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छत्तीसगढ़ का पंचायती राज अधिनियम

छत्तीसगढ़ का पंचायती राज अधिनियम
छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम-1
  • 30.10.1993 को मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित हुआ
  • 24 जनवरी 1994 को राज्यपाल की अनुमति प्राप्त हुई।
  • 25 जनवरी 1994 को मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित हुआ।
  • 7 जून 2001 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अधिसूचना जारी कर इसका अनुकूलन किया गया
  • छत्तीसगढ़ राजपत्र क्रमांक 134 में प्रकाशित
धारा 3--ग्राम के सम्बन्ध में अधिसूचना
  • राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी कर ग्राम या ग्राम समूह को इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए ग्राम के रूप में घोषित किया जायेगा।
  • प्रत्येक खण्ड के ग्रामो को वार्डो में बांटा जायेगा। प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या लगभग बराबर होगी।
  • प्रत्येक ग्राम के लिए एक ग्राम सभा होगी। गाँव की मतदाता सूचि में दर्ज हर व्यक्ति ग्राम सभा का सदस्य होगा।
धारा 4-- ग्राम की मतदाता सूचि
  • प्रत्येक ग्राम के लिए एक मतदाता सूचि होगी जो इस अधिनियम और उसके अधीन बनाये गए नियमो के उपबन्धों के अनुसार तैयार की जायगी।
धारा 5-- ग्राम के मतदाताओ का पंजीकरण
  • गाँव की निर्वाचक नामावली में पंजिकृत किये जाने की पात्रता रखता हो।
  • विधानसभा निर्वाचक नामावली में जिसका नाम दर्ज हो
  • जो उस गाँव का मामूली तौर पर निवासी हो गाँव की मतदाता सूचि में पंजिकृत कराने का हकदार होगा।

Note:-

  • एक व्यक्ति एक से अधिक मतदाता सूचि में नाम दर्ज नही करवा सकता है।
  • अन्य स्थानीय प्राधिकारी से सम्बंधित निर्वाचक नामावली में पंजिकृत व्यक्ति ग्राम की मतदाता सूचि में पंजिकृत नही हो सकता है।
  • विधानसभा निर्वाचक नामावली के लिए अपात्र या अयोग्य होने पर वह ग्राम के मतदाता सूचि के लिए भी अपात्र होगा।

