करेंट अफेयर्स प्रश्नोत्तरी

  • करेंट अफेयर्स दिसम्बर 2022
  • करेंट अफेयर्स नवंबर 2022
  • करेंट अफेयर्स अक्टूबर 2022
  • करेंट अफेयर्स सितम्बर 2022
  • करेंट अफेयर्स अगस्त 2022
  • करेंट अफेयर्स जुलाई 2022
  • करेंट अफेयर्स जून 2022
  • करेंट अफेयर्स मई 2022
  • करेंट अफेयर्स अप्रैल 2022
  • करेंट अफेयर्स मार्च 2022

करेंट अफेयर्स ( वर्गीकृत )

  • व्यक्तिविशेष करेंट अफेयर्स
  • खेलकूद करेंट अफेयर्स
  • राज्यों के करेंट अफेयर्स
  • विधिविधेयक करेंट अफेयर्स
  • स्थानविशेष करेंट अफेयर्स
  • विज्ञान करेंट अफेयर्स
  • पर्यावरण करेंट अफेयर्स
  • अर्थव्यवस्था करेंट अफेयर्स
  • राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स
  • अंतर्राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स
  • छत्तीसगढ़ कर्रेंट अफेयर्स

दर्शन शास्त्र क्या है ? अर्थ, प्रकार, भाग, भारतीय दर्शन और पाश्चत्य दर्शन, को जरुर जाने ..

दर्शन का पहला रूप हम समझते हैं देखना। हम विग्रह का, भगवान की मूर्ति का दर्शन करते हैं,उसे देखते हैं। कभी किसी व्यक्ति को भी कहते हैं,”आपके दर्शन दुर्लभ हो गये हैं” (दर्शन दुर्लभ हो गये, जबसे दिया उधार!) अर्थात् कोई व्यक्ति अब दिखता नहीं।

दर्शन शास्त्र क्या है ?

जब भारतीय ‘दर्शन’ की बात करी जाती है तो वह है संस्कृत की ‘दृश’ धातु से बना, उससे निष्पन्न हुआ शब्द -दर्शन!  आधुनिक पाश्चात्य संसार में जो ‘philosophy’ शब्द है , वह दर्शन के लिये प्रयोग होता है। जिसे philosophy कहते हैं , वह दर्शन नहीं है।

दर्शन शास्त्र का अर्थ

देखा जाए तो दर्शन उस विद्या का नाम है, जो सत्य एवं ज्ञान का बोध कराता है. व्यापक अर्थ में दर्शन तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला होती है । दर्शन उससे बहुत आगे है, बहुत विस्तृत है। अनुमान से कुछ बताने, या सोचने, विचार करने, बहुत विचार करने को फिलोसॉफी कहते हैं।

दर्शन के प्रकार

दर्शनशास्त्र मुख्यत: दो प्रकार के है –

1) भारतीय दर्शन

2) पाश्चत्य दर्शन

1) भारतीय दर्शन

षटदर्शन :- यह ऐसा दर्शन है, जो दर्शनशास्र का का मुख्य अंग होता है । इसके अंतर्गत निम्नलिखित दर्शन आते है :-

