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छत्तीसगढ़ का भूगोल

छत्तीसगढ़ का भूगोल 

छत्तीसगढ़ का भूगोल – छत्तीसगढ़ कही ऊँची तो कहीं नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ भारत का 26वाँ राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में व छत्तीसगढ़ का क्षेत्रअफल 1,35,192 वर्ग कि.मी. है।

छत्तीसगढ़ का भूगोल
विवरण छत्तीसगढ़ भारत का 26वाँ राज्य है। इसका भू-भाग सम्पूर्ण भारत के भू-भाग का कुल 4.14% है। इस प्रकार क्षेत्रफल के हिसाब से यह देश का 9वाँ बड़ा राज्य है।
भौगोलिक स्थिति दक्षिण-पूर्व में 17°46′ उत्तरी अक्षांश से 24°5′ उत्तरी अक्षांश तथा 80°15′ पूर्वी देशांतर से 84°15′ पूर्वी देशांतर रेखाओं के मध्य।
क्षेत्रफल 1,35,192  वर्ग कि.मी.
सीमावर्ती राज्य उत्तर में उत्तर प्रदेश, उत्तरी-पूर्वी सीमा में झारखण्ड, दक्षिण-पूर्व में ओडिशा, दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश, दक्षिण-पश्चिम में महाराष्ट्र तथा उत्तरी-पश्चिम भाग में मध्य प्रदेश
मण्डल 5
ज़िलों की संख्या 27
प्राकृतिक खण्ड तीन (उत्तर में सतपुड़ा, मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियों का मैदानी क्षेत्र, दक्षिण में बस्तर का पठार)।
प्रमुख नदियाँ महानदी, शिवनाथ नदी, खारून नदी, पैरी नदी, हसदो नदी आदि।
अन्य जानकारी छत्तीसगढ़ में तालाबों की संख्या बहुत ज्यादा है। यहाँ की बहुत सारी जगहों का नाम तालाब के साथ जुड़ा हुआ है, जैसे- कटोरा तालाब, बूढ़ा तालाब आदि।
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट

 

छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में 17°46′ उत्तरी अक्षांश से 24°5′ उत्तरी अक्षांश तथा 80°15′ पूर्वी देशांतर से 84°15′ पूर्वी देशांतर रेखाओं के मध्य स्थित है। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रअफल 1,35,192 वर्ग कि.मी. है। इसकी उत्तरी-दक्षिण लम्बाई 360 कि.मी. तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ाई 140 कि.मी. है। छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है।

सीमांकन

छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश, उत्तरी-पूर्वी सीमा में झारखण्ड, दक्षिण-पूर्व में ओडिशा राज्य स्थित है। दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश, दक्षिण-पश्चिम में महाराष्ट्र तथा उत्तरी-पश्चिम भाग में मध्य प्रदेश स्थित है।

क्षेत्रफल

राज्य में 5 मण्डल व 27 ज़िले हैं। यह प्रदेश भारत के कुल क्षेत्रफल का 4.11% है। क्षेत्रेफल की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 16 राज्यों से अधिक है। यह राज्य अनेक छोटे-छोटे राज्यों से बड़ा है। छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल पंजाब, हरियाणा एवं केरल इन तीनों राज्यों के योग से अधिक है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ का सम्भाग बस्तर (39,114 वर्ग कि.मी.) का विस्तार केरल के क्षेत्रफल से बड़ा है। छत्तीसगढ़ में गांवों की संख्या 19,720 है। छत्तीसगढ़ कही ऊँची तो कहीं नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र में बहुत सारे जंगल हैं, जहाँ साल, सागौन, साजा और बीजा के पेड़ों की अधिकता है। बाँस के जंगल भी बहुत हैं।[1]

उपजाऊ भूमि

छत्तीसगढ़ की भूमि बहुत उपजाऊ है। इस क्षेत्र के बीच में महानदी और उसकी सहायक नदियाँ एक विशाल मैदान निर्मित करती हैं, जो लगभग 80 कि.मी. चौड़ा और 322 कि.मी. लम्बा है। समुद्र सतह से यह मैदान करीब 300 मीटर ऊँचा है। इस मैदान के पश्चिम में महानदी तथा शिवनाथ का दोआब है। इस मैदान के बीच में से गुजरती है महानदी। इस मैदानी क्षेत्र के भीतर है- रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर ज़िले के दक्षिणी भाग। यह क्षेत्र बहुत ही उपजाऊ है।