अनुसूचित क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान

  • पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(क)खण्ड(ख) के अनुसार
  • अनुसूचित क्षेत्र के प्रत्येक ग्राम के लिए एक ग्राम सभा होगी
  • ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक से अधिक ग्राम सभाओ का गठन किया जा सकता है।
  • इसका गठन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा किया जयेगा
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-2 
धारा 6---ग्राम सभा का सम्मेलन
  • छ ग ग्राम सभा( सम्मिलन की प्रक्रिया) नियम 1994
  • छ ग अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम सभा(गठन, सम्मिलन, कार्य संचालन) नियम 1998
ग्राम सभा की बैठक
  • वर्ष में प्रत्येक तीन माह में कम से कम एक बार परन्तु
  • ग्राम सभा के एक तिहाई से अधिक सदस्यों द्वारा लिखित में मांग किये जाने पर अथवा जनपद, जिला पंचायत या कलेक्टर द्वारा अपेक्षा किए जाने पर, अपेक्षा के दिनांक से 30 दिनों के भीतर ग्राम सभा की बैठक की जायेगी।
बैठक की तारीख, समय और स्थान
  • बैठक की तारीख, समय व् स्थान सरपंच द्वारा या उसकी अनुपस्थिति में उपसरपंच द्वारा और दोनों की अनुपस्थिति में सचिव द्वारा निर्धारित की जावेगी
  • पंचायत के प्रत्येक ग्राम में ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा
  • ग्राम सभा की वार्षिक बैठक पंचायत मुख्यालय पर होगी
  • वार्षिक बैठक आगामी वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ होने के कम से कम 3 माह पूर्व आयोजित की जावेगी।
  • बैठक की सूचना देने की रीति
  • बैठक की तारीख से कम से कम 7 दिन पूर्व दी जावेगी।
  • बैठक में कोई सुझाव देने या कोई विषय उठाने के लिए सूचना की तारीख से एक सप्ताह के भीतर ग्राम पंचायत सचिव को लिखित में एक सूचना देनी होगी
  • किसी लिखित आपत्ति की दशा में बैठक 3 दिन की पूर्व सूचना देकर बुलाई जा सकेगी।
  • वार्षिक बैठक के लिए कार्यसूची
  • लेखाओं का वार्षिक विवरण
  • पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के प्रशासन की रिपोर्ट
  • आगामी वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित विकास कार्यक्रम
  • अंतरिम संपरीक्षा टिप्पणी और उसके सबंध में दिए गये उत्तर
  • ग्राम पंचायत का वार्षिक बजट और अगले वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक योजना
  • सभापति की अनुमति से कोई अन्य विषय भी चर्चा में रखा जा सकता है।
बैठक की अध्यक्षता
  • सरपंच द्वारा और उसकी अनुपस्थिति में उपसरपंच द्वारा
  • दोनों की अनुपस्थिति में इस बैठक के लिए उपस्थित सदस्यों में से बहुमत द्वारा निर्वाचित सदस्य।
अनुसूचित क्षेत्रो के लिए
  • अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी ऐसे सदस्य द्वारा जो सरपंच, उपसरपंच या पंचायत का सदस्य न हो और बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा चुना गया हो। वह केवल उसी बैठक के लिए अध्यक्षता करेगा।
बैठक के लिए गणपूर्ति
  • कुल सदस्य संख्या का 1/10 जिसमें एक तिहाई से अधिक महिला सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य
  • अनुसूचित क्षेत्र के लिए कुल सदस्य संख्या का 1/3 जिसमें 1/3 महिला सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य
  • गणपूर्ति पूरा नही होने पर बैठक को स्थगित कर आगे बढ़ा दिया जाता है।
  • स्थगित बैठक जो आगामी किसी तारीख पर होने वाली हो उसके लिए गणपूर्ति की आवश्यकता नही होती है।
  • स्थगित बैठक के आयोजन पर किसी नए विषय पर विचार नही किया जा सकता है।
  • गणपूर्ति कराने का उत्तरदायित्व सरपंच और पचं का होगा
  • लगातार 3 बैठको में गणपूर्ति नही होने पर पंच/सरपंच को नोटिस दिया जाएगा और आगे की दो ग्राम सभा की बैठक में गणपूर्ति करने का अवसर दिया जाएगा
  • फिर भी गणपूर्ति नही होने पर सरपंच/पंच को पद से हटाया जा सकता है
  • सरपंच/पंच को उनके पद से हटाने की कार्यवाही उन्हें सुनवाई का पूरा अवसर प्रदान करने के बाद ही की जाएगी।
  • बहुमत द्वारा निर्णय
  • समस्त विषय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से विनिश्चित किये जाते है
  • मत समानता की स्थिति में अध्यक्ष निर्णायक मत दे सकता है।
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-3 
धारा 8-- पंचायत का गठन