षटदर्शन नाम  –    रचियता

1) सांख्य दर्शन  –  कपिल मुनि

2) योग दर्शन  –  पतंजलि

3) न्याय दर्शन  –  गौतम

4) वैशेषिक दर्शन  –  कणाद

5) पूर्व मीमांसा  –  जैमिनी

6) उत्तर मीमांसा (अद्वैत, वेदांत दर्शन)  –  बादरायण

इन 6 दर्शनों को षटदर्शन कहा जाता है ।

भारतीयों के अन्य दर्शन निम्नलिखित है :-

7) चारवाक दर्शन (लोकायात या भौतिकतावादी दर्शन)  –  वृहस्पति

8) जैन दर्शन  –  महावीर

9) बौद्ध दर्शन  –  गौतम बुद्ध

प्रसिद्ध समकालीन भारतीय दार्शनिक चिंतक निम्नलिखित है:-

10) कौटिल्य – सप्तांग सिद्धांत, मंडल सिद्धांत

11) स्वामी विवेकानंद – व्यवहारिक वेदांत, सार्वभौम धर्म

12) श्री अरविन्द – समग्र योग, अतिमानस

13) गांधी जी – अहिंसा, सत्याग्रह, एकादश व्रत

14) बी.आर. अम्बेडकर – सामाजिक चिंतन

15) वल्लभाचार्य – पुष्टिमार्ग ।

2) पाश्चत्य दर्शन

पाश्चत्य दर्शन :- प्रमुख पाश्चत्य दर्शन निम्नलिखित है –

1) प्लेटो – सद्गुण

2) अरस्तू – कारणता सिद्धांत

3) देकार्त – संदेह पद्धति

4) स्पिनोजा – द्रव्य, सर्वेश्वरवाद

5) लाइब्नीत्ज – चीद्णुवाद

6) लॉक – ज्ञान मीमांसा

7) बर्कले – सत्ता अनुभव मूलक है

8) ह्यूम – संदेहवाद

9) कांट – समिक्षावाद

10) हेगल – द्वंदात्मक प्रत्ययवाद, बोध एवं सत्ता

11) मूर – वस्तुवाद

12) ए. जे. एयर – सत्यापन सिद्धांत

13) जॉन डीवी – व्यवहारवाद

14) सार्त्र – अस्तित्व वाद

15) संत एंसेलम – ईश्वर सिद्धि हेतु सत्तामुलक तत्व .

दर्शन शास्त्र के भाग

दर्शन शास्त्र को 4 भागो मे बांटा गया है :-

1) आस्तिक दर्शन

2) नास्तिक दर्शन

3) ईश्वरवादी दर्शन

4) अनीश्वरवादी दर्शन

1) आस्तिक दर्शन के अंतर्गत :- सांख्य दर्शन, योग दर्शन, न्याय दर्शन, वैशेषिक दर्शन, पूर्व मीमांसा दर्शन, उत्तर मीमांसा(अद्वैत वेदांत दर्शन) ये सभी आस्तिक दर्शन होते है ।

2) नास्तिक दर्शन – जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, चारवाक दर्शन ये सभी नास्तिक दर्शन होते है, साथ ही ये ईश्वर के अस्तित्व को भी स्वीकार नहीं करते है, अनीश्वरवादी होते है ।

3) ईश्वरवादी दर्शन – योग दर्शन, न्याय दर्शन, वैशे षिक दर्शन, उत्तर मीमांसा (अद्वैत वेदांत) ये सभी ईश्वर की अवधारणा को मानने वाले के साथ आस्तिक भी होते है ।

4) अनीश्वरवादी दर्शन – सांख्य दर्शन(Sankhya Darshan), जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, चारवाक दर्शन (Charwak Darshan), पूर्व मीमांसा ये सभी ईश्वर की अवधारणा को नहीं मानते है ।

  • मनुष्य के लिए साधना के कई  मार्ग हैं, प्राप्तव्य एक है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं : गणित में दो और दो चार होते हैं, एक और तीन भी चार होते हैं तथा आठ में से चार जाएँ, तो भी चार होते हैं। चार तक पहुँचना महत्वपूर्ण है और चार तक बहुत तरह से पहुँचा जा सकता है। ऐसी ही यदि 100 की संख्या पर पहुँचना हो तो कई मार्ग हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि केवल कोई एक मार्ग ही सही है। ऐसा नहीं है कि केवल दो और दो चार ही उचित है अथवा शुद्ध है, तीन और एक नहीं। यदि कोई ऐसा कहता है तो कहने वाला गणितज्ञ नहीं हो सकता!
  • ऐसे ही मुक्ति का यही एक मार्ग है और कोई मार्ग नहीं हो सकता, ऐसा कहने वाला ज्ञानी नहीं है।
  • ऋषि-मुनियों ने जाना कि परमात्मा की ओर जाने वाले कितने मार्ग हैं और भटकाने वाले कितने मार्ग  हैं। परमात्मा तक ले जाने वाले मार्गों की पूरी प्रक्रिया दी। सृष्टि का उद्भव कैसे हुआ; हम कहाँ से आये; जन्म कैसे होता है; जन्म के समय पर गर्भ में हम कैसे आ जाते हैं; वहीं क्यों आते हैं; पूर्व जन्म कैसे होता है; पुनर्जन्म कैसे होता है – ऐसी बहुत सारी बातें लिखीं और उनका नाम बताया गया दर्शन शास्त्र!
  • हमारे ऐसे छह दर्शन मुख्य हैं:

