहाँ लोग सुविधाओं से सम्पन्न गाँवों मे रहते हो और आसानी से काम पर जाते हो, भले ही वे किसान हो गैर किसान और इस सपने को पूरा करने के लिए आधुनिक विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का योगदान महत्वपूर्ण है। यह सुविकसित सबल और आत्म–निर्भर ग्रामीण भारत की आवश्यकता है।
कम्प्यूटर, इंटरनेट और दूरसंचार सुविधाओं को एक बड़ी ताकत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। पिछले डेढ़ दशक के दौरान आई आर्थिक बेहतरी ने इन सुविधाओं के प्रसार के लिए वातावरण काफी अनुकूल हो गया है। प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है, आम आदमी की क्रय शक्ति में वृद्धि हुई है, शिक्षा का प्रसार हुआ है और जागरूकता का स्तर भी बेहतर हुआ है।
सूचना – संचार प्रौद्योगिकी और जमीनी स्तर पर हो रहे बदलाव एक दूसरे के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के क्षेत्र में भारत की हुई प्रभावशाली तरक्की बेमानी है यदि गाँव कस्बों में रहने वाली अधिकांश आबादी को उसका लाभ न मिले।
ग्रामीण संदर्भ में सूचना प्रौद्योगिकी से होने वाला लाभ द्विपक्षीप है। सरकारों तथा संगठनों के लिए नई तकनीके ग्रामीण जनता माध्यम बन रही है। इस कारण कार्यक्रमों और योजनाओं को अधिक व्यावहारिक, समावेशी और परिमाणों मुखर बनने में मदद मिलती है।
दूरसंचार तथा इंटरनेट व्यापक प्रसार
इस सन्दर्भ में, वे सभी योजनाऐं बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, जिनका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में तकनीकी सुविधाओं, दूरसंचार तथा इंटरनेट व्यापक प्रसार करना है। ऐसी योजनाओं में केन्द्र तथा राज्य सरकार की प्रधान भूमिका है, किन्तु निजी क्षेत्र ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अनेक राज्य सरकारों मे ग्राम पंचायतों को कम्प्यूटर उपलब्ध कराए गऐ है।
सरकार धीरे-धीरे ही सही, एक संस्कृति तैयार करने का प्रयास कर रही है, जिसमें आम लोक तकनीकी से आशंकित न हो, बल्कि उसके साथ सामंजस्य बढ़ाने की सोचे। जनसंख्या के अनुपात में भारत में कम्प्यूटर की संख्या पाँच 5-6 प्रतिशत के लगभग ही है, लेकिन फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों मे सूचना प्रौद्योगिकी का विविधपर्ण प्रयोग दिखाई देने लगा है।
जैसे अग्रिम मौसम की जानकारी, नई कृषि तकनीकों की खबरें और विशेषज्ञों की सलाह। इंटरनेट आधरित कुछ परियोजनाएँ इस मुश्किल को हल करने में उनकी मदद कर रही है।
ग्रामीण छात्रों और युवकों को कम्प्यूटर शिक्षा
उधर ग्रामीण छात्रों और युवकों को कम्प्यूटर शिक्षा मुहैया मकराने में भी तकनीक का प्रयोग होने लगा है तो कुछ आई टी कंपनियों ने बेरोजगार ग्रामीणों को तकनीकी कामों का प्रशिक्षण देकर नौकरियाँ भी देनी शुरू की है। प्राय: चिकित्सक गाँवों में काम करने से बचते थे।
तकनीकी ऐसे चिकित्सकों और ग्रामीणों के बीच सेतु का कार्य कर सकती है। प्रशासनिक औपचारिकताओं तथा जरूरतों को पूरा करने में इंटरनेट की भूमिका महत्वपूर्ण है।
ई-प्रशासन जैसी परियोजना न सिर्फ प्रशासनिक ढांचे का सरलीकरण करने मे मदद कर रही है, बल्कि प्रशासन तक ग्रामीणों की पहुंच भी बेहतर बना रही है। इंटरनेट और दूरसंचार सर्वेक्षण शिकायतों फीडबैक, विचार –विमार्श आदि का आसान जरिया बन रहे है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की तरक्की का लाभ किसी न किसी रूप ने ग्रामीण आबादी तक भी पहुँचे इसे लेकर सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही क्षेत्रों ने कुछ गम्भीर प्रयास, कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग किए है। आधुनिक युग में समग्र ग्रामीण विकास के लिए सूचना तकनीक एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण स्तम्भ है। इस नवीन प्रौद्योगिकी में न केवल विश्व समुदाय को विचार विमर्श का एकीकृत मंच प्रदान किया है बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के विकास हेतु अभिनव मार्ग भी प्रशस्त किया है।
गाँव आज विकास के प्रतिमान बन रहे है, उनका चहुंमुखी दिशा में विकास हो रहा है गाँवों में कृषि के अन्तर्गत नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो रही है वे अब पक्की सड़को द्वारा शहरों से जुड़ गए है, वहां अब दूरसंचार सम्बन्धी भी कोई समस्या नही है और साक्षरता भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है सूचना प्राद्योगिकी की बदौलत देश की कृषि परिदृश्य में तेजी से बदलाव आ रहा है।
भारत सरकार ने यह पूरी तरह प्रण कर लिया है कि गाँवों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जायेगा। ग्रामीण विकास मुत्रालय को अधिकाधिक वित्त का आवंटन किया जाता है ताकि भारत का कोई भी कोना विकास से अछूता न रह जाये।