प्राकृतिक खण्ड

इस मैदानी क्षेत्र के उत्तर में है मैकल पर्वत की श्रृंखला। सरगुजा की उच्चतम भूमि ईशान में है। पूर्व में है उड़ीसा की छोटी-बड़ी पहाड़ियाँ और आग्नेय में है सिहावा के पर्वत श्रृंग। दक्षिण बस्तर में हैं गिरि-मालाएँ। छत्तीसगढ़ के तीन प्राकृतिक खण्ड हैं-

  1. उत्तर में सतपुड़ा
  2. मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियों का मैदानी क्षेत्र
  3. दक्षिण में बस्तर का पठार

प्रमुख नदियाँ

छत्तीसगढ़ में अनेक नदियाँ हैं। प्रमुख नदियाँ हैं- महानदी, शिवनाथ, खारून तथा पैरी।[1]

महानदी

महानदी सिहावा पर्वत से निकलती है। यह उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई धमतरी और राजिम होती हुई बलौदा बाज़ार की उत्तरी सीमा तक पहुँचती है। इसके बाद महानदी अपनी धुन में बहती-बहती पूर्व की ओर मुड़कर रायपुर को बिलासपुर ज़िले से अलग कर देती है। गर्मियों में महानदी सूख जाती है, पर वर्षा होने के बाद उसका रूप बदल जाता है। जुलाई से फ़रवरी में उसमें नावें भी चलती हैं। पहले तो महानदी और उसकी सहायक नदियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली वस्तुओं को समुद्र के निकट स्थित बाज़ारों तक भेजा जाता था। महानदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं- हसदो, जोंक व शिवनाथ।

शिवनाथ नदी

यह नदी महानदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह दुर्ग ज़िले की दक्षिण-पश्चिम सीमा से निकलती है। फिर उत्तर की ओर बहती हुई रायपुर ज़िले के बलौदा बाज़ार तहसील के उत्तरी भाग में जाकर यह महानदी में मिल जाती है। महानदी और शिवनाथ जहाँ मिलती हैं, वह जगह जैसर गाँव के नजदीक है। शिवनाथ नदी के कुछ भागों में सिर्फ वर्षा के समय ही नावें चलती हैं और कहीं-कहीं कुछ भागों में जुलाई से फ़रवरी तक नावें चलती हैं।

खारून नदी

शिवनाथ अगर महानदी की प्रमुख सहायक नदी है, तो खारून शिवनाथ की प्रमुख सहायक नदी है। यह नदी दुर्ग ज़िले के संजारी से और फिर रायपुर तहसील की सीमा से बहती हुई सोमनाथ के पास शिवनाथ नदी में मिल जाती है। इसी जगह पर यह बेमेनय और बलौदा बाज़ार तहसील को अलग करती है। बलौदा बाज़ार के उत्तर में अरपा नदी, जो बिलासपुर ज़िले से निकलती है, शिवनाथ से आ मिलती है। हावड़ा-नागपुर रेलमार्ग इस खारून नदी के ऊपर से गुजरता है। खारून में एक शान्ति है, जो देखने वालों को अपनी ओर खींचती हैं।

पैरी

पैरी नदी भी महानदी की सहायक नदी है। यह नदी वृन्दानकगढ़ जमींदारी से निकलती है। इसके बाद उत्तर-पूर्व दिशा की ओर करीब 96 कि.मी. बहती हुई राजिम क्षेत्र में महानदी से मिलती है। पैरी नदी धमतरी और राजिम को विभाजित करती है। इस नदी के तट पर स्थित है, ‘राजीवलोचन का मंदिर’। राजिम में पैरी, महानदी और सोंढू नदियों का त्रिवेणी संगम स्थल है।[1]

तालाब

छत्तीसगढ़ में तालाबों की संख्या बहुत ज्यादा है। ये तालाब वर्षा के पानी से भरते हैं। शहरों में तालाब भरकर मकान बनाये जा रहे हैं, जो भविष्य में पानी की समस्या के रूप में प्रकट होगा। रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी में बीस साल पहले ढेर सारे तालाब हुआ करते थे। आज जगहों के नाम से पता चलता है कि वहाँ पहले तालाब हुआ करता था। यहाँ की बहुत सारी जगहों का नाम तालाब के साथ जुड़ा हुआ है, जैसे- कटोरा तालाब, बूढ़ा तालाब आदि। गाँव में भी तालाबों की संख्या दूसरे क्षेत्र से कई गुना अधिक है।

अंतिम शब्द – उमीद है की आप लोगो को छत्तीसगढ़ का भूगोल – Chhattisgarh Ka Bhugol का टॉपिक पसंद आया होगा |

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