पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ में जन जागरण और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे। वे एक कवि सामाजिक कार्यकर्ता, समाज सेवक, इतिहासकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्हें ‘छत्तीसगढ़ का गांधी’ भी कहा जाता है।
पंडित सुंदरलाल शर्मा का जीवनी
पं. सुन्दरलाल शर्मा का जन्म 1881 में छत्तीसगढ़ में राजिम के पास चामसूर गाँव में हुआ था। उन्होंने 1907 में राजिम में एक संस्कृत पाठशाला और रायपुर में सतनामी आश्रम और 1910 में राजिम में पहली स्वदेशी दुकान की स्थापना की व 1920 के कण्डेल सत्याग्रह के सूत्रधार थे।
परिचय
पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसंबर 1881 को राजिम के निकट महानदी के तट पर बसे हुए गांव चंद्रपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम जगलाल तिवारी था और उनके माता का नाम देवमती था।
शिक्षा
पंडित सुंदर लाल शर्मा की प्राथमिक स्तर तक ही शिक्षा हुई और आगे आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने घर पर ही खुद के अध्याय से संस्कृत, बांग्ला, उड़िया भाषा सीखी। किशोरावस्था से उन्होंने कविताएं लेख और नाटक लिखने शुरू कर दिए। वे कुरीतियों को मिटाने के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार को आवश्यक समझते थे। उन्होंने हिंदी भाषा के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा को भी महत्व दिया।
ग्रंथ
पंडित सुंदर लाल शर्मा ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी में लगभग 18 ग्रंथों की रचना की जिसमें छत्तीसगढ़ी दानलीला चर्चित कृति है । इन्हें छ. ग. का प्रथम स्वप्नदृष्टा वह संकल्पना कार कहा जाता है। उन्होने छ.ग. में दुलरवा पत्रिका और हिंदी में कृष्ण जन्मस्थान पत्रिका लिखा।
सुंदरलाल शर्मा के योगदान
- 19 वीं सदी के अंतिम चरण में देश में राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना की लहरें उठ रही थी। समाज में समाज सुधारकों, चिंतकों तथा देशभक्तों ने परिवर्तन के इस दौर में समाज को नयी सोच और दिशा दी। छत्तीसगढ़ में उन्होने सामाजिक चेतना का स्वर घर-घर पहुंचाने में अविस्मरणीय कार्य किया।
- पंडित सुंदर लाल शर्मा ने राष्ट्रीय कृषक आंदोलन, मद्यनिषेध, आदिवासी आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन जुड़े और स्वतंत्रता के यज्ञवेदी पर अपना सब कुछ अर्पित कर दिया।
- छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में व्याप्त रुढ़िवादिता, अंधविश्वास, अस्पृश्यता तथा कुरीतियों को दूर करने के लिए सुंदर लाल शर्मा ने काफी प्रयास किया।
- उन्होंवे हरिजनोद्धार कार्य की प्रशंसा महात्मा गांधी ने मुक्त कंठ से करते हुए, इस कार्य में पंडित सुंदर लाल शर्मा को गुरु माना था।
- 1920 में धमतरी के पास कंडेल नहर सत्याग्रह में भी सुंदर लाल शर्मा नेतृत्व में सफल रहे। उनके प्रयासों से ही महात्मा गांधी 20 दिसम्बर 1920 को पहली बार रायपुर आए थे।
- छत्तीसगढ़ में असहयोग आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे। वे जीवन भर सादा जीवन, उच्च विचार के आदर्श पर चलते रहे।
प्रमुख कृतियाँ
- छत्तीसगढ़ी दानलीला
- काव्यामृतवर्षिणी
- राजीव प्रेम-पियूष
- सीता परिणय
- पार्वती परिणय
- प्रल्हाद चरित्र
- ध्रुव आख्यान
- करुणा पच्चीसी
- श्रीकृष्ण जन्म आख्यान
- सच्चा सरदार
- विक्रम शशिकला
- विक्टोरिया वियोग
- श्री रघुनाथ गुण कीर्तन
- प्रताप पदावली
- सतनामी भजनमाला
- कंस वध।
सम्मान
- छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी याद में साहित्य के लिए ‘पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान’ स्थापित किया है।
- पंडित सुंदरलाल शर्मा के सम्मान में उनके नाम पर ‘पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़’ की स्थापना की गई है।
मृत्यु
- वे जीवन भर सादा जीवन, उच्च विचार के आदर्श पर चलते रहे।
- समाज सेवा में लगी कड़ी मेहनत के कारण आपका शरीर क्षीण हो गया और 28 दिसंबर 1940 को आपकी मृत्यु हो गई।
FAQs
पण्डित सुंदरलाल शर्मा जन्म कहा हुआ था?
छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम संकल्पना कार किसे कहा जाता है?
छत्तीसगढ़ के गांधी के रूप में किसे जाना जाता है?
पंडित सुंदरलाल शर्मा की मृत्यु कब हुई?