क) ग्राम के लिए ग्राम पंचायत

ख) खण्ड के लिए जनपद पंचायत

ग) जिला के लिए जिला पंचायत

धारा 9-- पंचायत की अवधि
  • प्रत्येक ग्राम पंचायत अपने प्रथम सम्मिलन कि तारिख से 5 वर्ष तक के लिए बनी रहेगी।
  • यदि किसी पंचायत का कार्यकाल 6 माह सेवकम बचा हो और वह विघटित हो जाए तो, पंचायत की शेष अवधि के लिए चुनाव कराना आवश्यक नही है।
  • पंचायत के विघटन पर गठित की गई नई पंचायत केवल शेष अवधि के लिए ही बनी रहेगी।
  • किसी पंचायत का गठन करने के लिये चुनाव
  1. उसकी 5 वर्ष की अवधि समाप्ति के पूर्व कर लिया जाएगा।
  2. बीच में ही पंचायत के विघटन होने पर, विघटन के 6 माह के भीतर कर लिया जायगा।
धारा 12-- पंचायत का वार्डो में विभाजन
  • प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र को दस से अन्यून वार्डो में, जैसा कलेक्टर अवधारित करे, विभाजित किया जायगा।
  • प्रत्येक वार्ड एक सदस्यीय होगा।
  • जँहा जनसंख्या 1000 से अधिक हो वँहा वार्डो की कुल संख्या 20 से अधिक नही होगी और प्रत्येक वार्ड में जनसंख्या यथासाध्य एक जैसी होगी।
धारा 13-- ग्राम पंचायत का गठन
  • प्रत्येक ग्राम पंचायत निर्वाचित पंचो तथा सरपंच से मिलकर बनेगी।
  • किसी वार्ड या ग्राम में पंच या सरपंच का निर्वाचन न हो तो, नई निर्वाचन प्रक्रिया 6 माह के भीतर प्रारम्भ की जायगी।
  • सरपंच का निर्वाचन लंबित होने पर, पंच धारा 20 के अधीन अपने में से एक कार्यवाहक सरपंच का निर्वाचन करेंगे।
  • वह तब तक पदभार ग्रहण करेगा जब तक नया सरपंच चुन नही लिया जाता है।
  • पुनः यदि पंच या सरपंच का निर्वाचन नही होता है तो नई निर्वाचन प्रक्रिया राज्य चुनाव आयोग तब तक नही करेगा जब तक उसे यह समाधान न हो जाए की ऐसे ग्राम से सरपन्च या पंच का निर्वाचन किये जाने की सम्भाव्यता है।
धारा 15-- कोई भी व्यक्ति यथास्थिति एक से अधिक वार्डो से या निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव नही लड़ सकता है।
धारा17-- सरपंच और उपसरपंच का निर्वाचन
  1. प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सरपंच तथा एक उपसरपंच होगा।
  2. कोई भी व्यक्ति—
  3. a) पंच के रूप में निर्वाचित किए जाने के लिए अर्हित है।
  4. b) संसद या राज्य विधानसभा का सदस्य नही है।
  5. c) किसी सहकारी सोसाइटी का सभापति या उपसभापति नही है।   वह सरपंच के रूप में निर्वाचित किया जा सकता है।
आरक्षण
  • खण्ड के भीतर ग्राम पंचायतों में ST  व् SC की कुल जनसंख्या में जो अनुपात है, उसी अनुपात में ST व SC के लिए सरपंच के पद आरक्षित रखे जाएंगे।
  • जँहा ST व SC की सम्मिलित जनसंख्या आधे से कम है वँहा खण्ड के भीतर सरपंच के कुल पदों का 25% अन्य पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षित होगा।
  • खण्ड के भीतर सरपंचो के स्थानों की कुल संख्या का आधा (50%) स्थान  महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
  • आरक्षित रखे गए स्थान विहित प्राधिकारी द्वारा चक्रानुक्रम से आबंटित किये जाएंगे।
  • ग्राम पंचायत का सरपंच यदि ST, SC या OBC वर्ग का नही है तो उपसरपंच को ST, SC या OBC वर्ग के पंचो से निर्वाचित किया जाएगा।
  • ग्राम पंचायत में उपसरपंच व जनपद तथा जिला पंचायत में उपाध्यक्ष का पद होगा।
  • पंच, सरपंच तथा जनपद व जिला पंचायत के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है।
  • उपसरपंच तथा जनपद व जिला पंचायत के अध्य्क्ष का चुनाव निर्वाचित सदस्यों में से अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
  • यदि सरपंच या पंच, संसद या विधानसभा का सदस्य बन जाता है तो वह पंच या सरपंच नही रहेगा।