 (1) न्याय, (2) वैशेषिक, (3) सांख्य, (4) योग, (5) पूर्व मीमांसा (मीमांसा शास्त्र) तथा (6) उत्तर मीमांसा (वेदांत)।

  • इन छह दर्शनों के शास्त्र भिन्न ऋषियों ने लिखे हैं। वेदों को आधार मानकर, वेदों के वाक्यों को आधार मानकर लिखे गये ये छह दर्शन वैदिक दर्शन कहलाते हैं।
  • अन्य तीन दर्शन हैं :

(7) जैन दर्शन, (8) बौद्ध दर्शन और (9) चार्वाक दर्शन

  • यह अवैदिक दर्शन कहलाते हैं क्योंकि वो वेदों को प्रमाण नहीं मानते हैं। इनमें दो दर्शन ऐसे हैं जो पूर्व व पुनर्जन्म को मानते हैं, सृष्टि के रहस्य को मानते हैं – जैन दर्शन और बौद्ध दर्शन। ये दोनों दर्शन हैं। सृष्टि की, पूर्वजन्म की, पुनर्जन्म की पूर्ण  प्रक्रिया बताते हैं।  परंतु ये वेदों के वाक्यों को प्रमाणभूत नहीं मानते। वह मानते हैं कि वेद वाक्य प्रमाण हो भी सकता हैं और नहीं भी हो सकता है।
  • नौंवा और अंतिम दर्शन है चार्वाक दर्शन। चार्वाक दर्शन रहस्य को नहीं मानता है। वह भोगों को मानता है:
  • यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्। भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः ।। 
  • अर्थात् जब तक जीवन है, सुख से जियो, भोग-आनंद करो। यह देह भस्मीभूत होने के बाद कहाँ पुनः आना है।
  • चार्वाक दर्शन कहता है कि सब कुछ यहीं, इसी संसार में है, इसीलिए सब भोग लो क्योंकि उसके बाद जन्म ही नहीं है। इस संसार से बाहर कुछ होता तो जन्म होता। कुछ नहीं है इसीलिए जन्म भी नहीं है। आत्मा, परमात्मा, सत्संग – यह सब कुछ नहीं होता, इसका कोई लाभ नहीं।

आशा करते हैं कि दर्शन शास्त्र के बारे में यह जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी ।

सम्बंधित लेख

इसे भी देखे ?

सामान्य अध्यन

वस्तुनिष्ठ सामान्य ज्ञान

  • प्राचीन भारतीय इतिहास
  • मध्यकालीन भारतीय इतिहास
  • आधुनिक भारत का इतिहास
  • भारतीय राजव्यवस्था
  • पर्यावरण सामान्य ज्ञान
  • भारतीय संस्कृति
  • विश्व भूगोल
  • भारत का भूगोल
  • भौतिकी
  • रसायन विज्ञान
  • जीव विज्ञान
  • भारतीय अर्थव्यवस्था
  • खेलकूद सामान्य ज्ञान
  • प्रमुख दिवस
  • विश्व इतिहास
  • बिहार सामान्य ज्ञान
  • छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान
  • हरियाणा सामान्य ज्ञान
  • झारखंड सामान्य ज्ञान
  • मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान
  • उत्तराखंड सामान्य ज्ञान
  • उत्तर प्रदेश सामान्य ज्ञान

Exam

GS

Current

MCQ

Job

Others

© 2022 Tyari Education.