तमिलनाडु सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए नीति का मसौदा (draft policy for senior citizens) तैयार किया है। इस नीति के तहत सरकार की योजना शैक्षणिक संस्थानों, क्षेत्र विशेषज्ञों और नागरिक समाज संगठनों के साथ काम करने की है। यह नीति संविधान के अनुच्छेद 41 के आधार पर बनाई गई है।
तमिलनाडु राज्य का मानना है कि वरिष्ठ नागरिक को नेतृत्व करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ज्ञान के अंतर-पीढ़ी हस्तांतरण की सुविधा के लिए यह आवश्यक है। इससे युवा अपने वरिष्ठों के अनुभव से सीख सकते हैं।
यह नीति आजीविका प्रशिक्षण प्रदान करने, बुजुर्ग स्वयं सहायता समूहों के गठन, वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्षमता निर्माण पर प्रकाश डालती है। साथ ही, यह वृद्ध लोगों की सुरक्षा के मुद्दों को भी संबोधित करेगी। यह एक बैंकिंग सहायता कार्यक्रम और पीड़ितों के लिए बचाव केंद्र की एक प्रणाली का निर्माण करेगी।
राज्य की जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। और राज्य में परित्याग (abandonment) की समस्या बढ़ती जा रही है। यह मुख्य रूप से राज्य में बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के कारण है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, “Elderly in India, 2021”, तमिलनाडु में 13.6% आबादी वरिष्ठ नागरिक है। तमिलनाडु में केरल के बाद भारत में वरिष्ठ नागरिकों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।साथ ही, यह अनुमान लगाया गया है कि 2031 तक वरिष्ठ नागरिकों की आबादी बढ़कर 18.2% हो जाएगी।