  • जनपद पंचायत में भी ST व SC के लिए स्थान उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित रहेंगे।
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-4
धारा 20--पंचायत का प्रथम सम्मेलन व् अवधि
  • ग्राम पंचायत, जिला पंचायत व् जनपद पंचायत के निर्वाचन का प्रकाशन होने के बाद प्रकाशन की तारीख से 30 दिनों की अवधि के अंदर पहली बैठक बुलाई जायेगी।
  • बैठक क्रमशः ग्राम पंचायत में सचिव, जनपद व् जिला पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा बुलाई जायेगी।
  • प्रत्येक पंचायत अपनी पहली बैठक से 5 वर्ष तक कार्य करेगी।
  • यदि कानूनन समय से पहले विघटित कर दी जाती है तो शेष अवधि के लिए 6 माह के भीतर चुनाव कराया जाना आवश्यक है।
धारा 21-- सरपंच व् उपसरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव
  • उपस्थित व् मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम तीन चौथाई बहुमत से, जो तत्समय ग्राम पंचायत का गठन करने वाले पंचो की कुल संख्या के दो तिहाई से अधिक है, पारित संकल्प द्वारा, अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर अपने पद पर नही रह जाएगा।
  • सरपंच या उपसरपंच उस सम्मिलन की अध्यक्षता नही करेगा जिसमे उसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो, परन्तु कार्यवाही में बोलने या भाग लेने का अधिकार होगा।
  • परन्तु किसी सरपंच या उपसरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पद धारण करने के एक वर्ष के भीतर नही लाया जा सकता है।
  • कार्यकाल समाप्त होने के 6 माह पूर्व नही लाया जा सकता
  • उस तारीख से , जिसमे पूर्वतन अविश्वास प्रस्ताव मंजूर किया गया था, एक वर्ष की कालावधि के भीतर नही लाया जा सकता है।
  • यदि सरपंच या उपसरपंच अविश्वास प्रस्ताव की विधिमान्यता को चुनोती देना चाहते है तो प्रस्ताव पास होने की तारीख से 7 दिन के भीतर कलेक्टर के समक्ष अपील कर सकता है।
  • अपील प्राप्त होने की तारीख से 30 दिन के भीतर कलेक्टर द्वारा निर्णय दिया जाएगा और उसका निर्णय अंतिम होगा।
धारा 21 (क)--ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों को वापस बुलाना
  • ग्राम सभा गुप्त मतदान द्वारा पंच और सरपंच को वापस बुला सकती है।
  • ग्राम सभा के 1/3 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ अभियोग पत्र अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को देना होगा।
  • अनुविभागीय अधिकारी मतदान की तिथि निर्धारित करेगा।
  • अगर मतदान में आधे से ज्यादा सदस्य पंच या सरपंच को वापस बुलाने के पक्ष में मत देते है, तो सरपंच का पद तुरन्त खाली हो जाता है।
  • पंच या सरपंच के खिलाफ यह कार्यवाही अपने कार्यकाल के ढाई वर्ष पुरे हो जाने के बाद ही शुरू की जा सकती है।
  • उपचुनाव में चुनकर आने वाले पंच या सरपंच के लिए भी अपने आधे कार्यकाल के बाद ही शुरू किया जा सकता है।
  • अपील- 7 दिन के भीतर – कलेक्टर के समक्ष
  • अपील पर 30 दिन के भीतर निर्णय
  • कलेक्टर का निर्णय अंतिम
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-5
धारा 22-- जनपद पंचायत की संरचना
  • जनपद पंचायत निर्वाचित जनपद सदस्य, विधानसभा के ऐसे सदस्य जिनका निर्वाचन क्षेत्र अंशतः या पूर्णत: खण्ड के भीतर हो, और जनपद पंचायत के क्षेत्र में पड़ने वाले ग्राम पंचायतो के 1/5 सरपंचो से।
  • जिनका निर्वाचन क्षेत्र पूर्णतः नगरीय क्षेत्र में हो, वो विधानसभा सदस्य जनपद पंचायत का सदस्य नही होगा।
  • सरपंचो का 1/5 भाग केवल 1 वर्ष के लिए चक्रानुक्रम में चुनाव किया जाता है।