ई. चौपाल : निजी क्षेत्र की कम्पनी आई०टी०सी० लिमिटेड की ओर से स्थापित विशाल ई-चौपाल नेटवर्क के तहत दस राज्यों करीब 40 हजार गांवों को इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से खेती से जुड़ी हर किस्म की सूचनाएं और सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। आज ई-चौपाल नेटवर्क किसानो को बेहतर उपज पैदा करने मे से लेकर बेहतर दामों मे बेचने मे भी मदद कर रहा है।
नोकिया लाइफ टूल्स : मोबाइल उपकरण बनाने वाली प्रसिद्ध कम्पनी ‘नोकियों लाइफ टूल्स’ नाम का एस.एम.एस आधारित एम्पीकेशन तैयार किया है जो इन हैडसेट्स में पहले से विद्यमान है। यह किसानों से उनका पिनकोड पूछता है और उसके आधार पर उनकी पंसदीदा भाषा में एस.एम.एस संदेशों के जरिए खेती किसानी, मौसम और स्थानीय मुट्ठों से जुड़ी दूसरी सूचनाएं मुहैया कराता है। देश भर में अनाए गये ज्ञान प्रकोप इस एप्लीकेशन में निस्तर नई सूचनाएं डालते रहतें है।
ई-सेवा : ग्रामीण लोग कम्प्यूटर और इंटरनेट की मदद से ई-सेवा तक पहुँचते है जहाँ प्रशासन से जुड़े ज्यादातर काम पूरे करने की सुविधा उपलब्ध है, जैसे-मासिक बिल जमा करवाना, परमिट और लाइसेंस के लिए आवेदन करना, परिवहन विभाग की बसों में आरक्षण करवाना, पासपोर्ट के लिए फार्म जमा करना और तमाम किस्मत के फार्म डाउनलोड करना। इन सेवाओं में किसी भी वाहन के पंजीकरण सम्बन्धी ब्यौरा पाना, ड्राइविंग लाइसेंस सम्बन्धी विवरण आदि शामिल है।
किसान राजा : इस परियोजना के अन्तर्गत किसान वायरलेस तकनीक के जरिए सिचांई में काम आने वाली मोटरों को नियंत्रित कर सकतें है क्योंकि काम खत्म होने पर मोटर बन्द करनी जरुरी है। किसान राजा के जरिए वे खेम में लगी मोटरों को घर से बन्द कर चालू कर सकते है। बिजली की समस्या के कारण होने वाली मोटरों के खराब होने से बच जाता है।
भूमि : जिसके तहत राज्य भर के भूमि सम्बन्धी दस्तावेजो को कंप्यूटराइज कर दिया गया है। जिसमें किसानों को ग्रामीण भूमि सम्बन्धी वास्तावेज ऑनलाइन देखने को मिल जाए। उसके जरिए भूमि सम्बन्धी जानकारी लेने के साथ – साथ भूमि सम्बन्धी दस्तावेजो को खरीदा जा सकता है। अब इसमें दस्तावेजो के खो जाने और जल जाने की समस्या भी नही रही।
सूचना ग्राम : सूचना ग्राम परियोजना का उद्देश्य गाँवों को स्थानीय भाषा में महत्वपूर्ण सूचनाएं देना है। इन सूचनाओं के कृषि उत्पादो की खरीद फरोख्त, बाजार की संभावनाओं, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने हेतु परामर्श आदि प्रमुख जानकारियाँ होती है।
तारा हाट : टेक्नोलॉजी एंड एक्शन फॉर रुरल एडवांस भेंट (तारा) नान के गैर सरकारी संगठन ने उत्तर भारत के राज्यों के ग्रामीणों को इन्टरनेट आधारित सेवाए मुहैया करायी है। तारा केन्द्रो में मौजूद कम्प्यूटरों के जरियें ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की सूचना मिलती रहती है। इसे भारत में ई-प्रशासन के क्षेत्र की शुरुआती परियोजनाओं में गिना जाता है।
दृष्टि : इस संगठन के माध्यम से ग्रामीणों को कम्प्यूटरों, अंग्रेजी तथा सी०पी०ओ० (कॉल सेन्टर) से प्रशिक्षण देता है। इन सेवाओं के साथ उसके 2400 कि ओस्क के माध्यम से गांवों के नागरिकों तक कई सरकारी सेवाएं, बीमा, ई-कॉमर्स, स्वास्थ्य सेवाएं और लघु वित्त सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती है।
डिजीटल पंचायत : दिल्ली से संचालित गैर सरकारी संगठन डिजीटल एम्पावरमेन्ट फाउडेंशन ने 15 राज्यों में 500 डिजीटल पंचायतें शुरु करने का काम हाथ में लिया इसके तहत प्रशासन और लोगो के बीच किया जा रहा है।
संचार व सूचना द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक परम्पराएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती है 21 वीं सदी में सूचना प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं के बिना सामाजिक निरन्तरता बनाये रखने की कठिनाइयों का अनुमान सहज ही किया जा सकता है। इसके लिए सार्वजनिक निजी क्षेत्रों की सहभागिता, जनसहयोग तथा सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं प्रभावी क्रियान्वयन तंत्र की आवष्कता है, जिससे ग्रामीण परिवेश में भौतिक, प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके। भारत जैसे विशाल भौगोलिक संरचना एंव विविधता वाले देश में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ जाता है देश के दूरदराज के क्षेत्रों में जहां भौतिक सम्पर्क बनाना कठिन है सूचना प्रौद्योगिक कारगार अहम भूमिका निभा सकती है।