  • जो सरपंच जनपद का सदस्य है वो समितियों का सदस्य नही होगा।
धारा 23-- खण्ड का निर्वाचन क्षेत्र में विभाजन
  • औसतन 5000 की जनसंख्या पर 1 निर्वाचन क्षेत्र होता है।
  • 50000 से कम की जनसंख्या पर कम से कम 10 व् अधिक से अधिक 25 निर्वाचन क्षेत्र हो सकते है।
  • ST व् SC के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण होता है।
  • ST, SC के लिए यदि 50% से कम आरक्षण है तो वँहा OBC के लिए वँहा 25% स्थान आरक्षित होंगा।
  • आरक्षण दो पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए लाट निकालकर चक्रानुक्रम से किया जाता है।
  • महिलाओं के लिए कुल पदों का 50% स्थान आरक्षित होगा।
  • ST, SC या OBC की जनसंख्या किसी क्षेत्र में नही होने पर उसे आरक्षण से मुक्त कर दिया जाता है।
धारा 25--जनपद पंचायत के अध्यक्ष व् उपाध्यक्ष का निर्वाचन
  • निर्वाचित सदस्यों में से एक अध्यक्ष व् एक उपाध्यक्ष
  • ST, SC क्षेत्रो में उसी वर्ग से निर्वाचित सदस्य ही अध्यक्ष होगा।
  • जनपद पंचायत अध्यक्ष के पदों की कुल संख्या का कम से कम 1/2 पद महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
  • यदि ST, SC की जनसंख्या 50% से कम है तो वँहा अध्यक्षों के 25% पद OBC के लिए आरक्षित होगा।
  • यदि अध्यक्ष ST, SC या OBC वर्ग का नही है तो उपाध्यक्ष इन वर्ग से होगा।
  • अध्यक्ष और उपाध्यक्ष संसद, राज्य विधानसभा या सहकारी सोसायटी का सभापति या उपसभापति नहीं हो सकता है।
धारा 27-- प्रथम सम्मिलन और पदावधि
  • प्रकाशन की तारीख से 30 दिन के भीतर
  • मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा
  • 5 वर्ष कार्यकाल
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-6
धारा 29-- जिला पंचायत का गठन
  • निर्वाचन क्षेत्रो से निर्वाचित सदस्य
  • लोकसभा सदस्य जिनका निर्वाचन क्षेत्र अंशतः या पूर्णतः जिले का भाग हो(नगरीय क्षेत्र को छोड़कर)
  • छ ग से निर्वाचित राज्यसभा सदस्य जिनका नाम जिले की ग्राम पंचायत क्षेत्र की मतदाता सूची में आया है।
  • विधानसभा सदस्य जिनका निर्वाचन क्षेत्र अंशतः या पूर्णतः जिले का भाग हो
  • जिले में जनपद पंचायत के समस्त अध्यक्ष (जो जनपद पंचायत अध्यक्ष इस खण्ड के अधीन सदस्य है वह समितियों का सदस्य नही होगा)
धारा 30-- जिला का निर्वाचन क्षेत्र में विभाजन
  • औसतन 50 हजार की जनसंख्या पर एक सदस्य
  • जँहा जनसंख्या 5 लाख से कम है वँहा जिले को कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्रो में विभाजित किया जाएगा।
  • अधिक से अधिक 35 हो सकती है।
  • ST, SC के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण होगा
  • ST, SC के लिए आरक्षित स्थान 50% से कम होने पर OBC के लिए 25% आरक्षण
  • आधा स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होता है।
धारा 32-- जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव
  • जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों में से
  • ST क्षेत्र में, ST वर्ग का निर्वाचित सदस्य अध्यक्ष होगा।
  • अध्यक्ष का आधा पद महिलाओं के लिए आरक्षित होता है
  • अध्यक्ष का 25% पद OBC के लिए आरक्षित होता है
  • यदि अध्यक्ष ST, SC या OBC वर्ग का नही है तो उपाध्यक्ष ST, SC या OBC वर्ग का होगा।
धारा 34--जिला पंचायत का प्रथम सम्मिलन
  • प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर
  • जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा बुलाया जाता है।
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-7
धारा 36-- पंचायत का पदधारी होने के लिए निरहर्ताएं

कोई व्यक्ति पंचायत का पदधारी होने का पात्र नही होगा यदि

  • नारकोटिक्स के उपयोग, विक्रय या उपभोग में किसी अपराध के दोषी होने पर 5 साल की कालावधि के पहले चुनाव नही लड़ सकता है
  • 6 माह से जेल में दण्डित व्यक्ति जिसे जेल छोड़े पांच साल नही हुआ है।
  • जो विकृत चित्त हो
  • जो दिवालिया हो
  • जो किसी लाभ के पद पर हो ( पटेल का पद लाभ के पद नही होगा)
  • जिसे किसी पब्लिक सेक्टर उपक्रम या सरकारी सेवा से भरष्टाचार अथवा निष्ठाहीनता के कारण पदच्युत कर दिया गया हो।
  • पंचायत के ओर वैतनिक विधि व्यावसायी के रूप में नियोजित किया गया हो।
  • जो साक्षर नही है( 30 वर्ष से कम आयु के लिए)
  • जिसके निवास परिसार में निर्वाचित होने के 1 वर्ष बाद भी जलवाहित शौचालय नही हो
  • पंचायत की किसी प्रकार की देनदारी (बकाया) हो और उसे मांगे जाने पर 30 दिन के भीतर जमा न करे।
  • जिसने पंचायत या शासकीय भूमि या भवन पर अतिक्रमण किया हो।

Note :-  कोई सदस्य यदि, पंचायत की अनुमति के बिना पंचायत या समितियों के कर्मवर्ति तीन सम्मेलनों से अनुपस्थित रहा है या 6 माह की कालावधि में हुये सम्मिलनो में से आधे सम्मिलनो में उपस्थित नही होता है तथा पंचायत के विरुद्ध विधि व्यवसायी के रूप में नियोजन स्वीकार कर लेता है तो उसका पद रिक्त हो जायगा।

छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम-8
धारा 37- पंचायत पदाधिकारियों का त्यागपत्र
  • ग्राम पंचायत का पंच- सरपंच को
  • उपसरपंच  – संयुक्त/ उपसंचालक पंचायत एंव समाज  कल्याण विभाग( छ ग पंचायत अधिनियम के अनुसार)
  • सरपंच  – संयुक्त/ उपसंचालक पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग
  • जनपद पंचायत सदस्य- जनपद पंचायत अध्यक्ष को
  • जनपद पंचायत अध्यक्ष- कलेक्टर/ अतिरिक्त कलेक्टर
  • जिला पंचायत सदस्य- जिला पंचायत अध्यक्ष को
  • जिला पंचायत अध्यक्ष- कलेक्टर/ अतिरिक्त कलेक्टर
  • त्याग पत्र स्वीकार करने से पहले इसे वापस लिया जा सकता है।
  • त्याग पत्र पर पंचायत की अगली बैठक में विचार किया जाता है।
  • 30 दिन के भीतर त्यागपत्र स्वीकार किया जाना जरूरी है।
धारा 38- कार्यवाहक सरपंच

जब किसी स्थिति में सरपंच का पद खाली हो जाता है तो पंचो के बीच से ही कार्यवाहक सरपंच की नियुक्ति की जाती है। इसके लिए निम्न प्रावधान है

  • कार्यवाहक सरपंच उसी वर्ग से चुना जाता है जिस वर्ग के लिए सरपंच का पद आरक्षित था।
  • अगर सरपंच का पद ST, SC या OBC वर्ग की महिला के लिए आरक्षित था तो कार्यवाहक सरपंच भी उसी वर्ग की महिला पंच से चुनी जायेगी।
  • अगर कोई भी महिला पंच उस वर्ग की नही है तो फिर दूसरे वर्ग से महिला पंच को सरपंच चुना जा सकता है।
  • सरपंच का पद खाली होने पर , उपसरपंच को कार्यवाहक सरपंच नही बनाया जायगा।
धारा 39- पंचायत पदाधिकारी का निलम्बन

पंचायत का सरपंच, उपसरपंच या पंच अगर देश के विभिन्न कानूनों का उल्लंघन का दोषी है और उसके खिलाफ किसी अदालत में मुकदमा चल रहा है तो ऐसी दशा में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उस पदाधिकारी को निलंबित कर सकता है।

निम्न अपराधो के विरुद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जा सकती है-
  • हत्या, बलात्कार से जुड़े संगीन अपराध का मामला
  • खाने के समान व् दवाइयों में मिलावट का आरोप का मुकदमा चल रहा हो
  • महिलाओं और बच्चों के सम्बन्ध में अनैतिक व्यापार का आरोप का मुकदमा चल रहा हो
  • किसी भी ऐसे कानून के तहत मुकदमा चल रहा हो जिसमे दंड की व्यवस्था हो।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उसे निलम्बित करके
  • निलम्बन रिपोर्ट 10 दिन के भीतर राज्य सरकार को भेजेगा।
  • राज्य सरकार को इस निलंबन की पुष्टि 90 दिन के भीतर करनी होगी, नही तो यह निलंबन अपने आप समाप्त हो जाएगा।
धारा 40-- पंचायत पदाधिकारी को पद से हटाया जाना

अगर पंचायत पदाधिकारी ऐसे काम करे जिससे की-

  • देश की एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता पर बुरा असर हो
  • राज्य में लोगो के बीच धर्म, भाषा, क्षेत्र, जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव का माहौल बने
  • महिलाओं के सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े
  • अपने किसी नातेदार को आर्थिक फायदा पहुंचाता है तो भी विहित अधिकारी जांच के बाद उसे अपने पद से हटा सकता है।
  • पद से हटाने की कार्यवाही ग्राम पंचायत में अनुविभागीय अधिकारी द्वारा, जनपद पंचायत में कलेक्टर द्वारा और जिला पंचायत में संचालक (पंचायत) द्वारा की जाती है।
  • हटाए जाने वाले व्यक्ति को कारण बताने का अवसर देना जरूरी है।
  • इस सम्बन्ध में अंतिम आदेश , कारण बताओ सूचना जारी होने के 90 दिन के भीतर देना होगा।
  • इससे सम्बंधित पदाधिकारी की सदस्यता तुरन्त समाप्त हो जाएगी।
  • इस तरीके से पद से हटाए गए व्यक्ति को अगले 6 सालो तक पंचायत का चुनाव लड़ने से निर्बन्धित कर दिया जाता है।
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FAQ

छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम क्या है?

भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को सभी राज्य में अनिवार्य रूप से लागु करने का प्रावधान किया गया है . छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य था जहाँ 73 वें एवं 74 वें संविधान संशोधन के अनुरूप पंचायती राज व्यवस्था एवं नगरीय स्वशासन की व्यवस्था लागु की गया थी.

छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम की धारा कितनी है?

छत्तीसगढ़ में पंचायती राज कब लागू हुआ?

पंचायती राज के जनक कौन है?

बलवंत राय मेहता को पंचायती राज का जनक कहा जाता है। वह एक भारतीय राजनेता थे जिन्होंने गुजरात राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

पंचायती राज किसका हिस्सा है?

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